
फूलों की सुंदर और सौंदी सी महक भला किसे पसंद नहीं होगी और जब बात गुलाब की हो, तो बात ही कुछ और है। गुलाब एक ऐसा फूल है, जो हमें कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यही वजह है गुलाब का उपयोग खाने से लेकर त्वचा और बालों पर इस्तेमाल के लिए किया जाता है। गुलाब सचमुच एक ऐसा फूल है, जो अनेकों फायदों से भरा है, जिसे आप गुलाब जल, गुलाब का तेल, गुलाब की चाय या फिर गुलकंद आदि कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन वहीं अगर हम आपको ये कहें कि गुलाब की महक सूंघने वाले लोगों में डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है, तो? शायद आप यकीन ना करें, लेकिन ऐसा संभव हो सकता है। यह हालिया शोध बताता है कि जो बुजुर्ग या वयस्क गुलाब की गंध सूंघ सकते हैं, उनमें डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है। आइए आगे जानिए क्या कहती है ये नई रिसर्च।
क्या कहती है रिसर्च?
यूसी सैन फ्रांसिस्को द्वारा किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अपने 70 के दशक में पहुंचे लगभग 1800 प्रतिभागियों को 10 साल की अवधि के लिए ट्रैक किया। जिसमें वह ये देखना चाहते थे कि क्या उनके संवेदी कामकाज डिमेंशिया के विकास से संबंधित हैं। ये सभी प्रतिभागी अध्ययन के नामांकन के समय डिमेंशिया मुक्त थे, लेकिन 328 प्रतिभागियों (18 प्रतिशत) ने अध्ययन के दौरान इस स्थिति को विकसित किया।
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गुलाब की महक सूंघने वालों में हो सकता है डिमेंशिया का खतरा कम
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने अच्छे संवेदी कार्य को बरकरार रखा है - उसमें गुलाब, पेंट-थिनर और नींबू की गंध की पहचान करना शामिल है और उनमें स्मृति खोने की बीमारी डिमेंशिया या अल्जाइमर विकसित होने की संभावना आधी थी। ऐसा क्यों होता है, इस बारे में वैज्ञानिकों ने सोचा कि क्या डिमेंशिया से प्रभावित मस्तिष्क के हिस्से हमारी गंध की भावना को भी नियंत्रित कर सकते हैं।
अध्ययन की शुरुआत में, सभी प्रतिभागी डिमेंशिया--मुक्त थे। 328 (18%) के साथ अगले दशक में स्थिति विकसित हुई। प्रतिभागियों के संवेदी स्तरों की रैंकिंग करने के बाद, वैज्ञानिकों ने पाया कि खराब स्कोर वाले 27% लोगों को बाद में डिमेंशिया का पता चला था। वहीं इसकी तुलना मिडिल रेंज में 19% और "अच्छा" स्कोर करने वाले 12% से की गई है।
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शोध के लेखकों ने स्वीकार किया कि गंध, स्पर्श, सुनने या देखने की तुलना में डिमेंशिया के खिलाफ एक मजबूत संघ है। जिन प्रतिभागियों की गंध में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है, उनमें मनोभ्रंश की 19 प्रतिशत अधिक संभावना थी, बजाय देखने, सुनने और स्पर्श में इसी गिरावट के लिए 1 से 3 प्रतिशत का बढ़ा जोखिम था। जिसका अर्थ है कि सूंघने या गंध महसूस करने की मजबूत क्षमता डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकती है।
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