रोटी चावल वाला इंडियन खाना स्वास्थ्य के लिए नहीं है फायदेमंद, जानें इंडियन डाइट को लेकर ईट-लैंसेट की रिपोर्ट

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के डेटा का उपयोग करके ईट-लैंसेट ने इस विश्लेषण को किया है। आइए जानते हैं पूरी रिपोर्ट।
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रोटी चावल वाला इंडियन खाना स्वास्थ्य के लिए नहीं है फायदेमंद, जानें इंडियन डाइट को लेकर ईट-लैंसेट की रिपोर्ट


भारतीय आहार परंपरा के तरह आने वाला देसी खाना, स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद नहीं है। ये हम नहीं बल्कि ईएटी-लांसेट आयोग (Eat-lancet Report) की रिपोर्ट कह रही है। इस रिपोर्ट की मानें, तो भारतीय खाना जिसमें तमाम प्रकार के व्यंजन शामिल है इसका पैटर्न अनहेल्दी है। रिपोर्ट में कहा गया है भारतीय आहार राज्यों, आय समूहों और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के आधार पर पैटर्न वाइस देखा गया तो ये अस्वस्थ पाए गए हैं। रिपोर्ट में ईएटी-लैंसेट के संदर्भ आहार के साथ भारत में भोजन की खपत के पैटर्न की तुलना की गई है। तो आइए अब जानते हैं क्यों रोटी और चावल जैसे इंडियन टाइट को ईएटी-लांसेट की इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी नहीं बताया है।

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क्या कहता है शोध

इस अध्ययन ने 2011-12 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा आयोजित उपभोग व्यय सर्वेक्षण से विश्लेषण के लिए डेटा का उपयोग किया। सर्वेक्षण में देश भर के 7,469 गांवों और 5,268 शहरी ब्लॉकों से 0.102 मिलियन परिवारों का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि नमूना लिया गया। फिर इसमें खान-पान का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि भारत में दैनिक कैलोरी की खपत कम है। इस कैलोरी की खपत से शोध में पता लगाया गया कि ये स्वास्थ्य के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित नहीं हो पाते होंगे।

भारत में औसत दैनिक कैलोरी की खपत 

भारत में औसत दैनिक कैलोरी की खपत सभी समूहों में अनुशंसित 2,503 kcal / capita / दिन से नीचे है, जिसमें सबसे अधिक 5 प्रतिशत आबादी शामिल है।भारतीय आहार में फल, सब्जियां, फलियां, मांस, मछली और अंडे की कैलोरी हिस्सेदारी काफी कम थी, जबकि EAT-Lancet ने अपने सुझावों में साबुत अनाज के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कहा है। वहीं बात प्रोटीन की जाए, तो प्रोटीन स्रोतों से प्राप्त कैलोरी केवल छह से आठ प्रतिशत भारतीय आहारों में है, जबकि ईएटी-लैंसेट आहार के सुझावों की माने तो ये हिस्सेदारी 29 प्रतिशत या इससे ज्यादा की होनी चाहिए।

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एक औसत भारतीय परिवार फलों की तुलना में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (प्रोसेस्ड फू्डस) से अधिक कैलोरी का उपभोग करते हैं। ईएटी-लैंसेट का सुझाव है कि आपके कुल दैनिक कैलोरी का एक तिहाई (811 किलो कैलोरी) पूरे अनाज से आना चाहिए। पूरे अनाज से औसत भारतीय परिवार को उनकी कुल कैलोरी का लगभग आधा (47 प्रतिशत) ही प्राप्त होता है। सबसे गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए अनाज का कैलोरी हिस्सा 70 प्रतिशत तक है।

इस अनहेल्दी डाइट का प्रभाव

अस्वास्थ्यकर आहार कुपोषण और कई बीमारियों से जुड़े हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अनहेल्दी डाइट और अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि व नॉन कॉम्निकेबल रोगों के जोखिमों का बड़ा कारक हैं। ईट-लैंसेट संदर्भ आहार और मौजूदा आहार भत्ते के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा ऐसा एक भत्ता केवल मानव पोषण संबंधी आवश्यकताओं को ध्यान में रखता है, जबकि ईएटी-लैंसेट आहार में कई खाद्य पदार्थों को शारीरिक स्वास्थ्य की भलाई के बारे में कहता है।

प्रत्येक खाद्य समूह की कैलोरी खपत

शोध में विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि ग्रामीण और शहरी, गरीब और अमीर घरों के लिए आहार की तुलना ईएटी-लैंसेट के द्वारा बताए गए आहार के पैटर्न के साथ की गई थी।ईएटी-लैंसेट आहार में आठ खाद्य समूह शामिल हैं: 

  • -साबुत अनाज
  • - स्टार्च युक्त सब्जियां
  • - फल
  • - अन्य सब्जियां
  • - डेयरी खाद्य पदार्थ
  • -प्रोटीन और फैट आदि है।

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आयोग का कहना है कि वैश्विक आहार को स्वस्थ बनाना ही होगा, जो भविष्य में हमें कई बीमारियों से बचाए रख सकता है। वहीं लैंसट की इस रिपोर्ट में पर्यावरण सुरक्षा आधारित खाने पर भी जोर दिया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2050 तक एक स्थायी वैश्विक खाद्य प्रणाली का अर्थ है, बिना किसी अतिरिक्त भूमि उपयोग के भोजन में सभी के लिए पर्याप्त रूप से स्वस्थ भोजन, जैव विविधता की सुरक्षा, पानी का उपयोग कम करना, जलमार्गों में नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी, शुद्ध शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन और मीथेन का काफी कम करना आदि लक्ष्य शामिल है। 

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