आसनों की शृंखला में मत्स्यासन ऐसा आसन है, जो शरीर के आंतरिक अंगों और रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) को स्वस्थ रखा हैं। यह आसन आपकी सेहत में चार चांद लगा सकता है... आसनों की शृंखला में मत्स्यासन ऐसा आसन है, जो रीढ़ की हड्डी(स्पाइन) को लचीला बनाकर शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध होता है।
मत्स्यासन करने की विधि
- स्वच्छ वातावरण में समतल जमीन पर आसन बिछाकर सुखासन में बैठ जाएं।
- कुछ देर सांस को सामान्य करने के बाद पद्मासन लगा लें।
- हाथों का सहारा लेकर पीठ को पीछे की ओर धीरे-धीरे लाते हुए पीठ के बल लेट जाएं।
- पैरों के अंगूठों को पकड़कर उन्हें थोड़ा अपनी तरफ लाएं और पद्मासन को ठीक करते हुए घुटनों को जमीन पर अच्छी तरह से टिका दें।
- सांस भरें और पीठ, कंधों को ऊपर उठा गर्दन को पीछे की तरफ ले जाएं। सिर के भाग को जमीन पर टिका दें।
- पैरों के अंगूठों को पकड़ लें और सांस को सामान्य रखते हुए यथाशक्ति रोकने के बाद पद्मासन खोल लें। कुछ देर शवासन में लेटने के बाद पूर्व स्थिति में आ जाएं।
मत्स्यासन करने के लाभ
1.प्रजनन अंगों को सशक्त बनाता है।
2.कब्ज को दूर करने में सहायक है।
3.सांस संबंधी रोगों को दूर करने में सहायक है।
4.रीढ़ की हड्डी को लचीला व गर्दन के कड़ेपन को दूर करता है।
5.फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
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विशेष: अगर पद्मासन न लग सके, तो टांगों को सीधा रखें और पैरों को मिलाने के बाद आगे की विधि पूर्ववत ही रखें।
योगाभ्यास शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें और योग्य योग शिक्षक की देखरेख में ही आसनों की शुरुआत करें।
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