देश में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में समय के साथ तेजी से गिरावट आई है। इस बात की जानकारी यूके के रॉयल डेवोन ऐंड एक्सेटर हॉस्पिटल के क्लीनिकल एजूकेशन ऐंड कंसल्टेंट कॉर्डियोसॉजिस्ट जॉन मेकॉन ने दी।
उन्होंने कहा, 'भारतीय मातृ मृत्यु दर में गिरावट आ रही है, धीरे-धीरे ही सही लेकिन लगातार गिरावट आ रही है। मातृ मृत्यु दर हर साल प्रति 1 लाख बच्चों के जन्म के दौरान प्रेग्नेंसी या उसके मैनेजमेंट की वजह से होने वाली मांओं की मौत की संख्या होती है। (दुर्घटना या किसी बाहरी घटना को छोड़कर)'
देश में मातृ मृत्यु पर मैकइवान ने कहा कि 2014 में दर्ज हुई 124 मौतों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में 23.4 फीसदी मौतें प्रसव के बाद होने वाले रक्त स्राव, 17.7 फीसदी मौतें एनीमिया या खून की कमी, 4.8 फीसदी मौतें प्रसव पूर्व रक्त स्राव और 14 फीसदी मौतें इक्लैम्प्सीअ (प्रेग्नेंसी के दौरान कोमा में जाने वाली स्थिति) के कारण हुईं।
शीघ्र निदान और उपचार के लिए जिन्हें दिल की बीमारी है उनके लिए प्रेग्नेंसी के दौरान जिन्हें डाइयुरेटिक्स बहुत जरूरी होती है। यूके के हल ऐंड ईस्ट यॉर्कशर एनएचएस हॉस्पिटल के कंसलटेंट नेफ्रोलॉजिस्ट सुनील भंडारी ने कहा कि प्रेग्नेंसी के दौरान हाइपरटेंशन सबसे आम समस्या थी।
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