कोरोना की वजह से लोग घरों में हैं। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर सब बंद हैं। ऐसे में वे छात्र जिनकी इस साल बोर्ड परीक्षा होनी थी या वे छात्र जिन्हें पढ़ने के लिए विदेश जाना था, परेशान हैं। छात्रों के मन में भविष्य को लेकर शंकाएं पैदा होने लगी हैं। कोरोना के शुरुआती दिन घर में रहकर उन्होंने मजे किए लेकिन अब जब करिअर पर ध्यान जाता है तो सिवाय चिंता और तनाव के मन में कुछ नहीं आता है। वे छात्र जिनकी इस साल 12वीं की बोर्ड परीक्षा थी वे ज्यादा परेशान हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि उनकी परीक्षाएं कब होंगी और वे कब आगे की पढ़ाई की तैयारी शुरू करें। बच्चों की इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए हमने बात की करिअर काउंसलर संजय सिंह बघेल और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रज्ञा मलिक से।
क्या है करिअर काउंसलर की सलाह?
करिअर काउंसलर संजय सिंह बघेल ने बताया कि इस अनिश्चितता के दौर में सभी प्रभावित हैं। जिंदगी का नाम ही अनिश्चितता है। कोरोना वैश्विक परेशानी है। अगर ये परेशानी है तो इसका निदान भी होगा। जो बच्चे विदेश भी पढ़ना जाना चाहते थे, तो उनके लिए भी सरकारें सोच रही हैं। अगर अभी बच्चों के स्कूल में नहीं बुलाया जा रहा है तो उसका तरीका है कि ऑनलाइन पेपर ले लिए जाएंगे। अभी चूंकि कोरोना भी शिखर पर है, ऐसे में सरकार को फैसला लेना भी मुश्किल है।
उन्होंने बताया कि कि जैसे ही सारी चीजें नॉर्मल होंगी तब सरकार जरूर कोई न कोई गाइडलाइन ऐसी लाएगी जिससे समाधान निकाला जाएगा। काउंसलर ने बताया कि सरकार ने मनोदर्पण नाम का एक प्रोग्राम करिअर को लेकर शुरू किया गया है। इससे बच्चे मदद ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब ऐसी विपदा आती है तब करिअर के लिए विकल्प और बढ़ जाते हैं। जैसे कल तक मैनुअल तरीके से बिजनेस हो रहा था अब सब ऑनलाइन हो गया है। जिससे रोजगार की संभावना बढ़ गई हैं। आने वाले दिनों में नौकरी की भूमिकाएं भी बदलेंगी।
इसे भी पढ़ें : कोरोना महामारी में बच्चों में बढ़ रहा है तनाव, जानें बच्चों में स्ट्रेस कम करने के तरीके
तनाव को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक के ये टिप्स अपनाएं
रियलिस्टिक एप्रोच
मनोवैज्ञानिक डॉक्टर प्रज्ञा मलिक कहा कहना है कि कोई भी छात्र अभी जिस क्लास में है अभी वह क्या कर सकता है, उसे यह सोचना चाहिए। ऐसे बच्चे जो तनाव में हैं, वे ये सोचें कि अगर करिअर में देरी हो रही है तो ये सिर्फ मेरे साथ नहीं है। ये सभी के साथ है। ऐसे बच्चे अपने साथ वाले साथियों को देख सकते हैं कि वे अभी क्या कर रहे हैं। सभी का हाल एक जैसा है। ये छात्र किसी तरह का कोर्स शुरू कर सकते हैं।
शुरुआत करना
वे छात्र जो कोरोना की वजह से घर में सिकुड़ गए हैं। वे ऑनलाइन कोर्स शुरूआत कर सकते हैं। जो उनकी रुचि हो वे वो काम शुरू कर सकते हैं। ये शुरुआत छोटी या बड़ी दोनों हो सकती है। चिंता करने से बात बढ़ेगी और अपनी रुचि पर काम करने से आप में स्किल बढ़ेगी।
आशावादी सोच रखना
मनोवैज्ञानिक प्रज्ञा मलिक का कहना है कि करिअर लंबा होता है। एक दो साल में सब कुछ तय नहीं होता है। अगर इसमें एक दो महीने का अंतराल भी आता है तो चिंता वाली बात नहीं है, क्योंकि ये परिस्थिति सभी के साथ हो रही है।
इसे भी पढ़ें : जीवन की छोटी-छोटी चिंताएं कहीं आपके लिए तनाव तो नहीं बनती जा रहीं? मनोचिकित्सक से जानें इससे बचाव के उपाय
प्रोडक्टिव सोच
ऐसे छात्र ये मान लें कि अभी के हालात अच्छे नहीं हैं। अभी सबकुछ बंद चल रहा है तो ऐसे में वे कुछ प्रोडक्टिव सोचें। इस प्रोडक्टिव सोच से उनका ही फायदा होगा।
निर्णय लेना
कोविड की वजह से बहुत सारे लोग अपने करिअर को बदल रहे हैं। लेकिन वे रुक नहीं रहे हैं। वे दूसरे काम करने लगे हैं। ऐसे में बच्चों को भी उनसे सीख लेनी चाहिए। और खुद को बेटर करने के बारे में निर्णय लें।
कोरोना के इस दौर में छोटे से लेकर बड़े तक सभी अनिश्चितता की जिंदगी काट रहे हैं। लेकि वे छात्र जिन्हें परीक्षाएं देनी थीं, उनमें परीक्षा को लेकर तनाव बढ़ रहा है। घर में रहकर वे उबने लग गए हैं। ऐसे में हो रहे तनाव को कम करने के लिए विशेषज्ञों ने ऊपर जरूरी टिप्स दिएं हैं।
Read More Articles on Mind Body in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version