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Khushkhabri with IVF: एंडोमेट्रियोसिस से आईवीएफ ट्रीटमेंट पर क्या प्रभाव पड़ता है? डॉक्टर से जानें इसका समाधान

कई महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या का सामना करना पड़ता है। आगे जानते हैं कि एंडोमिट्रियोसिस किस तरह से आईवीएप ट्रीटमेंट को प्रभावित कर सकता है?   
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Khushkhabri with IVF: एंडोमेट्रियोसिस से आईवीएफ ट्रीटमेंट पर क्या प्रभाव पड़ता है? डॉक्टर से जानें इसका समाधान


Khushkhabri with IVF: एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं के गर्भाशय से संबंधित एक आम समस्या है। इस समस्या में महिलाओं को पीरियड्स और गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है। डॉक्टर्स के मुताबिक इस समस्या में एंडोमेट्रियल टिश्यू गर्भाशय के बाहर अन्य अंगों तक बढ़ने लगते हैं। इस स्थिति में महिलाओं को तेज पेट में दर्द की समस्या होती है। कुछ महिलाओं को इस समस्या की वजह से दर्द इतना तेज होता है कि उनका किसी भी कार्य में मन नहीं लगता है। यह समस्या 35 साल से कम आयु की महिलाओं में देखने को मिलती है। इस समस्या का गर्भधारण करने में कई तरह की रूकावटें आ सकती है। शुरुआती दौर में इस समस्या को दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है। ऐसे में महिलाओं को पेट से जुड़ी किसी भी समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए। एंडोमेट्रियोसिस की समस्या आईवीएफ ट्रीटमेंट को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे में महिलाओं के इम्प्लांटेशन में परेशानी आ सकती है। साथ ही उनके आईवीएफ की सफलता दर में गिरावट आ सकती है। 

लोगों को आईवीएफ से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF सीरीज शुरु की है। इस सीरीज में आईवीएफ से संबंधित अस्पतालों के डॉक्टरों से संपर्क कर लोगों के मन में उठने वाले सवालों का जवाब दिया जाता है। आज की सीरीज में डॉ. स्नेहा मिश्रा, कंसलटेंट इंफर्टिलिटी और आईवीएफ, यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कड़कड़डूमा ने एंडोमेट्रियोसिस से आईवीएफ ट्रीटमेंट पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया गया है। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) उपचार की सफलता में महिलाओं का स्वस्थ गर्भाशय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आगे जानते हैं इससे जुड़ी समस्याएं और उनका समाधान। 

एंडोमेट्रियोसिस से जुड़ी इंफर्टिलिटी में ट्रीटमेंट के रूप में आईवीएफ

एंडोमेट्रियोसिस से संबंधित इंफर्टिलिटी वाली महिलाओं के लिए अक्सर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की सलाह दी जा सकती है। खासकर जब महिलाओं के लिए सर्जरी या ओव्यूलेशन इंडक्शन जैसे अन्य उपचार सफल न हो पाए हों। आईवीएफ में एक महिला के ओवरी से एग्स प्राप्त करना, उन्हें प्रयोगशाला में पुरुष स्पर्म के साथ निषेचित करना और एंब्रियो को गर्भाशय में स्थानांतरित करना शामिल है।

आईवीएफ के चरण

  • ओवरी स्टिम्यूलेशन: हार्मोनल दवाओं का उपयोग ओवरी को कई एग्स बनाने के लिए उत्तेजित (स्टिम्यूलेट) करने के लिए किया जाता है।
  • एग्स को प्राप्त करना: अल्ट्रासाउंड के द्वारा सुई की मदद से मैच्योर एग्स को ओवरी से निकाले जाते हैं। 
  • फर्टिलाइजेशन: एग्स को प्रयोगशाला में स्पर्म के साथ निषेचित (फर्टिलाइज) किया जाता है, और एंब्रियो को तैयार किया जाता है।
  • एंब्रियो ट्रांसफर: सफल गर्भधारण के लिए एक या अधिक एंब्रियो को गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। 

एंडोमेट्रियोसिस में आईवीएफ ट्रीटमेंट से जुड़ी समस्याएं 

हालांकि, आईवीएफ एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में इंफर्टिलिटी के लिए एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। लेकिन, इसमें कुछ जटिलताएं भी हो सकती है। आगे जानते हैं इस बारे में 

ओवरी रिस्पॉन्स कम होना

एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में अक्सर ओवरियन रिजर्व कम (कम एग्स उपलब्ध होना) हो जाते हैं। यह ओवरी स्टिम्युलेशन के लिए खराब हो सकता है। इससे आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान स्टिम्यूलेशन में कम एग्स प्राप्त हो सकते हैं। यह फर्टिलाइजेशन और एंब्रियो बनने की संभावनाओं को कम कर सकता है। 

एग्स की क्वालिटी कम होना

एंडोमेट्रियोसिस एग्स की क्वालिटी को प्रभावित कर सकता है, जिससे फर्टिलाइजेशन में कम हो सकती है। इसमें एंब्रियो विकसित होने की संभावना कम हो जाती है। जिससे आईवीएफ की सफलता दर प्रभावित हो सकती है। 

impact of endometriosis on ivf treatment

 

