बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आयरन बेहद जरूरी होता है क्योंकि यह पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है। इसकी कमी के कारण बच्चों को एनीमिया या कोई मानसिक रोग भी हो सकता है।
आयरन, बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के अलावा हीमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है। हीमोग्लोबिन कोशिकाओं को ऑक्सीजन पहुंचाने व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसी कारण जल्दी जन्मे या कम वजन के बच्चों को आयरन की खुराक दी जाती हैं। वहीं अन्य आवश्यक पदार्थ जैसे कैल्शियम व फॉस्फोरस, हड्डियों की बढ़त के लिए जरूरी है। डॉक्टर बच्चे को प्रचुर मात्रा में कैल्शियम देने की सलाह देते हैं, ताकि बाद में फ्रैक्चर आदि की आशंका कम हो सके।
आयरन के साथ विटामिन और प्रोटीन भी शिशु के लिए आवश्यक होते हैं। विटामिन ए व ई, बच्चे की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक होते हैं। प्रोटीन बच्चे की समग्र वृद्धि व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर के ऊतकों के निर्माण व इनकी मरम्मत करता है। प्रोटीन की कमी के चलते बच्चे की विकास गति धीमी पड़ सकती है।
छह महीने के बाद बढ़ते बच्चे की क्या आवश्यकताएं हैं, अक्सर इस बारे में आधी- अधूरी जानकारी की वजह से विकसित होते बच्चों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी रह जाती है। विशेषतौर पर वे बच्चे जो समय से पूर्व जन्मे हों या जिनका वजन कम हो। विशेषज्ञ इस संदर्भ में बताते हैं कि छह महीने के बाद बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता, क्योंकि पहले तक तो उन्हें आयरन, प्रोटीन, जिंक, विटामिन व कैल्शियम जैसे पोषक तत्व मां के दूध या अलग से डाक्टरों द्वारा से मिलते थे, जो कि बाद में उन्हें ठोस आहार से नहीं मिल पाते।
ध्यान रखें कि यदि आपका बच्चा छह महीने का होने जा रहा है तो आपको यह सोचना शुरू कर देना चाहिए कि उसे खाने में आपको वे कौंन सी चीजें देनी हैं, जिनमें आयरन व अन्य आवश्य पदार्थ हों। छह महीने के बाद आपके बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं और आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि आपके बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक खुराक मिले। ऐसे में वह बहुत ज्यादा नहीं खआ पाता और यह बहुत जरूरी हो जाता है कि बच्चे को थोड़े-थोड़े अंतराल पर खाने के लिए पौष्टिक आहार दिया जाए।
क्या कहता है अध्ययन
स्वीडन में हुए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि आयरन युक्त आहार जन्म के समय कम वजन वाले छोटे बच्चों के दिमागी विकास में सहायक होता है, और उन्हें व्यवहारगत समस्याओं से बचा सकता है। शोधकर्ता मानते हैं कि जन्म के समय कम वजन के शिशुओं में आयरन की कमी की संभावना रहती है। ऐसे शिशुओं को ठीक से विकास के लिए अन्य शिशुओं की तुलना में अधिक पोषक तत्वों जरूरत होती है। खासतौर पर जब तबकि वे समय से पूर्व जन्मे हों।
इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता मानते हैं कि इस शोध से ये बात और भी पुख्ता हो जाती है कि जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों को आयरन युक्त आहार जरूर दिये जाने चाहिए। इस शोध में 4 पाउंड, 7 औंस और 5 पाउंड, 8 औंस के बीच पैदा हुए 285 शिशुओं पर अध्ययन किया गया। जब ये बच्चे छह महिने के थे, शोधकर्ताओं ने बेतरतीब ढंग से शरीर के प्रति किलोग्राम वजन के हिसाब से इन्हें एक या दो मिलीग्राम आयरन ड्रॉप्स दीं।
कैसे करें ठोस आहार की शुरुआत
बच्चे को ठोस आहार क्या दिया जाए और कब दिया जाए यह जानना महत्वपूर्ण है। यह एक धीम-धीमे बढ़ने वाली प्रक्रिया है। खुराक आयरन कैलोरी व प्रोटीन से भरपूर होनी चाहिए। ध्यान रहे कि आप ऐसे खाद्य पदार्थ चुनें, जिनसे आपके बच्चे की सभी पौषण संबंधी जरूरतें पूरी हो सकें। शुरुआत में शिशु को हल्का कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ दे सकते हैं, जैसे कि सूजी की खीर, घी वाली खिचड़ी, दलिया, कुचला हुआ केला आदि। लेकिन आपके शिशु के लिए इस उम्र में आयरन भी बेहद अहम है। जो शिशु मां के गर्भ में वक्त पूरा करके जन्म लेते हैं उसके शरीर में आयरन का भंडार छह महीनों तक रहता है। उसके बाद उसके शरीर से आयरन का कम होने लगता है और उसकी खुराक में आयरन की पर्याप्त मात्रा शामिल करना बेहद जरूरी हो जाता है। इस लिहाज से आयरन युक्त खाद्य को खास महत्व दें। आप कुचली हुई सब्जियों से शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे उसे अन्य चीजें खिलाएं। दालें, फलियां, अंकुरित दालें, ब्रोकली व बंदगोभी आदि आयरन का अच्छा स्त्रोत हैं।
कितने आयरन की होती है जरूरत
किसी स्वस्थ मां के स्वस्थ नवजात शिशु के शरीर में इतना आयरन होता है कि मां के दूध से ही उसकी 4 से 6 माह तक की आयरन की जरूरत पूरी हो जाती है। लेकिन यदि बच्चा समय से पहले पैदा हुआ हो या जन्म के समय उसका वजन कम हो तो डॉक्टर जरूरत के हिसाब से उसे आयरन की खुराक देते हैं।
किसी सामान्य 7 से 12 महिने तक के शिशु को रोज 11 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है। वहीं 1 से 3 साल तक के शिशु को प्रतिदिन 7 मिलीग्राम आयरन की आवश्यक होता है।
जब शिशु 4 वर्ष से 8 साल का हो जाता है तब उसे 10 मिलीग्राम आयरन प्रतिदिन चाहिए होता है। 9 से 13 साल आयु हो जोने पर यहीं जरूरत 8 मिलीग्राम प्रतिदिन हो जाती है। किशोरावस्था में लड़कियों को लड़कों की तुलना में अधिक आयरन की जरूरत होती है।
जहां किशोरावस्था में लड़के के शरीर को 11 मिलीग्राम आयरन प्रतिदिन चाहिए होता है, इसी समय लड़की को 15 मिलीग्राम प्रतिदिन आयरन की आवश्यकता होती है।