स्मोकिंग छोड़ने के बाद शरीर में दिखते हैं यह बदलाव, जानें कितने घातक है धूम्रपान

स्मोकिंग छोड़ना यकीनन किसी भी व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता। लेकिन अगर आप बेहतर स्वास्थ्य के लिए तंबाकू व धूम्रपान को छोड़ते हैं तो इससे आपको अपने शरीर में कुछ ही घंटों में सकारात्मक बदलाव नजर आते हैं। यहां तक कि चैबीस घंटे से भी कम समय में इसका असर नजर आने लगता हैं।
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स्मोकिंग छोड़ने के बाद शरीर में दिखते हैं यह बदलाव, जानें कितने घातक है धूम्रपान


धूम्रपान कई गंभीर बीमारियों की जड़ है। धूम्रपान करने से व्यक्ति को भले ही कुछ पल के लिए सुकून मिले, लेकिन वास्तव में यह सुकून उसके भीतर कई बीमारियों को जन्म देता है। इसमें सिर्फ कैंसर ही प्रमुख नहीं है, बल्कि व्यक्ति को हद्य व फेफड़े से संबंधित रोग होने की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, सिगरेट में मौजूद निकोटिन युक्त तंबाकू के कारण आंखों को भी क्षति पहुंचती है। वहीं निकोटिन के कारण शरीर में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे हड्डियों का कमजोर होना, कमर में दर्द, मांसपेशियों का कमजोर होना, घाव भरने में समय लगना व अन्य कई तरह की दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं, इसलिए जितना जल्दी हो सके, इस लत से छुटकारा पा लेना चाहिए। आपको शायद यकीन न हो, लेकिन पूरी तरह धूम्रपान से मुक्त होने के महज 20 मिनट में ही आपको अपने शरीर में कई सकारात्मक बदलाव नजर आने लगते हैं। तो चलिए जानते हैं धूम्रपान व तंबाकू छोड़ने से शरीर पर क्या होता है असर-

कई रिस्क फैक्टर

धूम्रपान व तंबाकू निषेध के लिए काम करने वाली संस्था icancare की को-फाउंडर श्रुति अग्रवाल कहती हैं कि धूम्रपान व तंबाकू को लोग महज कैंसर से ही जोड़कर देखते हैं, जबकि इससे हद्य रोग होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। धूम्रपान शरीर के हर अंग पर अपना प्रभाव छोड़ता है, इसलिए इस लत से किनारा कर लेना ही उचित है। धूम्रपान छोड़ने के बाद आप अपने भीतर बदलाव को महज 20 मिनट में ही महसूस कर सकते हैं। बदलाव की यह बयार 20 मिनट से शुरू होकर सालों तक चलती हैं और हर गुजरते दिन के साथ आप और भी अधिक स्वस्थ होते चले जाते हैं।

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सामान्य ब्लड प्रेशर

धूम्रपान व तंबाकू के कारण व्यक्ति के ह्रदय व ब्लडप्रेशर पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन जब आप धूम्रपान छोड़ देते हैं तो महज बीस मिनट में ही यह सामान्य हो जाते हैं और करीबन आठ घंटे में रक्त में मौजूद निकोटिन और कार्बनमोनो ऑक्साइड आधा हो जाता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है। दरअसल, जब रक्त में कार्बनमोनोऑक्साइड मौजूद होता है, तो इससे रक्त की सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता पर विपरीत असर पड़ता है और पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण अंगों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित होती है। ऐसे में हद्य को अधिक पंप करने की जरूरत पड़ती है। लगातार ऐसा होने से व्यक्ति को हद्य रोग जैसे हार्ट अटैक, सीवीडी, सीआरडी व अन्य कई समस्याएं हो जाती है।

कम होता निकोटिन

वहीं 24 घंटे बीत जाने के बाद शरीर से कार्बन मोनोऑक्साइड समाप्त हो जाता है और फेफड़े बलगम और अन्य मलबे को साफ करने लगते हैं। इसके कारण हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है। वहीं 48 घंटे बाद शरीर में निकोटिन नहीं बचता। शरीर से निकोटिन का प्रभाव खत्म होने से व्यक्ति की स्वाद और गंध की क्षमता में बहुत सुधार होता है।

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फेफड़ों में सुधार

धूम्रपान का सबसे बुरा व गहरा असर फेफड़ों पर पड़ता है, इसलिए जब व्यक्ति धूम्रपान छोड़ता है तो इससे उसके फेफड़े भी बेहतर तरीके से काम करने लग जाते हैं। धूम्रपान छोड़ने के दो से बारह सप्ताह के भीतर फेफड़ों की कार्यक्षता लगभग 30 प्रतिशत बढ़ जाती है। वहीं 3 से 9 महीने तक खांसी, घरघराहट और सांस लेने की समस्याओं में सुधार होता है। सिलिया फेफड़ों में सामान्य कार्य प्राप्त करती है, फेफड़ों को साफ करती है और संक्रमण को कम करती है।

कैंसर व हार्ट अटैक का खतरा कम

जब आप पूरी तरह धूम्रपान छोड़ देते हैं तो लगभग एक साल धूम्रपान के कारण दिल का दौरा पड़ने का खतरा आधा हो जाता है। वहीं दस साल में,  धूम्रपान छोड़ देने पर व्यक्ति के फेफड़ों के कैंसर का खतरा आधा हो जाता है। 15 साल में हार्ट अटैक का खतरा उसी स्तर तक गिर जाता है, जब कोई व्यक्ति धूम्रपान नहीं करता है।

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