क्या कभी बुढ़ापे को भी टाला जा सकता है? जानें क्या कहता है बुढ़ापा रोकने के लिए किया गया ये शोध

उम्र बढ़ने का संबंध कई बीमारियों से है इसलिए अगर इस प्रक्रिया को धीमा किया जाए, तो लोग दीर्घायु हो सकते हैं। आइए जानते हैं बुढ़ापे से जुड़े इस शोध को।  
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क्या कभी बुढ़ापे को भी टाला जा सकता है? जानें क्या कहता है बुढ़ापा रोकने के लिए किया गया ये शोध

वक्त के साथ उम्र का बढ़ना और बुढ़ापे का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। पर अक्सर हम इस बात की कल्पना करते हैं कि काश! इस बढ़ती हुई उम्र और बुढ़ापे को हम थोड़े दिन के लिए टाल पाते। ऐसे ही कल्पनाशील लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। दरअसल हाल ही में आए एक शोध की मानें, तो बुढ़ापे को टाला जा सकता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो (University of California San Diego) के वैज्ञानिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में देरी करने पर शोध (study related to delay the aging process in hindi) कर रहे हैं। वो इस शोध में वो एक कदम और कामयाब हुए हैं और इस काम को करने में उन्होंने अपने इस एज डिलेयिंग (age delaying) प्रोसेस को सक्षम पाया है।

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क्या कहता है बुढ़ापे से जुड़ा शोध?

ईस्ट बैक्टीरिया पर किया गया ये शोध बताता है कि कैसे किशिकाओं का आसानी से हेरफेर करके एजिंग की प्रक्रिया (delay the aging process) को टाला जा सकता है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने खमीर में उम्र बढ़ने का अध्ययन करने के लिए चुना। ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि इसकी कोशिकाओं को आसानी से हेरफेर किया जाता है। इससे ये यह समझने में उन्हें आसानी हुई कि अलग-अलग कोशिकाएं की एजिंग का दर कैसा और कितना है।

शोध में उन्हें जो मिला वह पेचीदा था। जर्नल साइंस में प्रकाशित इस निष्कर्ष में माइक्रोफ़्लुइडिक्स और कंप्यूटर मॉडलिंग सहित तकनीकों का उपयोग करके, वैज्ञानिकों ने सीखा कि सेल के नाभिक में स्थित एक गोल शरीर, न्यूक्लियोलस में क्रमिक गिरावट के कारण बढ़ी हुई उम्र वाली कोशिकाएं लगभग आधे हो गए। हालांकि, अन्य आधे माइटोकॉन्ड्रिया की शिथिलता के कारण वृद्ध हुए, जो एक कोशिका की ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि कोशिकाएं जीवन के आरंभ में दो रास्तों परमाणु या माइटोकॉन्ड्रियल में से किसी एक पर जाती हैं और वे उम्र बढ़ने के मार्ग के साथ इसी रास्ते पर चलते रहते हैं, जब तक कि वे अंततः गिरावट की शिकार होकर मर नहीं जाते।

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प्रत्येक उम्र बढ़ने वाले सेल्स और उनके बीच के कनेक्शनों पर हुआ अध्ययन

शोधकर्ताओं ने यह समझने के लिए आगे और शोध किए कि कोशिकाओं ने कैसे व्यवहार किया। यह समझने के लिए कि सेल कैसे ये निर्णय लेते हैं, हमने प्रत्येक उम्र बढ़ने के मार्ग और उनके बीच के कनेक्शनों की आणविक प्रक्रियाओं की पहचान की। इसमें हमने एक इलेक्ट्रिक सर्किट पाया, जो सेल के उम्र बढ़ने को नियंत्रित करता है। ये घरेलू उपकरणों को नियंत्रित करने वाले इलेक्ट्रिक सर्किट के जैसा ही होता है।

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उम्र बढ़ने के परिदृश्य  (modeling the "aging landscape") को एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने के बाद शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि वे मास्टर सर्किट को फिर से संगठित करने और अपने डीएनए को संशोधित करने के लिए कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करके उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में बदलाव लाया जा सकता है। इससे पता चलता है कि नाटकीय रूप से विस्तारित जीवनकाल के साथ  उम्र बढ़ने का मार्ग में बदलाव किया जा सकता है। अंततः शोधकर्ताओं का मानना है कि इस शोध की प्रक्रिया को अपना कर मानव उम्र बढ़ने की प्रक्रिया यानी कि बुढ़ापे में भी में देरी की संभावना को जन्म दिया जा सकता है।

हालांकि एजिंग यानी कि बुढ़ापे को टालना एक मौलिक जैविक सवाल है, क्योंकि इसमें इतनी आसानी से फेर बदल करना बहुत आसान प्रक्रिया नहीं है। पर वैज्ञानिकों का कहना कि वे अपने मॉडल को जटिल कोशिकाओं, जीवों और अंततः मनुष्यों में परीक्षण करने की योजना बनाते रहे हैं और आगे इस पर और शोध होंगे। इसके साथ ही ये भी परीक्षण किए जा रहे हैं कि कैसे चिकित्सा और दवाओं के संयोजन से आगे लोगों को दीर्घायु बनाया जा सका।

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