माता-पिता होने के नाते बच्चे को सही और गलत के बीच फर्क समझाना आपका कर्तव्य है। व्यक्ति को जिंदगी में हर दिन सही और गलत के बीच एक चुनाव करना होता है। अगर वो सही चुनाव करता है, तो बेहतर परिणाम मिलेंगे। वहीं बार-बार गलत चुनाव करके व्यक्ति मुश्किलों में फंस सकता है। परवरिश के दौरान अगर बच्चे को सही और गलत के बीच फर्क करने का तरीका बता दिया जाए, तो आगे चलकर वो अपने लिए बेहतर रास्ता चुन पाएगा। इस लेख में हम आपको बताएंगे 5 टिप्स जिनकी मदद से अपने बच्चे को सही और गलत के बीच का फर्क समझा सकते हैं।
1. सही और गलत की पहचान करना सिखाएं
बच्चे को सही और गलत के बीच का फर्क समझाना इतना आसान नहीं है। हालांकि कुछ माता-पिता बेहद कलात्मक अंदाज में बच्चे को ये गुण सिखा देते हैं। बच्चे को सही-गलत सिखाने के लिए उसे उदाहरण दें। ध्यान रखें कि उदाहरण उसकी दिनचर्या और उम्र के मुताबिक ही हो। उदाहरण, खेल, पढ़ाई और कार्टून आदि की मदद से आप बच्चे को जिंंदगी के बड़े फैसले लेना सिखा सकते हैं।
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2. बच्चे के सामने रखें अपने तर्क
छोटे बच्चों को केवल वही बात समझ आती है, जिसे वो खुद से जोड़ पाते हैं। उन्हें ज्यादा मुश्किल या घुमावदार भाषा में कुछ न समझाएं। सरल भाषा में अपने सभी तर्क बच्चे के सामने रखें। उसकी राय भी जानें। बच्चे की राय के आधार पर आगे बात करें। अगर बच्चा किसी गलत बात को सही बता रहा है, तो उसकी बात पूरी तरह से खारिज न करें। बल्कि उस बात के उलट अपने तर्क बच्चे के सामने रखें।
3. बच्चे का पक्ष समझें
बच्चे के पक्ष को समझना भी जरूरी होता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि जो आप कहें, वही आपके बच्चे का फैसला भी हो। माता-पिता होने के नाते बच्चे की नजर से उसके फैसले को न सिर्फ समझना होगा बल्कि उसे उतनी ही अहमियत देनी होगी जितनी अपने फैसले के प्रति आप रखते हैं। बच्चे को सही-गलत समझाने के साथ पूरे इतमिनान से बच्चे की बात भी सुनें।
4. अपनी बात थोपने की कोशिश न करें
बच्चे को सही-गलत का फर्क समझाते समय माता-पिता अक्सर अपना पक्ष बच्चे पर थोपने की कोशिश करते हैं। ये तरीका सही नहीं है। बच्चे को प्यार से समझाएंं। अगर वो आपकी बात से सहमत नहीं है, तो उस बात को वहीं बंद कर दें। कुछ दिन बाद दोबारा बच्चे से बात करें और इस बार बेहतर तर्क देकर अपनी बात रखें।
5. दूसरा पहलू भी बताएं
बच्चे को किसी भी बात के दोनों पहलू हमेशा समझाएं। उदाहरण के लिए आप उसकी मनपसंद खाने की चीज के फायदे बताएं और साथ ही नुकसान भी बताएं। इससे उसे दोनों के बीच का फर्क समझ आएगा। हर बात के दो पहलू होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर बात बच्चे की शिक्षा की हो, तो किसी विषय को चुनने से पहले बच्चे को करियर में उस विषय की जरूरत पता होनी चाहिए।
इन 5 आसान टिप्स की मदद से बच्चे खुद अपनी जिंदगी के लिए सही फैसला लेना सीख जाएंगे। फिर चाहे फैसला उनकी निजी जिंदगी से जुड़ा हो या औपचारिक चुनाव से संबंधित हो।
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