एकॉस्टिक न्यूरोमा के बारे में जानें

एकॉस्टिक न्यूरोमा एक प्रकार की गैर कैंसर वृद्धि ट्यूमर है जिसमें दिमागी तौर पर संतुलन बनाने में समस्या आती है, यह सामान्य तौर पर शरीर के दूसरे भागों में नहीं फैलता, इसके बारे में इस लेख में विस्‍तार से जानें।
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एकॉस्टिक न्यूरोमा के बारे में जानें


एकॉस्टिक न्यूरोमा को वेस्टिब्यूलर स्च्वाननोमा (vestibular schwannomas) के नाम से भी जाना जाता है। एकॉस्टिक न्युरोमा एक ऐसी गैर कैंसर वृद्धि (बिना कैंसर के बढ़ोत्तरी) होती है, जिसका विकास आंठ्वी कपाल तंत्रिका (cranial nerve) में होता है। इसे वेस्टिबुलोकोच्लेअर नर्व (vestibulocochlear nerve) के तौर पर भी जाना जाता है। यह कान के भीतरी भाग को मस्तिष्क के दो अलग-अलग हिस्सों से जोड़ती है। इनमें से एक हिस्सा, संचारण ध्वनि (ट्रांस्मिटिंग साउंड) के लिए काम करता है और कान के भीतरी हिस्से से सूचना को मस्तिष्क तक भेजता है।

गर्दन में दर्द

 

कैसे होता है एकॉस्टिक न्यूरोमा

एकॉस्टिक न्यूरोमा एक प्रकार का बिनाइन ट्यूमर होता है। इस प्रकार के ट्यूमर तंत्रिकाओं के आसपास पायी जाने वाली टीशूज में बनते हैं। जब श्वान कोशिकाओं में (तंत्रिका तंत्र के आसपास पायी जाने वाली कोशिकाएं) अचानक से बढ़ोतरी होने लगती है वो भी बिना कैंसर के, तो उस स्थिति को स्च्वाननोमा कहते हैं।     

कहां होते हैं?

  • एकॉस्टिक न्यूरोमा सिर और गर्दन की तंत्रिकाओं के आसपास बनते हैं। यह एक प्रकार का स्च्वाननोमा औऱ इसे वेस्टिब्यूलर स्च्वाननोमा भी कहते हैं।
  • ये दिमाग और कान की तंत्रिकाओं के अंदरुनी हिस्सों में होते हैं। इस कारण से मरीज दिमागी संतुलन बनाने में समस्या आने लगती है और मरीज दिमागी संतुलन खो बैठता है।
  • यह शरीर के दूसरे भागों में नहीं फैलता है।
  • यह केवल दिमाग में होते हैं और इससे दिमाग के सभी जरूरी हिस्सों पर दबाव पड़ने लगता है।

 

कम मामलों में होता है ऐसा

  • स्च्वाननोमा केवल दिमाग के हिस्सों में होता है और बहुत कम मामलों में ही शरीर के अन्य भागों में फैलता है।
  • अगर ये शरीर के दूसरे भागों में फैलता है तो वह मलिग्नेंट (फैलने वाला ट्यूमर) ट्यूमर का एक प्रकार होता है।
  • इस प्रकार के ट्यूमर को मलिग्नैंट पेरीफेरल नर्व शीट ट्यूमर या न्यूरोफ़िब्रोसार्कोमस कहा जाता है।
  • ये ट्यूमर कैंसर का एक प्रकार है जो हाथ व पैर में पाये जाते हैं।
  • लेकिन कई बार ये सिर, गले और पीठ के निचले हिस्से में भी होता है। जिसके बाद ये रोफ़िब्रोसार्कोमस नसों में फैलता है।



नोट- सामान्य तौर पर ये शरीर के अन्य अंगों तक नहीं पहुंचता। लेकिन इस ट्यूमर के गंभीर होने पर ये कई बार फेफड़ों में भी फैल जाता है।

विशेषताएं:  

  • ये उन कोशिकाओं में बनती हैं जो तंत्रिका तंत्र के चारोँ और सुरक्षा कवच बनाती हैं।
  • सामान्य तौरपर, ये दिमाग की तंत्रिका तंत्र के चारों ओर बनती हैं।


इसके लक्षण

  • एक कान से सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है।
  • चक्कर आते हैं।
  • कान बजने लगता है।
  • चेहरे में झनझनाहट महसूस होती है।
  • चलने के दौरान संतुलन बनाने में समस्या होती है।

 

उपचार

  • इसके इलाज के लए सर्जरी की जाती है।
  • कुछ लोग रेडियो सर्जरी कराते हैं।
  • इसमें हाई एनर्जी रेडिएशन के द्वारा भी ट्यूमर के विकास को रोका जाता है।

 

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