रीढ़ की हड्डी के लिए वरदान है कश्यपासन, मिलते हैं ये जबरदस्त लाभ

यह आसन कश्यप ऋषि के नाम पर है। इसे अर्धबद्ध पद्म वशिष्ठासन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन के अनेक गुण हैं।
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रीढ़ की हड्डी के लिए वरदान है कश्यपासन, मिलते हैं ये जबरदस्त लाभ


यह आसन कश्यप ऋषि के नाम पर है। इसे अर्धबद्ध पद्म वशिष्ठासन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन के अनेक गुण हैं इसे करने से शरीर के आंतरिक अंग सशक्त होते हैं। यही नहीं, इस आसन से शरीर में संतुलन स्थापित होता है। अगर आप नियमित रूप से इस आसन को करते हैं तो आपकी सेहत बेहतर से बेहतरीन हो सकती है। 

यह है विधि 

दोनों पैरों को साथ-साथ रखते हुए खड़े हों। सांस भरते हुए शरीर का भार पंजों पर डालें और एड़ियों को ऊपर उठाएं। दोनों हाथों की उंगलियों से इंटरलॉक बनाकर हाथों को  ऊपर ले जाएं और तानें। इस दौरान हथेलियों  की दिशा ऊपर की ओर रहे। इस अवस्था में पेट को यथासंभव अंदर की ओर रखते हुए घुटने और जांघ की मांसपेशियों को ऊपर की ओर खींचें। अब सांस छोड़ते हुए आगे झुकें और दोनों हथेलियों को जमीन पर टिका दें। फिर अपने पैरों को पीछे ले जाकर दाएं घूम जाएं और दायीं हथेली जमीन पर टिका दें ताकि पूरे शरीर का भार दाहिने हाथ पर आ जाए।

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अब सांस भरते हुए बाएं पैर का पंजा दाहिनी जंघा के ऊपर रखें यानी अर्धपद्मासन जैसा पोज बनाएं। कुछ पल बाद सांस छोड़ते हुए और बाएं हाथ को पीठ की तरफ से लाते हुए बाएं पैर के पंजे को पकड़ें। इस स्थिति में 5 से 10 बार धीमी-लंबी गहरी सांस लें और छोड़ें। जितनी देर संभव हो, इस स्थिति में रुकने के बाद, सांस बाहर निकालते हुए पंजे को छोड़ दें और  बाएं पैर को सीधा कर लें,बाएं हाथ को बायीं जंघा पर रखें और धीरे-धीरे मूल अवस्था में लौट आएं। कुछ सेकेंड के विश्राम के बाद यही प्रक्रिया दूसरी तरफ से भी   दोहराएं। पूरी प्रक्रिया के दौरान ध्यान नाभि पर रहे। 

ये हैं लाभ 

  • मन का भटकाव रुकता है और एकाग्रता बढ़ती है। 
  • पाचन-तंत्र में रक्त संचार तेज होने से पेट के अंग सक्रिय होते हैं। 
  • पीठ की जकड़न समाप्त होती है और रीढ़ और कमर लचीली बनती है। 
  • हाथों और पैरों की ताकत बढ़ती है। 

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  • कूल्हों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। 
  • कंधे चौड़े होते हैं। 
  • पूरे नाड़ी-तंत्र में संतुलन स्थापित होता है। नाड़ी तंत्र के सक्रिय होने से मस्तिष्क सजग रहता है। 
  • घुटनों का लचीलापन बढ़ता है। 
  • शरीर के अन्य जोड़ों में भी लचीलापन बरकरार रहता है जिससे आप चलने-फिरने में स्वयं को हल्का और फिट महसूस करते हैं। 

सावधानी 

  • इस आसन को एक बार में दोनों ओर से एक-एक बार ही करें। 
  • कलाई,कोहनी और कंधे के जोड़ों में कोई परेशानी हो, तो इसे न करें। 
  • बेहतर होगा किसी योग प्रशिक्षक की निगरानी में ही यह आसन शुरू करें। 

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