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7 Month Baby Delivery: प्रेग्नेंसी और डिलीवरी दोनों ही कई तरह की जटिलताओं से भरी होती है। प्रेग्नेंसी का सफर आसान हो, इसके लिए महिलाओं को अच्छी डाइट, जीवनशैली, सोने का सही पैटर्न आदि सब फॉलो करने पड़ते हैं। अगर वे जाने-अनजाने ऐसी चीजें करती या खाती हैं, जो बॉडी को सूट नहीं कर रही है, तो इससे उनकी सेहत को भारी नुकसान हो सकता है। यहां तक कि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर भी नेगेटिव असर पड़ सकता है और कई बार यह 7वें महीने में डिलीवरी का कारण बनता है। ऐसे में यह सवाल हर महिला के मन में उठता है कि क्या प्रेग्नेंसी के 7वें महीने की डिलीवरी को नॉर्मल माना जा सकता है? आखिर इसके साथ किस तरह के जोखिम जुड़े हुए हैं? आइए, Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से जानते हैं इससे जुड़ी तमाम जरूरी बातें। (7 Mahine Me Delivery Hona)
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क्या 7वें महीने में डिलीवरी नॉर्मल होती है?- Is It Healthy To Give Birth At 7 Months Of Pregnancy In Hindi
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7वें महीने में डिलीवरी का मतलब होता है 28 से 31 सप्ताह के बीच डिलवरी होना। आपको बता दें कि 7वें महीने की डिलीवरी किसी भी तरह से नॉर्मल डिलीवरी नहीं मानी जा सकती है। WHO के अनुसार 7वे महीने में जन्मे शिशु को प्रीमैच्योर कहा जा सकता है। इस तरह की डिलीवरी में नवजात शिशु का एनआईसीयू में रखा जाता है और स्पेशल केयर की जाती है, तो कि सर्वाइव कर सकें। जिन शिशुओं का जन्म 7वें महीने में होता है, उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का रिस्क रहता है, जैसे सांस लेने में तकलीफ और स्तनपान करने में दिक्कतें। विशेषज्ञ इस बात को स्पष्ट करते हैं कि 37वें सप्ताह के बाद की डिलीवरी ही नॉर्मल होती है। सही समय पर जन्मे शिशु का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है और विकास पर भी नेगेटिव असर नहीं पड़ता है।
| Sr. N | Categories | Time Of Delivery |
| 1. | Extremely Preterm | Less Than 28 Weeks |
| 2. | Very Preterm | 28 to Less Than 32 Weeks |
| 3. | Moderate To Late Preterm | 32 to 37 Weeks |
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7वें महीने में डिलीवरी से जुड़े जोखिम
- सांस संबंधी समस्याः जिन शिशुओं का जन्म 7वें महीने में हो जाता है, उन्हें रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। असल में ऐसा इसलिए होता है क्योंकि 7वें महीने तक शिशुओं के लंग्स पूरी तरह डेवेलप नहीं होते हैं।
- स्तनपान में दिक्कतेंः 9 महीने तक गर्भ में रहने वाले शिशु जन्म के लिए पूरी तरह तैया होते हैं। वहीं, जिन शिशुओं की प्रीमैच्योर डिलीवरी होती है, ऐसे बच्चों को मां का स्तनपान करने में दिक्कतें आती हैं और उनका शरीर दूध को सही तरह से हज्म भी नहीं कर पाता है और बॉडी न्यूट्रिएंट को एब्जॉर्ब भी नहीं कर पाती है।
- इंक्यूबेटर की जरूरतः प्रीमैच्योर जन्मे शिशु अपनी बॉडी को गर्म नहीं रख पाते हैं, जन्म के बाद कुछ दिनों के लिए उन्हें इंक्यूबेटर में रखना पड़ता है।
- ब्रेन और हार्ट प्रॉब्लमः प्रीमैच्योर जन्मे शिशुओं का हार्ट और ब्रेन दोनों ही बहुत नाजुक और अंडर डेवेलपिंग स्टेज में होता है। ऐसे बच्चों में भविष्य में जाकर हार्ट प्रॉब्लम का रिस्क बना रहता है। यहां तक कि जन्म के तुरंत बाद ब्रेन या हार्ट ब्लीडिंग का रिस्क भी होता है। हालांकि, सब प्रीमैच्योर जन्मे बच्चों के साथ ऐसा हो, यह जरूरी नहीं है।
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निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी के सफर में महिलाओं को अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखना चाहिए। उन्हें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे उन्हें प्री-टर्म डिलीवरी से गुजरना पड़े। यह स्थिति न तो महिला और न ही शिशु के स्वास्थ्य के लिहाज से सही होती है। हालांकि, तमाम कोशिशों और सावधानियों के बावजूद कई महिलाओं को 7वें महीने में डिलीवरी हो जाती है। अगर किसी के साथ ऐसा होता है, तो उन्हें लापरवाही नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपने शिशु को जन्म के बाद कुछ दिनों तक लगातार डॉक्टर की ऑब्जर्वेशन में रखना चाहिए। साथ ही, मां को शिशु की स्पेशल केयर करनी चाहिए।
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FAQ
अगर 7 महीने में बच्चा पैदा हो जाए तो क्या होगा?
अगर 7 महीने में बच्चा पैदा हो जाता है, तो उन्हें डॉक्टर की देखरेख की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि 7वें महीने में जिन बच्चों का जन्म होता है, वे कमजोर होते हैं, उनके ऑर्गन्स भी पूरी तरह डेवेलप नहीं हुए होते हैं।प्रेग्नेंसी में लास्ट अल्ट्रासाउंड कब कराएं?
प्रेग्नेंसी में आखिरी अल्ट्रासाउंड आमतौर पर 28वें सप्ताह के बाद, कभी-कभी 36वें या डिलीवरी से ठीक पहले किया जाता है। यह बच्चे की ग्रोथ और हेल्थ कंडीशन पर भी निर्भर करता है।क्या 8 महीने में पैदा हुआ बच्चा जीवित रह सकता है?
8 महीने में पैदा हुआ बच्चा भी प्रीमैच्योर होता है। हालांकि, 32वें सप्ताह बाद शिशु के जीवित रहने की संभावना 95 प्रतिशत तक होती है।
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Dec 30, 2025 15:57 IST
Published By : Meera Tagore
