एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine) किन बीमारियों से बचाती है और किसे लगवानी चाहिए? एक्सपर्ट से जानें सभी जरूरी बातें

एचपीवी वैक्सीन क्या है, किन लोगों को इस वैक्सीन की जरूरत पड़ती है और वो किन प्रकार की बीमारी से अपना बचाव करते हैं जानने के लिए पढ़ें यह खास रिपोर्ट।
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एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine) किन बीमारियों से बचाती है और किसे लगवानी चाहिए? एक्सपर्ट से जानें सभी जरूरी बातें

हम बात कर रहे हैं एचपीवी वैक्सीन (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) की। जाहिर सी बात है, यह वैक्सीन है तो इसे निश्चित तौर पर किसी बीमारी से बचाव के लिए बनाया होगा। तो इस आर्टिकल में हम उसी पर बात करेंगे कि यह वैक्सीन क्या है, इस किस बीमारी से बचाव के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। इसे किसे और किस उम्र के लोगों को दिया जाता है और यह क्यों जरूरी है। तो एचपीवी वैक्सीन के बारे में ज्यादा जानने के लिए पढ़ें यह खास रिपोर्ट। सदर अस्पतलाल की सीनियर गायनकोलॉजिस्ट डॉ. प्रेमलता से बात कर वैक्सीन और उसे किसे देना चाहिए व नहीं सहित किस बीमारी से बचाव में इसका उपयोग होता है इसपर बात करेंगे।

जानलेवा बीमारी सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए है वैक्सीन

भारत के साथ दुनियाभर में कैंसर की बीमारी ज्यादा खतरनाक है। एक्सपर्ट बताते हैं कि अधिकतर लोगों की मौत सिर्फ इसलिए हो जाती है क्योंकि वो इस बीमारी को लेकर जागरूक नहीं है। भारत में कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे अधिक लोग व महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से मरती हैं। इसके बाद सर्वाइकल कैंसर से मरने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। सर्वाइकल कैंसर को ही गर्भाश्य ग्रीवा का कैंसर और बच्चे दानी के मुंह का कैंसर कहा जाता है। लेकिन इस बीमारी से काफी हद तक बचाव संभव है। एचपीवी वैक्सीन लगवाकर इस बीमारी से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है। 

कई दूसरे कैंसर को भी रोकने में करता है मदद 

यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर के साथ कई दूसरे कैंसर को भी रोकने में मदद करता है। व्यस्कों में संभोग (सेक्स) के कारण इंफेक्शन होने का खतरा रहता है, लेकिन इस वैक्सीन को लगाने वाली महिलाओं को इंफेक्शन का खतरा काफी कम रहता है। इस वैक्सीन के दो प्रकार होते हैं। पहले प्रकार को सर्वेरिक्स कहा जाता है और दूसरे को गारडासिल। यह वैक्सीन कीमती होती है। इसकी कीमत ढाई हजार से लेकर चार हजार रुपए तक होती है। यही वजह है कि ग्रामीण महिलाएं जो सैनेटरी नैपकीन लगाने के लिए संघर्ष करती हैं, उसे खरीद नहीं पाती हैं वैसी महिलाएं इस वैक्सीन से अछूती हैं। सदर अस्पतलाल की सीनियर गायनकोलॉजिस्ट डॉ. प्रेमलता बताती हैं कि अन्य वैक्सीन की ही तरह इसके भी कुछ साइड इफेक्ट्स हैं लेकिन वो बहुत कम होते हैं। जैसे सर दर्द करना, उल्टी आना और हल्का बुखार आना। यह टीका लगाना पूरी तरह से सुरक्षित है। यह वैक्सीन 26 साल तक की किशोरियों को लगाया जा सकता है। ऐसे में जितनी भी युवा लड़कियां हैं उन्हें डॉक्टरी सलाह लेकर इस वैक्सीन को लगवाना चाहिए। ताकि आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से बचाव किया जा सके।

HPV Vaccine

क्या है एचपीवी वैक्सीन

एक्सपर्ट बताते हैं कि HPV Vaccine (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) ऐसा टीका है जो अन्य वैक्सीन के समान ही शरीर में जाने पर एंटीजन बनाता है। यही एंटीजन पेपिलोमा वायरस के संक्रमण से बचाता है। सर्वाइकल कैंसर के फैलने की बड़ी वजह यौन संपर्क भी है। यह शरीर में एचपीवी के और कई दूसरी बीमारियों के बैक्टीरिया और वायरस से हमारी रक्षा करता है। यही वजह है कि वैसी लड़कियां जो यह वैक्सीन लगाती है उनमें आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना काफी कम हो जाती है। इस वैक्सीन को व्यस्कों यानि 30 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगाएं तो उनमें उतना अधिक फायदा नहीं दिखता है। बेहतर यही होगा कि व्यस्कों को और उनके पैरेंट्स को जितना जल्दी संभव हो डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

कैसे काम करती है एचपीवी वैक्सीन?

