Oral Cancer: 45 की उम्र के बाद बढ़ जाता है मुंह के कैंसर का खतरा, जानें इसके लक्षण और बचाव का तरीका

ओरल कैंसर यानी की मुंह का कैंसर होंठ, मसूड़े, जीभ, मुंह के ऊपर, गालों के अंदर या जीभ के नीचे और मुंह का मुलायम तल को प्रभावित करता है। जब यह आपके टॉन्सिल, ऊपरी गले, या सॉफ्ट पैलेट को प्रभावित करता है, तो इसे "ऑरोफेरीन्गल" कहते हैं।  
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Oral Cancer: 45 की उम्र के बाद बढ़ जाता है मुंह के कैंसर का खतरा, जानें इसके लक्षण और बचाव का तरीका

ओरल कैंसर यानी की मुंह का कैंसर होंठ, मसूड़े, जीभ, मुंह के ऊपर, गालों के अंदर या जीभ के नीचे और मुंह का मुलायम तल को प्रभावित करता है। जब यह आपके टॉन्सिल, ऊपरी गले, या सॉफ्ट पैलेट को प्रभावित करता है, तो इसे "ऑरोफेरीन्गल" कहते हैं।  सॉफ्ट पैलेट वह जगह होती है, जहां आपके मुंह का ऊपरी हिस्सा आपके गले से मिलता है। मुंहा का कैंसर किसी को भी हो सकता है लेकिन 45 से अधिक उम्र के लोगों में इस प्रकार के कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। अगर आप मुंह के कैंसर से वाकिफ नहीं है या फिर आपको इस रोग से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस बीमारी के होने से पहले किस प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं और कैसे आप इस बीमारी से बच सकते हैं।

मुंह के कैंसर के लक्षण

आप किसी भी लक्षण को नोटिस नहीं कर सकते। लेकिन सबसे आम लक्षण है आपके गाल या होंठ के अंदर किसी प्रकार का घाव है, जो ठीक न हो रहा हो। आप अपने मुंह में एक गांठ महसूस कर सकते हैं या फिर लाल या सफेद रंग का पैच देख सकते हैं। मुंह में सुन्नपन जैसा महसूस होना, दर्द, रक्तस्राव, या कमजोरी, साथ ही आवाज में बदलाव, कान बजना और गले में खराश जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। बिना किसी स्पष्ट कारण के दांत गिर भी सकते हैं। लेकिन ये कम गंभीर समस्याओं के संकेत भी हो सकते हैं। अगर आपको कोई लक्षण दिखाई देता है तो आप अपने डॉक्टर को बताएं और इसका कारण जानने की कोशिश करें।

किन्हें होता है मुंह का कैंसर

वे महिलाएं और पुरुष, जो 45 साल की उम्र से ज्यादा है उन्हें मुंह का कैंसर होने की संभावना अधिक होती है हालांकि ये किसी भी उम्र में हो सकता है। जिन लोगों की त्वचा गोरी होती है उन्हें होंठ का कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। और कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि वे लोग, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है या फिर एचआईवी जैसी लंबी बीमारी से पीड़ित हैं उनमें उम्र के साथ-साथ मुंह का कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।

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तंबाकू का प्रयोग बढ़ा देता है मुंह के कैंसर का खतरा 

लगभग 90 फीसदी लोग,  जिन्हें मुंह का कैंसर सहित सिर या गर्दन का कैंसर होता है वे या तो तंबाकू का उपयोग करते हैं या फिर पैसिव स्मोकिंग का शिकार होते हैं। रूप कोई भी हो यह सिगरेट, सिगार, सूंघना या तंबाकू चबाने से हो सकता है। पाइप विशेष रूप से अधिक जोखिम भरे होते हैं क्योंकि आपके होंठ पाइप के तने से मिले हुए होते हैं। जो लोग गांजा का उपयोग करते हैं, उन्हें भी बीमारी होने की अधिक संभावना हो सकती है।

शराब भी मुंह के कैंसर का कारक

शराब इस बीमारी की संभावनाओं को बढ़ा सकता है, खासकर यदि आप नियमित रूप से बहुत ज्यादा शराब पीते हैं (एक दिन में एक या दो से अधिक ड्रिंक पीना)। और अगर आप शराब के साथ तम्बाकू का भी उपयोग करते हैं, तो आपको मुंह का कैंसर होने की संभावना अधिक हो जाती है, विशेषकर 50 वर्ष की आयु के बाद।

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कैसे करें मुंह के कैंसर का उपचार

डॉक्टर और डेंटिस्ट आमतौर पर नियमित चेक-अप के दौरान मुंह के कैंसर का पता लगा सकते हैं। अगर उन्हें किसी भी समस्या का कोई संकेत मिलता है तो वह आपके मुंह और गले के भीतर बड़ी सावधानी से देखते हैं। कभी-कभार वह किसी विशेष उपकरण का प्रयोग करते हैं और आपको अपने जबड़े, गर्दन में गांठ जैसा महसूस हो सकता है।अगर उन्हें कुछ मिलता है तो बायोप्सी नाम के टेस्ट के जरिए कैंसर की पुष्टि में मदद मिल सकती है।

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