ऐसे लोग भविष्य को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं। छोटी-छोटी बातों पर बहुत सोचते हैं। कई बार इस स्थिति तक सोचते हैं कि उनके हाथों से पसीना आने लगता है, घबराहट होने लगती है या फिर ऐसा महसूस होता है कि हार्ट अटैक आ गया। जो लोग किसी बात पर बहुत ज्यादा सोचते हैं उनमें पैनिक अटैक की आशंका बढ़ जाती है। इस विषय पर ज्यादा जानकारी लेने के लिए हमने बात की भोपाल के बंसल अस्पताल में मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी से। उन्होंने बताया कि पैनिक अटैक कभी भी आ सकते हैं। ज्यादा सोचना पैनिक अटैक का एक कारण हो सकता है। पैनिक अटैक से ग्रसित व्यक्ति हमेशा डर के साए में रहते हैं। अगर आपको भी ज्यादा सोचने की यह परेशानी है तो मनोचिकित्सक से जानिए बचने के उपाय।
पैनिक अटैक के लक्षण
1. मनोचिकित्सक त्रिवेदी के अनुसार जब पैनिक अटैक आता है तब व्यक्ति को लगता है कि हृदय संबंधी कोई समस्या हो गई है। दिल की धड़कन तेज होने लगती है। मरीज को लगता है कि कहीं उनकी मौत नहीं हो जाएगी।
2. पैनिक अटैक वाला व्यक्ति हमेशा डर के साए में जीता है। इसके साथ तनाव भी जुड़ा होता है।
3. हाथ पैरों में झुनझुनी होने लगती है
इसे भी पढ़ें : नाइट शिफ्ट में काम करते हैं तो आपके बड़े काम आएंगी ये 8 हेल्थ टिप्स, रहेंगे स्ट्रेस फ्री और एनर्जेटिक
टॉप स्टोरीज़
किन लोगों में पैनिक अटैक की संभावना ज्यादा होती है
- जिन लोगों में तनाव प्रबंधन की दक्षता कम होती है उन लोगों में पैनिक अटैक की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
- जो लोग ज्यादा धूम्रपान करते हैं उनमें पैनिक अटैक की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
- बचपन में अगर किसी को कोई ट्रॉमा रहा है तो वह भी इसका कारण बन सकता है।
- यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है।
- ऐसे व्यक्तियों में मन में एक डर बैठ जाता है कि कहीं बाहर निकलेंगे तो अटैक तो नहीं आ जाएगा। ऐसे लोग भीड़ में जाना भी बंद कर देते हैं।
- जिन परिवारों में पैनिक अटैक की हिस्ट्री रही उनमें भी यह होता है।
ज्यादा सोचने की दिक्कत से ऐसे बचें
मनोचिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि बदलता लाइफस्टाइल लोगों में तनाव की वजह बन रहा है। ऊपर से सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म्स इस तनाव को बढ़ाने में और काम करते हैं। बच्चों में तुलना करने की भावना ज्यादा बढ़ रही है। यही वजह है कि उनमें सोचने की परेशानी बढ़ने लगती है। डॉ. त्रिवेदी का कहना है कि किसी से तुलना करना हमारी परवरिश से जुड़ा हुआ है। हमारे बच्चों की प्रशंसा तब की जाती है जब वे किसी से बेहतर नंबर लाएं। कहीं न कहीं जान पहचान के लोगों से ये तुलना की जाती है। यह काम हमारा समाज ही सिखाता है। बच्चों को अप्रत्यक्ष रूप से यह संदेश दिया जाता है कि आप खुश तब कहलाओगे जब आपने किसी को पीछे किया हो। वही बच्चा जब बड़ा होता और वो ये सब नहीं कर पाता तो दुखी होता है। इसे एंग्जाइटी डिसऑर्डर कह सकते हैं।
- डॉ. त्रिवेदी के मुताबिक पैनिक डिसऑर्डर एंग्जाइटी डिसऑर्डर का ही हिस्सा है। अगर हम जीवन कौशल पर ध्यान दें या हमारी खुशी दूसरों का प्लस माइनस न होकर हमारा डेवलपमेंट हो। तो हम शुरू से इन बातों से बचे रहेंगे। ऐसे में हम दूसरों की खुशियां देखकर खुश होंगे। किसी से समानता रखकर दोस्ती करने पर आप खुश रह सकते हैं।
- ये आपाधापी भरा युग है। यहां पर हमें अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। हम समाज का दबाव लेकर आगे न बढ़ें। हमें अपना जीवन अपने लिए जीना है। खुद को ऊपर उठाना है। जब इन दबावों से आप ऊपर उठ जाते हैं तब आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ जाती है।
- अपनी क्षमताओं को पहचानें। उनके अनुसार काम करें।
- जो व्यक्ति तनाव में बिखर जाता है उसमें ज्यादा सोचने की दिक्कत होती है। ऐसे लोगों को प्रोफेशनल्स की मदद लेनी चाहिए। अकेले परेशानियों से न जूझते रहें।
- लोगों को अपना सपोर्ट सिस्टम बढ़ाना जरूरी है। कई लोग इससे उबरने के लिए नशे की ओर चल देते हैं। तो ऐसा न करें। उससे बेहतर अपना सपोर्ट सिस्टम मजबूत करें। अपना संवाद अच्छा रखें।
- ये मानकर चलें कि बहुत सारी चीजें हम नहीं कर पाएंगे। ये हमारी अक्षमता नहीं बल्कि मनुष्य होने की लिमिटेशन्स हैं।
- हमें नियमित व्यायाम करना चाहिए। पूरी नींद लेनी चाहिए। इन उपायों से भी अगर आप ठीक नहीं हो पा रहे हैं तो मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए।
बदलते दौर आपाधापी भरी दुनिया में बस एक दूसरे से आगे दौड़ने की होड़ है। क्यों दौड़ रहे हैं, क्या पाना है, इसका कुछ पता नहीं है। पर क्योंकि पड़ोसी दौड़ रहा है तो हम भी दौडेंगे। इसी तुलना, एंग्जाइटी की वजह से कई परेशानियां बेवजह मिलने लग जाती हैं। मनोरोग की बढ़ती संख्या को देखते हुए मनोचिकित्सक डॉ. त्रिवेदी का कहना है कि इन परेशानियों से आप तभी उबर सकते हैं जब आप खुद को दूसरों से तुलना करना बंद कर देंगे। आप अपनी ताकत को पहचानिए। दूसरों की वजह से खुद को परेशानी में मत डालिए।
इसे भी पढ़ें : दूसरों से ज्यादा परेशान करती है आपको कोई भी बात? इस मानसिक हलचल को शांत करने के लिए करें ये 3 काम
Read More Articles on Mind & Body in Hindi