
अक्सर कार्यस्थल पर महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी देखी जाती है, जिसके कारण उनका दिमागी संतुलन बिगड़ता है और वे मानसिक तनाव का शिकार होती हैं। इतना ही नहीं इसके कारण वे कैरियर में भी पीछे रहती हैं।
चार्टड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट ने हाल ही में इस पर एक शोध किया है। इस शोध के अनुसार महिलायें अपनी खूबियों को सही से आंक नहीं पाती हैं और यही उनको मानसिक विकार के साथ करियर में भी असफल बनाता है।
इस शोध के मुताबिक महिलायें अपनी कार्यक्षमता को लेकर पशोपेश में रहती हैं, इसके कारण ही वह छोटी-छोटी बातों को लेकर शर्मींदगी भी महसूस करती हैं और बाद में यही तनाव का कारण भी बनता है।
सर्वे के अनुसार अपने आत्मविश्वास के कारण कामकाजी महिलायें वरिष्ठ पदों तक पहुंचने में से चूक जाती हैं। जूनियर मैनेजर के स्तर पर जहां 60 फीसदी महिलायें पहुंचती हैं वहीं वरिष्ठ पदों पर केवल 20 फीसदी महिलायें ही पहुंच पाती हैं।
महिलाओं को लगता है कि उन्हें अपनी उपलब्घियों का प्रचार करने की जरूरत नहीं है, जबकि पुरुषों की प्रवृत्ति इस मामलें में बिलकुल उलट होती है।
जो महिलायें कैरियर में पीछे रह जाती हैं उनको तनाव और अवसाद जैसे मानसिक विकार होते हैं। इसका असर उनके करयिर के साथ-साथ सामाजिक जीवन में भी पड़ता है।
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