
पित्त की पथरी के बारे में आप जानते ही होंगे, कई लोगों के लिए ये एक आम समस्या है। पित्त आपके शरीर का वो अंग है जो आपके पाचन क्रिया में मदद करता है। आप में से बहुत से लोगों को ये जानकारी नहीं होगी कि पित्त में पथरी का निर्माण कैसे होता है। जबकि ये जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है तभी आप खुद को पित्त की पथरी से बचाकर रख सकते हैं। आपको बता दें कि पित्त की पथरी का निर्माण बहुत ज्यादा कोलेस्ट्रॉल के कारण होता है। ये धीरे-धीरे आपके पित्ताशय की थैली में जमा होने लगता है। इस दौरान आपको कई प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, लेकिन इसको कई लोग पहचानने में असफल रहते हैं। वहीं, जिन लोगों को इसका शिकार होना पड़ता है उन लोगों को अक्सर इसके लिए सर्जरी का विकल्प ही दिखता है, जबकि ऐसा नहीं है। आप बिना सर्जरी के भी पित्त की पथरी को बाहर कर सकते हैं। जी हां, जिन लोगों को ये लगता है कि पित्त की पथरी का इलाज बिना सर्जरी या ऑपरेशन के नहीं हो सकता है उन लोगों के लिए हमने इस विषय पर हमने बात की डॉ. अनार सिंह आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष , शल्य तंत्र की डॉक्टर राखी मेहरा से। जिन्होंने बताया कि कैसे आप बिना सर्जरी के इसका इलाज कर सकते हैं।
डॉक्टर और एक्सपर्ट राखी मेहरा का कहना है कि जरूरी नहीं कि जिन लोगों को पित्त की पथरी होती है उन लोगों के लिए सर्जरी या ऑपरेशन से बेहतर विकल्प मौजूद है। एक्सपर्ट बताती हैं कि आयुर्वेद में आंवले के बीज से पित्त की पथरी का इलाज संभव है। लेकिन ये तरीका तभी संभव है जब आप पित्त की पथरी को जल्दी पहचान लें, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपको इसके बारे में सही जानकारी हो या सही लक्षणों के बारे में पता हो। डॉक्टर राखी मेहरा ने बताया कि लोगों को इसका आसान इलाज बताने से पहले ये बताना जरूरी है कि इसके लक्षण और प्रकार क्या है तभी वो खुद को जल्द ठीक कर सकते हैं। इसलिए आपको इसके लक्षणों और प्रकार की सही जानकारी जरूरी है।
पित्त की पथरी के लक्षण (Symptoms Of Gallstones In Hindi)
- मतली और उलटी बार-बार महसूस होना।
- पेट के ऊपरी हिस्से में अचानक दर्द महसूस होना।
- स्तन के ठीक नीचे तेज दर्द।
- पीठ में थकावट और दर्द।
- कुछ भी न खाने की इच्छा होना।
- एसिडिटी की समस्या बढ़ना।
पित्त पथरी के प्रकार
कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी
कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी लोगों के बीच सबसे आम प्रकार की पथरी है, ये अक्सर पीले रंग की दिखाई देती है। इस तरह की पथरी आमतौर पर बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के कारण होता है जो आपके पित्ताशय में जमा होने लगता है और एक समय पर ये आपको परेशान करने लगता है।
पिगमेंट पित्त पथरी
पिगमेंट पित्त पथरी ये कुछ ही लोगों में होती है जो अक्सर गहरे और काले रंग की दिखाई देती है। आपको बता दें कि पित्त में बहुत ज्यादा मात्रा में बिलीरुबिन होने के कारण होता है।
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पित्त की पथरी के लिए कैसे फायदेमंद है आंवला का बीज
डॉक्टर राखी मेहरा ने बताया कि पित्त की पथरी के लिए आंवला का बीज बहुत फायदेमंद होता है जिसकी मदद से आसानी से पथरी को निकाला जा सकता है। एक्सपर्ट बताती हैं कि आंवला में फाइबर और पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जिसके कारण पथरी को बाहर करने में ये अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा इसके बीज में काफी मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो आपकी पाचन क्रिया को स्वस्थ करने के साथ गैस्ट्रिक की समस्या को कम करने का काम करता है। इसके अलावा आंवले के बीज में भारी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जिसके कारण आपके शरीर में जमने वाला कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है क्योंकि कोलेस्ट्रॉल जमने के कारण ही पित्त की पथरी का निर्माण होता है। विटामिन सी लिवर में कोलेस्ट्रॉल को परिवर्तित करने का काम करता है। आपको बता दें कि नियमित रूप से आंवला का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल के निर्माण की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। यह पित्ताशय की थैली को सक्रिय रखे में मदद करता है।
