
10 नवंबर को हर साल विश्व टीकाकरण दिवस (World Immunization Day) के रूप में मनाया जाता है। शिशु के पैदा होने के बाद उसे कुछ खास दवाएं टीके द्वारा दी जाती हैं, जिसे टीकाकरण कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी (World Health Organization) की मानें तो टीकाकरण के कारण हर साल 20 से 30 लाख बच्चों को मौत से बचाया जाता है। नन्हें शिशुओं का इम्यून सिस्टम इतना सक्षम नहीं होता है कि वो हर तरह के वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सके। बच्चों में इसी क्षमता को विकसित करने के लिए और इन वायरसों-बैक्टीरिया की चपेट में आने से रोकने के लिए, उन्हें सही समय पर सभी जरूरी टीके लगाना जरूरी है।
टीकाकरण दिवस को मनाने का उद्देश्य यही है कि सभी आयु वर्गों की आबादी के बीच विभिन्न संक्रामक रोगों और बीमारियों को रोकने के लिए टीकाकरण के प्रति जागरुकता फैलाई जा सके। WHO के अनुसार, टीकाकरण कई तरह के जानलेवा रोगों को नियंत्रित करने का प्रभावी उपाय है, जिनमें डिप्थीरिया, टिटनेस, पोलियो, खसरा, निमोनिया और रोटावायरस आदि शामिल हैं।
क्या है टीकाकरण?
टीकाकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी शिशु या व्यक्ति को संक्रामक बीमारी से लड़ने के योग्य बनाया जाता है। शिशु के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए उसके शरीर में इंजेक्शन या अन्य विधि द्वारा संबंधित बीमारी के निष्क्रिय वायरस पहुंचाए जाते हैं, जिससे शिशु का प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System) उस बीमारी के खिलाफ लड़ने के लिए अपनी शक्तियां विकसित कर सके। इससे वायरस की चपेट में आने के बाद भी वायरस शिशु के शरीर पर असर नहीं कर पाते हैं।
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टीकाकरण का प्रकार
टीकाकरण को प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है - सक्रिय टीकाकरण और निष्क्रिय प्रतिरक्षण।
सक्रिय टीकाकरण (Active Immunization)- वह है जिसमें शरीर में एक टीका लगाया जाता है। टीका लगाने के बाद प्रतिरक्षा प्रणाली उस विशेष बीमारी के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करती है, जिससे उस बीमारी का असर शरीर पर न हो।
पैसिव इम्यूनाइजेशन (Passive Immunization)- इस प्रकार के टीकों में एंटीबॉडी को शरीर के बाहर तैयार किया जाता है और फिर इन एंटीबॉडी को संक्रामक रोग या जहरीले पदार्थों से लड़ने के लिए इंसान के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। निष्क्रिय टीकाकरण उन मामलों को संभालने में प्रभावी है जिन्हें तत्काल रोकने की जरूरत होती है। यानी इस तरह का टीकाकरण आमतौर पर बीमारी की चपेट में आने के बाद किया जाता है। हालांकि, इस प्रकार के टीकाकरण द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा कुछ समय के लिए ही होती है।
टीके कैसे काम करते हैं
टीके रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं की नकल करके काम करते हैं और जिससे शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा होती है। इस प्रकार उत्पादित एंटीबॉडी, शरीर की मेमोरी कोशिकाओं में बने रहते हैं और यदि वास्तविक संक्रमण होता है, तो शरीर रक्षा तंत्र के साथ तैयार रहता है।
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कौन से हैं प्रमुख टीके
- शिशु के लिए पहला सबसे जरुरी टीका है बीसीजी का टीका, जो जन्म के 2 सप्ताह के भीतर लगवाना चाहिए। ये टीका खसरा से बचाव के लिए लगाया जाता है।
- हेपेटाइटिस बी का टीका जिसका पहला टीका जन्म के बाद और दूसरा टीका 4 हफ्ते, तीसरा 8 हफ्ते बाद लगाया जाता है।
- हेपेटाइटिस एक का टीका, जो एक बार जन्म के 1 साल के बाद और दोबारा टीका पहले वाले के 6 महीने बाद लगाया जाता है।
- डीटीपी का टीका- जन्म के 6 सप्ताह बाद पहला टीका उसके बाद कई बार और लगाना पड़ता है।
- रोटावायरस वैक्सीन- ये वैक्सीन 2, 4 और 6 माह की उम्र में लगता है।
- टायफॉइड वैक्सीन- पहला टीका 9 महीने बाद और दूसरा 15 महीने बाद
- अन्य टीकों की जानकारी और टीकाकरण के बारे में जानने के लिए आप नजदीकी सरकारी अस्पताल या बच्चों के डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं।
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