बवासीर या पाइल्स (Piles) एक ऐसी बीमारी है जिसमें कि व्यक्ति के एनस जहां से मल त्याग किया जाता है वहां, एक मस्से के समाल स्किन जमा हो जाती है। इससे एनस के बाहरी और अंदरूनी हिस्से में सूजन आ जाती है और मल त्याग में दर्द और ब्लीडिंग होती है। लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी खराब होती लाइफस्टाइल और डाइट। जी हां, डॉ. डीबी पाठक (B.D Pathak), निदेशक- जीआई, मीनिमल सर्जरी और बेरिएट्रिक सर्जरी बताते हैं कि पाइल्स जैसी बीमारियों को बदलते जीवन शैली ने और खराब कर दिया है। इसकी वजह से मल विसर्जन में पीड़ा, खून का रिसना और मवाद का आना आदि दिक्कते होती हैं। असल में इन बीमारियों का मुख्य कारण मानसिक तनाव, खाने में रेशेदार सब्जियां और फल की कमी है। लेकिन बात अगर नॉन वेजिटेरियन लोगों की करें तो, क्या मछली और मीट खाना चाहिए या नहीं (can we eat fish in piles)?
बवासीर में मछली खाना चाहिए या नहीं- Can we eat fish after piles
बवासीर में मछली खाना चाहिए या नहीं ये सवाल बहुत लोग पूछते हैं। तो, मछली नॉन वेजिटेरियन फूड है जो ज्यादा तेल-मसाले के साथ बनाया जाता है। इसे अलग-अलग तरीके से तल कर और भून कर बनाया जाता है। जैसे कि मछली के पकोड़े, सूखी मछली और मछली भात। इसमें काफी मिर्च मसाला होता है जिसमें ज्यादा प्याज-मसाला होता है। इसलिए मछली खाना नुकसानदायक है। इसलिए इसे खाने से पाइल्स की समस्या बढ़ सकती है। इससे कब्ज की समस्या बढ़ जाती है जिससे पाइल्स के अन्य लक्षण खराब हो सकते हैं। हालांकि, मछली को आप भाप लगा कर बना सकते है तो, इसे खाना ज्यादा नुकसानदेह नहीं होगा। पर कोशिश करें कि इनमें दूसरी उबली सब्जियों को मिला कर खाएं। क्योंकि इन उबली हुई सब्जियों में फाइबर होता है जो कि पाइल्स के रोगियों के लिए फायदेमंद है।
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बवासीर में नॉन वेज खाना क्यों नुकसानदेह है?
- -नॉन वेज सुपाच्य भोजन नहीं होता और इसे पचाने में आपके पेट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
- -नॉन वेज बहुत ज्यादा तेल मसालों से बनाया जाता है जिससे कब्ज की समस्या हो सकती है।
- -नॉन वेज में अनहेल्दी फैट्स होते हैं जो पेट की दूसरी परेशानियों को बढ़ा सकते हैं जिससे कि मल त्याग में जोर लगाना पड़ता है और ब्लीडिंग बढ़ जाती है।
- -नॉन वेट पाइल्स में जलन को भी बढ़ा सकते हैं।
बवासीर में किन बातों का रखें खास ध्यान
बवासीर में आप अपनी डाइट में फल और सब्जियों का ज्यादा सेवन करना चाहिए। आप इनका जूस पी सकते हैं या फिर आप उन्हें ऐसे भी खा सकते हैं। आपको बस इस बात का ध्यान रखना है कि आपको उन चीजों को खाना है जिसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है जो पेट को सही रखता है और मेटाबोलिज्म को सही रखता है। कोशिश करें कि कब्ज बनाने वाली चीजों से बचें और उन चीजों को खाएं जो कि पेट साफ करता है। इसके अलावा इन चीजों को डाइट में जोड़ने से बचें। जैसे कि
- - दूध, पनीर और अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स
- -मैदा से बनी चीजें। जैसे सफेद ब्रेड और पास्ता आदि।
- - प्रोसेस्ड फूड्स जिसमें फाइबर कम हो और सोडियम की मात्रा ज्यादा। इनसे कब्ज बढ़ जाता है।
- -तले हुए खाद्य पदार्थ। ये आपके पाचन तंत्र पर कठोर हो सकते हैं और पचाने में मुश्किल हो सकते हैं।
- -नमकीन खाद्य पदार्थ। वे सूजन का कारण बन सकते हैं और आपके बवासीर को अधिक संवेदनशील बना सकते हैं।
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डॉ. पाठक की मानें, तो सर्जरी के जरिए चिकित्सा के जगत में इन बीमारियों का इलाज आसान हो गया है। बवासीर के लिए स्टैपलर तकनीक का इस्तेमाल करने से ओप्रेशन सफलतापूर्वक करके मरीज को घर जल्दी भेज दिया जा सकता है। बवासीर के लिए एडोस्कोपी का भी इस्तेमाल से किया जाता है जिससे मरीज जल्दी घर जाकर अपनी दिनचर्या शुरू कर देता है। पर जरूरी ये है कि आप अपनी लाइस्टाइल ठीक करें और इस बीमारी से बचें।
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