वैसे तो एचपीवी वैक्सीन लगाने वाली किशोरियों को आगे चलकर योनी और वुल्वर कैंसर होने की संभावना भी कम होती है। शरीर में एचपीवी के वायरस को जाने से रोकता है। इस वैक्सीन के बारे में अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए। ताकि सही समय पर टीका लगाकर बीमारियों से बचाव किया जा सके।

कब लेना चाहिए एचपीवी का टीका?

एक्सपर्ट बताती हैं कि यह टीका युवा लड़कियों और किशोरियों को ही दिया जाता है। ऐसी लड़कियां जिन्हें पीरियड्स आना शुरू हो गया हो वो इस टीका को लगवा सकती हैं। बावजूद इसके उन सभी लड़कियों को डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। यह टीका किसी व्यस्क को नहीं लगता है। टीका लगाने के बाद यौन संबंध कायम करने से होने वाला संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

किसे नहीं लगवाना चाहिए टीका?

इसके अलावा जो लोग व्यस्क हो गए हैं उनको, गर्भवती महिलाओं या गंभीर रूप से बीमार लोगों को एचपीवी वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। व्यस्कों को यह वैक्सीन दी जाए तो उनमें यह उतना कारगर नहीं होता है जितना युवाओं व किशोरियों को देने पर होता है। यह टीका एचपीवी के स्ट्रेन्स से बचाते लोगों को बचाते हैं।

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एचपीवी वैक्सीन के साइड इफेक्टस

जिस प्रकार हर वैक्सीन लगाने के बाद थोड़े साइड इफेक्ट्स दिखते हैं ठीक उसी प्रकार इस वैक्सीन को लगाने पर भी थोड़ बहुत साइड इफेक्ट्स दिखते हैं, उनमें बाह में जहां सूई लगाई है उस जगह पर थोड़ा सूजन, दर्द हो सकता है। थकान होने के साथ कमजोरी का एहसास होता है, कई लड़कियों को सिर दर्द की समस्या के साथ बेहोशी के लक्षण भी दिखते हैं। यही कारण है कि एक्सपर्ट तुरंत वैक्सीन लगवाने के बाद 15 मिनटों तक आराम करने की सलाह देते हैं। उसके बाद घर जाने को कहते हैं। वैक्सीन लगाने वाली किशोरियों व युवतियों की कोशिश यही होनी चाहिए कि प्रशिक्षण प्राप्त हेल्थ केयर वर्कर्स से ही टीका लें।

टीके के बाद पैप टेस्ट करवाने की एक्सपर्ट देते हैं सलाह

सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए एक्सपर्ट पैप टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। 45 साल उम्र के बाद की महिलाओं को हर तीन साल में यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। ताकि यदि बीमारी हो तो समय पर पता कर समुचित इलाज किया जा सके।

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सर्वाइकल कैंसर से खुद को कैसे बचाएं?

एचपीवी असुरक्षित यौन संबंध कायम करने से फैलता है। इसलिए सभी की कोशिश यही होनी चाहिए कि सुरक्षित यौन संबंध कायम करें। सिर्फ अपने पार्टनर के साथ ही शारिरिक संबंध बनाना चाहिए। यदि इस सेफ्टी पर ध्यान न दिया जाए तो बीमारी होने की काफी संभावना रहती है। शुरुआती स्टेज में ही बीमारी का पता चल जाए तो उसे टाला जा सकता है। इसलिए डॉक्टर मरीज को 45 साल की उम्र के बाद नियमित हेल्थ चेकअप की सलाह देते हैं।

सर्वाइकल कैंसर के सामान्य लक्षण

  • सेक्स के बाद योनि से खून का बहना
  • पीरियड के बीच या उसके बाद योनी में दर्द होना
  • सेक्स के दौरान दर्द होना

कितना सुरक्षित है एचपीवी का टीका?

एक्सपर्ट के अनुसार इस टीका का अर्थ ही बीमारी से बचाव है... ऐसे में इस वैक्सीन का कोई खास दुष्प्रभाव नहीं है। यह पूरी तरह सुरक्षित है। इसके हल्के साइड इफेक्टस है। अन्य टीकों की तरह, कभी-कभी गारडासिल लगाने वाली लड़कियों में बेहोशी के लक्षण दिख सकते हैं। टीकाकरण के बाद व्यक्ति को 15 मिनट तक बैठाए रख कर इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। बेहतर यही होगा कि आप एक्सपर्ट की सलाह लेकर टीका लगाएं। सही समय पर टीका लगाकर सर्वाइकल कैंसर की बीमारी से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

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