दुनियाभर में कैंसर की बीमारी आज के समय में तेजी से फैल रही है। ज्यादातर लोगों में कैंसर की बीमारी का प्रमुख कारण जागरूकता की कमी और इसके शुरूआती समय में लक्षणों को पहचान न पाना होता है। कैंसर जैसी घातक बीमारी के मामले हमारे देश में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में अधिकतर लोगों की कैंसर की बीमारी के कारण मौत की सबसे प्रमुख वजह यह है कि उनमें इस बीमारी को लेकर जागरूकता की कमी है। कैंसर की बीमारी एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) के कारण भी हो सकती है। एचपीवी एक आम वायरस है जो तेजी से फैलता है और इसे बहुत खतरनाक माना जाता है। एक प्रकार के वायरल इन्फेक्शन के रूप में एचपीवी को देखा जाता है। इस वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन भी लगाई जाती है। सेक्सुअल पेनेट्रेशन के आलावा यह वायरस कई अन्य कारणों से भी फैल सकता है। दुनियाभर में हुई स्टडीज और रिसर्च यह कहती हैं कि एचपीवी (HPV) वायरस की वजह से लोगों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा रहता है। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
एचपीवी वायरस के कारण कैंसर का खतरा (HPV Virus Causes Cancer)
एचपीवी वायरस एक तरह का वायरल इन्फेक्शन है जिसका संक्रमण तेजी से फैलता है लेकिन शरीर में मौजूद एंटीबॉडी इसे खत्म कर देती है। स्टार मैटरनिटी हॉस्पिटल की स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ विजय लक्ष्मी के मुताबिक यह वायरस स्त्री और पुरुष दोनों को ही प्रभावित करता है लेकिन महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा रहता है। इससे संक्रमित होने की वजह से योनि और मुंह व गले में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। HPV वायरस के कारण कई तरह के कैंसर का खतरा भी रहता है। आइये जानते हैं इनके बारे में।
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1. गर्भाशय कैंसर (Cervical Cancer)
गर्भाशय ग्रीवा जो कि गर्भाशय का निचला हिस्सा होता है उसमें कैंसर होने पर इसे गर्भाशय कैंसर (Cervix Cancer/Cervical Cancer) कहा जाता है। महिलाओं में एचपीवी वायरस के कारण इस कैंसर का खतरा रहता है। शुरुआत में गर्भाशय कैंसर का पता चलने पर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है लेकिन जब यह अपने अंतिम स्टेज में होता है तो इसके इलाज में काफी परेशानियां आ सकती हैं। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर दो प्रकार के होते हैं जिसमें स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और गर्भाशय ग्रीवा के एडेनोकार्सिनोमा शामिल हैं।
2. योनि कैंसर (Vaginal Cancer)
महिलाओं की योनि या वजाइना में होने वाले कैंसर को वजाइनल कैंसर (Vaginal Cancer) या योनि कैंसर कहते हैं। एचपीवी वायरस के कारण भी यह कैंसर महिलाओं में हो सकता है। हालांकि योनि कैंसर बहुत कम लोगों में दखने को मिलता है लेकिन इसे काफी गंभीर माना जाता है। आमतौर पर वजाइनल कैंसर मस्कुलर ट्यूब (Muscular Tube) में होता है जो आपके यूटरस (गर्भाशय) को अन्य जेनिटल्स (बाहरी अंगों) से जोड़ती है।
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3. गुदा कैंसर (Anal Cancer)
गुदा कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर पाचन तंत्र की नली के आखिर में होने वाला कैंसर है। इस नली से शरीर का मल बाहर आता है। इस नली में होने वाले कैंसर को गुदा कैंसर कहते हैं। शारीरिक संबंध बनाते समय एचपीवी वायरस के इन्फेक्शन के कारण इस कैंसर का खतरा पुरुष और महिला दोनों में रहता है। इस कैंसर में गुदा के अंदर मौजूद कोशिकाओं में असामान्य बदलाव होने लगता है और कुछ समय बाद यह तेजी से फैल जाता है।
4. लिंग कैंसर (Penile Cancer)
पेनाइल कैंसर या लिंग का कैंसर पुरुषों में होता है और इसमें लिंग की कोशिकाओं में कैंसर की कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं। एचपीवी संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने या उनके संपर्क में आने से इस तरह का कैंसर हो जाता है। यह कैंसर अक्सर स्किन की कोशिकाओं में शुरू होता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है।
5. मुंह का कैंसर (Oral Cancer)
मुंह का कैंसर या ओरल कैंसर सबसे ज्यादा भारत में होता है। इसका सबसे प्रमुख कारण यहां के लोगों का तंबाकू, गुटखा आदि का सेवन है। लेकिन यह कैंसर एचपीवी वायरस के कारण भी लोगों में हो सकता है। असामान्य शारीरिक संबंध और एचपीवी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह कैंसर हो सकता है। मुंह का कैंसर होंठ, मसूड़े, जीभ, मुंह के ऊपर, गालों के अंदर या जीभ के नीचे और मुंह का मुलायम तल को प्रभावित करता है।
6. गले का कैंसर (Throat Cancer)
ज्यादातर गले के कैंसर मुख तार से शुरू होते है। और बाद में स्वर यंत्र से गले के पिछले हिस्से, जिसमें जीभ और टांन्सिल्स के हिस्से शामिल होते है, फैलते है, या स्वरयंत्र के नीचे से सबग्लोटीस और श्वासनली में फैलते है। एचपीवी वायरस के कारण भी गले का कैंसर हो सकता है। ऐसे लोग जो एचपीवी संक्रमित होते हैं उनमें इस तरह के कैंसर का खतरा रहता है।
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ऊपर बताये गए कैंसर एचपीवी वायरस के कारण हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर एचपीवी ग्रसित व्यक्ति में ये कैंसर हो। एचपीवी वायरस से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने पर इन तरह के कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
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