अपने शरीर के आकार-आकृति और रचना से जानें सेहत के छिपे राज

बहुत से लोगों की यह धारणा होती है कि अगर उनका वजन सामान्य है तो वह हेल्दी है। जबकि ऐसा नहीं होता। स्वास्थ्य के राज शरीर की परतों के भीतर छिपे होते हैं। कई बार वजन सामान्य होता है, लेकिन व्यक्ति का मसल्स मास या बॉडी मास कम होता है, जिससे उसे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती है। इसलिए यह जरूरी है कि सिर्फ आप वजन पर ही गौर न करें। बल्कि पूरा बॉडी कम्पोजिशन मेटिक्स निकालें ताकि आप अपनी सेहत के बारे में बेहतर तरीके से जान पाएं
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अपने शरीर के आकार-आकृति और रचना से जानें सेहत के छिपे राज


बहुत से लोगों की यह धारणा होती है कि अगर उनका वजन सामान्य है तो वह हेल्दी है। जबकि ऐसा नहीं होता। स्वास्थ्य के राज शरीर की परतों के भीतर छिपे होते हैं। कई बार वजन सामान्य होता है, लेकिन व्यक्ति का मसल्स मास या बॉडी मास कम होता है, जिससे उसे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती है। इसलिए यह जरूरी है कि सिर्फ आप वजन पर ही गौर न करें। बल्कि पूरा बॉडी कम्पोजिशन मेटिक्स निकालें ताकि आप अपनी सेहत के बारे में बेहतर तरीके से जान पाएं-

क्या आप कभी किसी पतले व्यक्ति को देखकर खुद को भी फिट करने की इच्छा रखते हैं। फिटनेस के लिए व्यायाम करना अच्छी बात है। लेकिन इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि जो व्यक्ति पतला है, वह स्वस्थ है और मोटा व्यक्ति अस्वस्थ। अमूमन लोग अपनी फिटनेस को वजन या कमर के साइज से नापते हैं, पर वास्तव में यह इससे कहीं अधिक है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-

क्या है बॉडी कम्पोजिशन मेटिक्स

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है बॉडी कम्पोजिशन अर्थात शरीर रचना और मेटिक्स अर्थात उसकी गणना करना। इस प्रकार शरीर की रचना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने को ही बॉडी कम्पोजिशन मेटिक्स कहा जाता है। बॉडी कम्पोजिशन मेटिक्स को अमूमन बॉडी कम्पोजिशन एनलाइजर की मदद से किया जाता है। इसमें सिर्फ वजन या आकार को नहीं नापा जाता, बल्कि बीएमआई के अतिरिक्त मसल्स मास, बोन मास, बॉडी फैट प्रतिशत आदि का भी आकलन किया जाता है। इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कंसल्टेट, एस्थेटिक व प्लास्टिक रीकंस्टेक्टिव सर्जरी स्पेशलस्टि डॉ. कुलदीप सिंह कहते हैं कि सेहत की वास्तविक और सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए बॉडी कम्पोजिशन मेटिक्स के जरिए ही पता चलता है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी व्यक्ति का बीएमआई अर्थात बॉडी मास इंडेक्स सही है लेकिन उसकी शरीर में फैट अधिक है तो भी वह व्यक्ति अनहेल्दी है। बॉडी कम्पोजिशन मेटिक्स करते समय कुछ चीजों पर अधिक जोर दिया जाता है। यह शरीर में वसा, हड्डी, पानी और मांसपेशियों के प्रतिशत को संदर्भित करता है।

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बॉडी फैट पर्सटेंज

आमतौर पर फैट दो प्रकार का होता है सब्क्यूटेनीअस फैट और विसरल फैट। सब्क्यूटेनीअस फैट को चमड़े के नीचे का वसा कहा जाता है। इस वसा को बाहों और पैरों पर महसूस किया जा सकता है। विसरल फैट खाल के नीचे नहीं होता, बल्कि पेट की गुहा के भीतर जमा होता है, इसके अतिरिक्त यह लिवर, किडनी, या हद्य के आसपास पाया जाता है। यह पुरूषों में अधिक पाया जाता है। इस फैट को एक्टिव फैट भी कहा जाता है। इसके कारण ब्रेस्ट कैंसर, अल्जाइमर डिसीजर, हार्ट डिसीज व डायबिटीज होने का खतरा अधिक रहता है। अगर किसी पतले व्यक्ति का पेट अधिक निकला हुआ है तो इसका अर्थ है कि उसका विसरल फैट अधिक है। वहीं अगर शरीर में वसा का प्रतिशत कम है तो यह बेहतर स्वास्थ्य का सूचक है।

बॉडी मास इंडेक्स

बीएमआई या बॉडी मास इंडेक्स, आपके वजन बनाम आपकी ऊंचाई का माप है। बीएमआई की गणना आपके वजन को आपकी ऊंचाई से विभाजित करके की जाती है। बीएमआई शरीर में ओवर ऑल फैट के बारे में बताता है।

बोन मास

बोन मास शरीर में कंकाल की हड्डी का कुल द्रव्यमान है। पुरुषों के लिए सामान्य हड्डी का द्रव्यमान 3 से 5 प्रतिशत के बीच है। हालांकि यह उम्र के साथ बदलता है। शरीर में बोन मास का सही होना बेहद आवश्यक है। डॉ. कुलदीप सिंह के अनुसार, बोन मास का कम होना दर्शाता है कि आपकी हड्डियां कमजोर हैं और इससे आपको हड्डी में चोट, ऑस्टियोपोरोसिस या बोन फ्रैक्चर का खतरा अधिक रहता है। वैसे अगर किसी व्यक्ति का बोन मास कम हो तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। व्यायाम और आहार के जरिए बोन मास को आसान से बढ़ाया जा सकता है।

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मसल्स मास

शरीर कंकाल की मांसपेशी का कुल द्रव्यमान मसल्स मास के रूप में जाना जाता है। जब मसल्स मास अधिक होता है तो इससे चयापचय दर भी बढ़ती है, जिससे व्यक्ति कई तरह की बीमारियों और गिरने से स्वयं को रोक सकता है। इसके अतिरिक्त मसल्स मास के अधिक होने पर मधुमेह को भी बढ़ने से रोकता है।

बदलें लाइफस्टाइल

डॉ. कुलदीप सिंह कहते हैं कि सेहत को लेकर लोगों के मन में कई तरह की गलत धारणाएं हैं। जैसे लोग ज्यादा कसरत करते हैं या फिर जिम में जाकर वजन उठाते हैं, लेकिन इससे हेल्थ इंप्रूव नहीं होती, यह केवल फिटनेस के लिए है। सेहत को सुधारने के लिए लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करना जरूरी है। इसके अतिरिक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि आपकी कमर का साइज आपकी हिप्स से कम होना चाहिए।

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