इम्प्लांटेंशन फेलियर 

एंडोमेट्रियोसिस से गर्भाशय पर हुए प्रभाव के चलते एंब्रियो के ट्रांसफर में बाधा डाल सकता है। ऐसे में ट्रीटमेंट के दौरान भले ही डॉक्टर  हेल्दी एंब्रियो को ट्रांसफर करें। लेकिन, इसमें आईवीएफ के फेलियर होने की संभावना काफी हद तक बढ़ सकती है। 

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का जोखिम बढ़ना

एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का जोखिम अधिक होता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में एंब्रियो गर्भाशय के बाहर इम्प्लांट होता है। आमतौर पर ऐसा फैलोपियन ट्यूब में होता है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है।

ओवरी हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (OHSS)

एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में ओवरी हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम के दौरान पेट के निचले हिस्से में सूजन और ओवरी में दर्द महसूस हो सकता है, जो आगे चलकर समस्या का कारण बन सकता है। 

एंडोमेट्रियोमा रप्चर

IVF के दौरान एंडोमेट्रियोमास (ओवरी सिस्ट) एग्स प्राप्त करने की प्रक्रिया को जटिल बना सकती है। दुर्लभ मामलों में, इस प्रक्रिया के दौरान सिस्ट फट सकते हैं, जिससे दर्द, संक्रमण या सर्जरी हो सकती है।

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एंडोमेट्रियोसिस में आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान होने वाली समस्याओं को कैसे कम करें? 

कई जटिलताओं के बावजूद, ऐसी कई प्रतिक्रियाएं हैं जो एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं के लिए IVF परिणामों को बेहतर बना सकती हैं। आगे जानते हैं इस बारे में। 

प्री-आईवीएफ सर्जरी

एंडोमेट्रियोमा या ओवरी के अन्य घावों को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है। इससे सफल आईवीएफ की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि, सर्जरी करवाने के निर्णय पर महिलाओं द्वारा सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें अपने जोखिम भी शामिल हैं।

आईवीएफ से पहले एंडोमेट्रियोसिस का कम करना

जीएनआरएच एगोनिस्ट (GnRH agonists) या एंटागोनिस्ट (Agonists) जैसे हार्मोनल ट्रीटमेंट का उपयोग आईवीएफ शुरू करने से पहले एंडोमेट्रियोसिस को कम करने के लिए किया जा सकता है। यह सूजन को कम कर सकता है, स्टिम्यूलेशन प्रक्रिया के लिए ओवरी की प्रतिक्रिया में सुधार कर सकता है और इम्प्लांटेशन की सफलता को बढ़ा सकता है। यह आईवीएफ से दो से तीन महीने पहले की जा सकती है। 

व्यक्तिगत ओवरी स्टिम्यूलेशन प्रोटोकॉल (Optimized Ovarian Stimulation Protocols)

जिन महिलाओं को में ओवरी रिजर्व कम होते हैं, उनसे एग्स प्राप्त करने के लिए डॉक्टर्स व्यक्तिगत ओवरी स्टिम्यूलेशन प्रोटोकॉल कर सकते हैं। इस दौरान कम दवाओं के उपयोग से ओवरी हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम से बचाव करते हुए, पर्याप्त संख्या में एग्स प्राप्त किये जा सकते हैं। 

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर (Blastocyst Transfer)

आईवीएफ ट्रीटमेंट में एग्स और स्पर्म के निषेचन के शुरुआती स्टेज (निषेचन के 3 दिन बाद) के बजाय ब्लास्टोसिस्ट स्टेज (यानी निषेचन के 5-6 दिन बाद) में एंब्रियो ट्रांसफर करने से इम्प्लांटेशन में वृद्धि हो सकती है। खासकर एंडोमेट्रियोसिस के केस में ब्लास्टोसिस्ट प्रत्यारोपण से इम्प्लांटटेशन की अधिक संभावना होती है।

फ्रोजन एम्ब्रियो ट्रांसफर (FET) का उपयोग

कुछ मामलों में, निषेचन के बाद सभी भ्रूणों को फ्रीज करना और उन्हें बाद की साइकिल में ट्रांसफर करना फायदेमंद हो सकता है। यह प्रक्रिया महिला के शरीर को ओवरी स्टिम्यूलेशन के प्रभावों से उबरने में मदद करती है और इम्प्लांटेशन के लिए ओवरी को तैयार करती है। 

जीवनशैली में बदलाव

हालांकि जीवनशैली में बदलाव एंडोमेट्रियोसिस को ठीक नहीं कर सकते, लेकिन वे महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं और संभावित रूप से प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आईवीएफ ट्रीटमेंट से गुजर रही महिलाओं को स्वस्थ डाइट लेने, नियमित रूप से व्यायाम करने, तनाव को मैनेज करने और धूम्रपान व सेक्स से बचने की सलाह दी जाती है। 

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एंडोमेट्रियोसिस एक गंभीर स्थिति है जो महिलाओं में फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। एंडोमेट्रियोसिस में आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान कुछ समस्याएं आ सकती है। अगर, सावधानी बरती जाए तो आप आसानी से एंडोमेट्रियोसिस से संबंधित जटिलताओं को कम किया जा सकता है। इसके लिए आप आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने से पहले डॉक्टर से बात कर सकते हैं।

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