
पीलिया एक ऐसा रोग है जो हेपेटाइटिस 'ए' या हेपेटाइटिस 'सी' वायरस के कारण फैलता है। पीलिया शरीर के अनेक भागों को अपना शिकार बनाता है और शरीर को बहुत हानि पहुंचाता है। यह रोग बच्चों को बहुत जल्दी होता है। इस रोग में पाचन तंत्र सही ढंग से काम नहीं करता है और शरीर का रंग पीला पड़ जाता है। इस रोग से बचने के लिए रोगी अनेक तरह के उपचार और एंटी बायोटिक का सहारा लेता है। इस समय अक्सर माता पिता के मन में यह बात आती है कि वह अपने बच्चे को कौन से आहार खाने और कौन से नहीं खाने चाहिए और किस तरह अपनी दिनचर्या को चलाना चाहिए। अगर आप भी इसी संदेह में रहते हैं तो आज हम आपको इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं।
पीलिया के शुरूवाती लक्षण
- खाने की इच्छा कम होना
- बुखार होना
- गंभीर थकान होना
- अत्यंत कमजोरी
- सिरदर्द
- ज्वर होना
- मिचली होना
- भूख न लगना
- अतिशय थकावट
- सख्त कब्ज होना
शिशुओं के पीलिया की जांच
- नवजात शिशु में पीलिया खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने के कारण होता है।
- अगर मां का खून आरएच निगेटिव है और पिता का आरएच पॉजिटिव तो पीलिया होने की संभावना ज्यादा होती है।
- नवजात में पीलिया की जांच के लिए शिशु के खून के नमूने की जांच की जाती है।
- सबसे पहले लैब में बच्चे के ब्लड ग्रुप की जांच की जाती है।
- शिशु की कंपलीट ब्लड काउंटिंग (सीबीसी) की जाती है।
- शिशु के बिलिरूबीन (यह एक केमिकल है जो कि लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से निकलता है) के स्तर की जांच की जाती है।
- शिशु में बिलिरूबीन का स्तर ज्यादा होने से दिमाग तक को नुकसान हो सकता है।
बच्चों को पीलिया से बचाने के उपाय
- यह बहुत ही ज़रूरी है कि आपका बच्चा साफ पानी का इस्तेमाल करे। पुराने समय में पानी को उबालकर पीना ज़रूरी होता था। लेकिन आज बाज़ार में पानी को शुद्ध करने के लिए बहुत से ब्रांड की मशीनें आ रही हैं। चाहे स्कूल जाना हो या पिकनिक जाना हो ध्यान रखें कि आपका बच्चा घर से पानी की बोतल ले जाये। बच्चे को रेस्ट्रां या बाहर का पानी बिलकुल ना पीने दें।
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- बाहर का खाना विशेषतः वो खाना जो ठीक से पका ना हो उसे ना खाएं। गोल गप्पे, चाट, चुस्की में पीलिया फैलाने वाले वायरस होते हैं। बच्चे को इन विक्रेताओं से दूर रखने के लिए घर से बना हुआ स्नैक्स दें।
- एक साफ सुथरे रोटीन का पालन करने से पीलिया के साथ बहुत सी बीमारियां दूर रहती हैं। बच्चे को खाने से पहले और बाथरूम का प्रयोग करने के बाद डिसिन्फेक्टेंट साबुन से हाथ साफ करने की सलाह दें। ध्यान रखें कि बच्चा अपने साथ पेपर सोप या हैंड सैनिटाइज़र ज़रूर रखे।
- रसोईघर और बर्तन साफ रखें। स्कूल के लिए लंच पैक करते समय ध्यान रखें कि खाने को ठीक प्रकार से आलमुनियम फाएल में पैक करें और चम्मच और फार्क देना ना भूलें।
- बच्चे को कुछ ज़रूरी निर्देश देना ना भूलें। उन्हें सफाई के बारे में समझाएं और गंदगी से होने वाली बीमारियों के बारे में भी निर्देश दें।
- बदलता मौसम ही वह समय होता है जब पानी से होने वाली बीमारियां फैलती हैं। पीलिया की शुरूवात में आंखें, नाखुन और त्वचा पीली हो जाती हैं इसलिए ऐसे लक्षणों का ध्यान दें। बच्चे में खाने की कमी या कमज़ोरी को नज़रअंदाज़ ना करें।
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