जीवन की छोटी-छोटी चिंताएं कहीं आपके लिए तनाव तो नहीं बनती जा रहीं? मनोचिकित्सक से जानें इससे बचाव के उपाय

जब हम किसी अनसर्टेन चीज के बारे में सोचने लगते हैं तब वह चिंता बन जाती है और ज्यादा चिंता करने पर तनाव हो जाता है।  
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जीवन की छोटी-छोटी चिंताएं कहीं आपके लिए तनाव तो नहीं बनती जा रहीं? मनोचिकित्सक से जानें इससे बचाव के उपाय

अमेरिकन लेखक डेल कार्नेगी की पुस्तक How to stop worrying & start living में Business men who do not know how to fight worry die young -DR. Alexis Carrel. ये लाइनें लिखी हैं। ये बात सच है कि एक व्यवसायी जो यह नहीं जानता कि चिंता से कैसे निपटा जाए, वह जल्दी मर जाता है। इस बात को कहने का मतलब बस यही है कि आप हर वक्त की चिंता से दूर रहें। महामारी के ऐसे वक्त में मोटिवेशनल पुस्तकों की जरूरत लोगों ज्यादा होने लगी है। जैसा कि हम जानते हैं कि कोरोना महामारी अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। जिस समय कोरोना के मामले आसमान छू रहे थे उस समय लोगों में चिंता, डर, भय समाया हुआ था। बहुत बार तो ऐसे मामले भी सामने आए जिनमें लोगों ने कोरोना के डर से आत्महत्या तक कर ली। 

ये बात अलग है कि अब कोरोना के मामले कम होने लगे हैं। वैक्सीनेशन शुरू हो गया है, इस वजह से कोरोना का डर भी लोगों में खत्म होने लगा है। लेकिन यह बात भी सच है कि ये माहौल चिंता से उबारने वाला नहीं है। अभी तक कोरोना का डर था अब कोरोना के बाद न्यू नॉर्मल जिंदगी को नॉर्मल करने की चिंता है। तो वहीं, यही चिंता जब तनाव बन जाती है। यह तनाव शरीर में कई रोगों को जन्म देने लगता है तब समस्या गहरी हो जाती है। चिंता को तनाव में बदलने से रोकने के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहीं मनोचिकित्सक वंदिता शर्मा ने कई तरीके बताए। जो आपके और हमारे के बहुत के हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं उन तरीकों के बारे में।

चिंता को तनाव में बदलने से ऐसे रोकें

चिंता की वजह जानें

डॉ. वंदिता के मुताबिक वैसे तो चिंता और तनाव में बहुत बड़ा कोई अंतर नहीं है। ये दोनों कहीं न कहीं एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। लेकिन तनाव चिंता का विकसित रूप है। उन्होंने बताया कि अगर आपको किसी बात की चिंता हो रही है तो पहले तय करें कि चिंता है किस बात की। जब आपको चिंता की वजह मालूम हो जाएगी तो उसका इलाज करना आसान होगा।

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खुद पर भरोसा करें

जो लोग अधिक समय चिंता में रहते हैं। हर छोटी बात की उन्हें चिंता हो जाती है उनमें एक तरह का डर काम करने लगता है। वे हमेशा खुद को लेकर गलत ही सोचते हैं। ऐसे में उनका खुद पर से भरोसा उठ जाता है। लेकिन आपको ऐसा नहीं करना है। मुश्किल वक्त में कोई किसी का साथ नहीं देता। आपको खुद ही अपनी साथी बनना पड़ता है। तो दूसरों पर भरोसा करने से पहले खुद पर भरोसा करें। खुद से वादा करें आप जो करेंगे अपने लिए बेहतर ही करेंगे। आप अपनी क्षमताओं को जानते हैं सामने वाला नहीं। इसलिए खुद पर विश्वास करें और अपने सोचे हुए प्लान्स पर करना शुरू करें।

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खुद को रचनात्मक बनाएं

रचनात्मकता केवल आप में ही नहीं बल्कि आपके आसपास भी बदलाव लाती है। तो अपनी चिंता को तनाव में बदलने से पहले आप खुद की  मदद करें। हजारों बीमारियों का शिकार होने से पहले रचनात्मकता को अपना लें। खुद को क्रिएटिव बनाएं। कोरोना के दौर में बहुत से लोगों के अंदर से छुपी हुई रचनात्मकता बाहर निकली। इसलिए आप भी अपने बारे में सोचिए। खुद को समय दीजिए और अपनी रचनात्मकता को लोगों के सामने लाइए। 

नकारात्मक विचारों से दूरी बनाएं

ये बात हर मनोचिकित्सक कहता है, लेकिन ये भी सच है कि नकारात्मक विचार हम जल्दी घेरते हैं। इसलिए ऐसे विचार जो आपको पेरशान कर रहे हैं आपकी नींद पर असर डाल रहे हैं। आप में एंग्जाइटी डिसऑर्डर को बढ़ा रहे हैं, ऐसे विचारों से दूर रहे हैं। आप खुद ही सोचें कि ये नकारात्मक विचार आपमें कुछ पॉजिटिव चेंज नहीं ला रहे हैं। इसलिए ऐसे विचारों से जल्दी ही तौबा कर लें। 

खुश रहें

आप शायद जानते नहीं होंगे कि आपका हंसना आपकी कई बीमारियों को दूर कर देता है। आप खुद से प्यार करें। खुद में खुशियां ढूंढें। खुद को व्यस्त रखें। समय मिले तो कहीं घूमने चले जाएं। किताबें पढ़ें, फिल्में देखें। वो सभी काम करें जिनसे आप खुश रहें। पर ध्यान रहे कि आपकी खुशी में किसी का नुकसान न हो।

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अच्छी नींद लें

अगर आप हमेशा चिंता में डूबे रहेंगे तो उससे आपकी नींद में कमी होगी। जब नींद कम होगी तो नींद से जुड़ी अन्य बीमारियां होंगी। इसलिए बेहतर है खुद को बीमारियों की दुकान बनाने से आप पूरी नींद लें। लोगों से बात करें। खुद को अकेला न रखें।

दौर चाहें कोरोना का हो या न्यू नॉर्मल का। चिंता हमेशा ही रहती है। लेकिन चिंता करना भी बुरा नहीं है। वो भी उस हद तक जब तक आप अपनी चिंता को तनाव नहीं बनने दे रहे हैं। उस चिंता की वजह से आप अपना या अपनों का कोई नुकसान नहीं कर रहे हैं तब तक। लेकिन जैसे ही इससे ऊपर स्थिति जाती है खुद पर ब्रेक लगाएं। खुश रहने की वजह ढूंढे। नए सर्कल बनाएं। हर दिन किसी नए इंसान से बात करें।

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