अगर आपका वजन शाम को ज्यादा हो और सुबह के वक्त कम तो यह जल प्रतिधारण यानी वॉटर रिटेंशन का लक्षण हो सकता है। इससे आपके पैरों, हाथों, चेहरे और पेट की मांसपेशियों में सूजन हो सकती है।
शरीर के उत्तकों में पानी की उपलब्धता कुछ हार्मोंस, किडनी और सोडियम की मात्रा के द्वारा नियंत्रित की जाती है। कोई भी चीज जो शरीर में हार्मोंस के स्तर अथवा सोडियम की मात्रा को ऊपर नीचे करती है अथवा किडनी की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, वह वॉटर रिटेंशन का कारण बन सकती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। ऐसा महिलाओं और पुरुषों के हार्मोंस में अंतर के कारण होता है। न्यूनतम स्तर पर जल प्रतिधारण की शिकायत होना सामान्य सी बात है, लेकिन समस्या बढ़ने पर परेशानी भी हो सकती है।
ऐसा भी पाया गया है कि मासिक धर्म वाले सप्ताह की शुरुआत में महिलाओं में जल प्रतिधारण की समस्या बढ़ जाती है। वॉटर रिंटेंशन को चिकित्सीय भाषा में ओडेमा कहा जाता है। इस समस्या के कारण आपका वजन दो किलो तक बढ़ सकता है। वजन के बढ़ने की यह प्रक्रिया सुबह की अपेक्षा शाम को अधिक होती है। अब सवाल यह उठता है कि क्या आप इस समस्या का सामना कर सकते हैं, तो जवाब है हां।
अधिक पानी पियें
हो सकता है यह बात सुनने में आपको अटपटी लगे, लेकिन वाकई ऐसा करना जरूरी होता है। वास्तविकता यह है कि शरीर तब पानी संचित करने लगता है, जब उसे पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलता। अगर आप अधिक मात्रा में पानी पीते हैं, तो आप रिटेंशन (प्रतिधारण) की समस्या को कम कर सकते हैं। जब भी मौका मिले पानी का घूंट जरूर भरे। सुबह नींद से जागने के बाद दो से तीन गिलास पानी पियें, इससे आपके शरीर को विषाक्त मुक्त बनाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही आप नींबू पानी और संतरे का जूस पी सकते हैं। इससे आपके शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ जाती है और सूजन की मात्रा कम हो जाती है।
नमक का सेवन कम करें
ज्यादा नमक का सेवन करने से आपका शरीर डिहाइड्रेटेड यानी निर्जलीकरण का शिकार हो सकता है। इसलिए जल प्रतिधारण की समस्या को दूर करने के लिए जरूरी है कि आप अपने आहार में नमक का उपयोग कम करें। इसके स्थान पर आप अन्य मसाले और मिर्च आदि का सेवन कर सकते हैं। आपको सलाद पर भी नमक नहीं डालना चाहिए। और साथ ही फास्ट फूड का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनमें नमक की मात्रा काफी अधिक होती है।
नियमित व्यायाम करें
व्यायाम करने से आपकी रक्तवाहिनियों का आकार चौड़ा हो जाता है इससे किडनी द्वारा उत्सर्जित तत्वों की मात्रा रक्त में बढ़ जाती है। व्यायाम करने का अर्थ यह नहीं है कि आप रोजाना जिम जाएं, बल्कि पैदल चलना, दौड़ना, योग, तैराकी और साइकिल चलाने जैसे व्यायाम भी आपको काफी फायदा पहुंचा सकते हैं। इनमें से कोई भी व्यायाम चुनें और दिन में तीस मिनट उस व्यायाम को दें। इससे आपके शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है और साथ ही हाथ पैर में तरल पदार्थों का जमावड़ा नहीं होता।
कुछ खास किस्म के आहार
कुछ ऐसे खास किस्म के आहार हैं, जो शरीर में जल प्रतिधारण को दूर करने में मदद करते हैं। इन्हें प्राकृतिक रूप से मूत्रवर्धक माना जाता है। आपको पर्याप्त मात्रा में सेब, अंगूर, स्ट्रॉबैरी, हरी पत्तेदार सब्जियां, अजमोद, चुकंदर और शतावरी आदि का सेवन करना चाहिए। एक तरीका और है कि आप बसंत में उगने वाले फल और सब्जियों का सेवन न करें, क्योकि वे आपके शरीर में सूजन बढ़ा सकते हैं।
अल्कोहल से दूर रहें
अल्कोहल के सेवन से दूर रहें। अल्कोहल शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकता है। शराब के सेवन से शुरुआत में आप सामान्य से अधिक बार मूत्र त्याग करने जाएंगे, लेकिन भविष्य में इससे आपको डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है, जिसके कारण आपके शरीर में मिनरल्स की कमी हो सकती है। मिनरल्स की यह कमी अंत में जल प्रतिधारण का कारण बन सकती है।
अगर इन टिप्स को आजमाने के बाद भी आपको जल प्रतिधारण की समस्या होती हो, तो बेहतर है कि आप किसी डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर आपकी जांच करने के बाद आपके लिए मुफीद दवा और इलाज बता सकता है।
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