एक्सपर्ट राखी मेहरा बताती हैं कि 'एशियन पेसिफिक जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल डिजीज' की ओर से किया गए एक रिसर्च के मुताबिक, पित्त की पथरी, गुर्दे की पथरी और मूत्राशय में पथरी होने पर आंवले के बीज का चूर्ण बहुत फायदेमंद होता है। इसकी मदद से आसानी से किसी भी पथरी की समस्या से दूर हो सकते हैं। वहीं, शोधकर्ताओं ने बताया कि आंवला जितना आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है और पथरी को निकाले में मददगार होता है उतना ही फायदेमंद आंवले का बीज होता है जिसका चूर्ण तैयार कर आसानी से इसका सेवन किया जा सकता है।
आंवला के बीज का चूर्ण कैसे बनाएं
- आंवला को पूरी तरह से सूरज की रोशनी में सूखा लें।
- जब आंवला पूरी तरीके से सूख जाए तो आप इसे काट कर इसके बीज को बाहर निकाल लें।
- आंवला के बीजों को एक साथ कर आप उन्हें अच्छी तरह से कूट कर पीस लें।
- अच्ची तरह से पीसने के बाद आप इसे एक डिब्बे में बंद करके रख दें।
- आप इस चूर्ण को रोजाना सुबह पानी के साथ लें।
- आप इसे पथरी के अलावा दूसरी पाचन संबंधित और पेट संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
कैसे करें आंवला चूर्ण का इस्तेमाल
आंवला पाउडर की चाय
- 1 कप पानी के साथ 1 चम्मच आंवले का चूर्ण को एक साथ मिलाएं।
- इसे आप गर्म करने के बाद चाय की पत्ती को डालें और इसे हल्का उबाल लें।
- इसमें कुछ मात्रा में चीनी मिला लें और ठंडा कर इसका सेवन कर लें।
पानी के साथ करें आंवला पाउडर का सेवन
- आंवला चूर्ण का सेवन करने के लिए आप इसे रोजाना गुनगुने पानी के साथ लें।
- आप इसे रोजाना 1 से 2 बार पी सकते हैं और अपनी पित्त की पथरी का इलाज कर सकते हैं।
रोजाना कितना आंवला चूर्ण लेना सही?
एक्सपर्ट और डॉक्टर राखी मेहरा का कहना है कि रोजाना बहुत ज्यादा आंवला का चूर्ण बहुत ज्यादा फायदा नहीं पहुंचा सकता है। इसलिए आप रोजाना बहुत ज्यादा इसका सेवन करने से बचें और रोजाना सिर्फ 4 ग्राम पाउडर या 1 बड़ा चम्मच चूर्ण काफी है। इससे आप अपनी पित्त की पथरी को आसानी से बाहर कर सकते हैं।
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आंवला के बीज के अन्य फायदे
- रोजाना आंवले के बीज का चूर्ण लेने से आप अपनी पेट संबंधित सभी समस्याओं को कम कर सकते हैं।
- आंखों के लिए जितना फायदेमंद आंवला है उतना ही फायदेमंद आंवले का बीज होता है।
- ल्यूकोरिया की समस्या में दिलाता है राहत।
- आंवले में भारी मात्रा में विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो आपकी शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा आपकी त्वचा को भी बेहतर करने में असरदार होता है।
- इसके अलावा जिन लोगों को हृदय संबंधित रोगों का सामना करना पड़ता है उन लोगों के लिए भी आंवले का बीज के पाउडर का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है और उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
- शोध से पता चला है कि पॉलीफेनोल से भरपूर फल उच्च रक्त शर्करा के ऑक्सीडेटिव प्रकृति से शरीर की रक्षा करते हैं। इस प्रकार आंवला मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए चिकित्सीय हो सकता है। यह इंसुलिन के उचित अवशोषण में भी शरीर को सहायता करता है, इस प्रकार रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है।
- एक्सपर्ट राखी मेहरा के मुताबिक, एक शोध में पता चला कि पॉलीफेनोल से भरपूर फलों की मदद से ब्लड शुगर को कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं इसकी मदद से लोग खुद को डायबिटीज जैसी घातक बीमारियों से भी दूर रख सकते हैं। यह इंसुलिन के उचित अवशोषण में भी शरीर को सहायता करता है, इस प्रकार रक्त शर्करा के स्तर को कम करने या नियंत्रित करने में मददगार होता है।
(इस लेख में दी गई जानकारी डॉ. अनार सिंह आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष , शल्य तंत्र की डॉक्टर राखी मेहरा से बातचीत पर आधारित है)।
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