मौसम बदलने के साथ कुछ लोगों में घुटनों में दर्द की परेशानी भी बढ़ने लगती है। ज्यादातर लोग ऐसे में कई प्रकार के ऑइनमेंट्स का इस्तेमान करते हैं या लहसन वाले तेल से घुटनों की मालिश करते हैं। वहीं अगर घुटनों का दर्द ज्यादा दिन तक रह जाए तो डॉक्टर ज्वाइंट बदलवाने की सलाह देते हैं, जो कि बहुत दर्दनाक होता है। पर ज्वाइंट को बदलवाने के बाद कुछ लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है। जैसे उन्हें जीवन भर उठने-बैठने में मुश्किल हो सकती है। साथ ही चलने-फिरने में भी शिकायत रहती है, जिसके कारण शरीर की बाकी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ने लगती हैं। ऐसे में आप अपने पूराने से पूराने घुटने के दर्द के लिए एक आयुर्वेदिक काढ़ा का सेवन कर सकते हैं। दरअसल आयुर्वेद में घुटने के दर्द के लिए हरसिंगार के फूल से बने काढ़े को रामबाण इलाज माना गया है। इस काढ़ा का दिन में 2 बार एक-एक कप पानी में 40 से 45 दिन तक सेवन करने से आपको घुटने के दर्द से छुटकारा मिल सकता है। आइए हम आपको बताते हैं हपसिंगार के फूल और पत्तों से काढ़ा बनाने का तरीका-
सामग्री :
- 100 ग्राम हरसिंगार फूल और पत्ते
- 4 ग्राम चूना (पान में लगाया जाने वाला चूना)
- 1 लीटर पानी
- नींबू का रस
- गुड़ या सहद
काढ़ा बनाने की विधि :
- हरसिंगार के फूल और पत्तों को लें और उसे धो कर सूखा लें।
- फिर इन्हें ओखली में अच्छे से कुटिए
- इन दोनों को कुटने के बाद इसे एक बार फिर से धूप में सूखा लें ताकि आप इसे कुछ दिनों के लिए रख सकें।
- इसके बाद आप जब भी काढ़ा बनाना चाहें इस पाउडर को लेकर गर्म पानी में डालकर उबाल लें।
- ध्यान रखें कि पानी लगभग 1 लीटर के करीब हो और फिर पाउडर को उसमें डालकर हल्की आंच में पकायें।
- जब आपको लगे कि यह घटकर 2 कप जितना बन गया है तो आंच से उतार दें।
- फिर छानकर काढ़ा निकाल लें। फिर थोड़ा सा चूना, कुछ बूंद नींबू का रस और मिठास के लिए सहद या गुड़ को अच्छे से घोलकर गर्म गर्म पीयें।
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हरसिंगार के काढ़े का अन्य बामारियों में फायदे:
गठिया रोग
हरसिंगाक के काढ़े को ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन वर्षों पुराना गठिया के दर्द में भी निश्चित रूप से लाभ देता है।
गंजापन
इस काढ़े और गाढ़ा करके 30 मिनट तक गंजे सिर पर लगायें। इस प्रयोग को लगातार 21 दिन तक करने से गंजेपन में फायदा नजर आएगा।
मलेरिया/डेंगू /चिकनगुनिया
किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों और फूलों से बना ये काढ़ा बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बुखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।
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अस्थमा
सांस संबंधी रोगों में हरसिंगार की छाल का चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से लाभ होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है। अस्थमा की खांसी में आधा चम्मच हरसिंगार काढ़ा काफी फायदेमंद हो सकता है। इस प्रयोग को दिन में दो बार करना चाहिए।
पेट के कीड़े
सुबह, दोपहर व शाम को गाढ़ा करके एक चम्मच लेने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। इस प्रयोग को कम से कम तीन दिन तक करना चाहिए, इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट स्वस्थ रहता है।
सावधानी
याद रखें कि हारसिंगार काढ़ा खाना खाने से 30-35 मिनट पहले पीएं, नहीं तो आपको पाचन से जुड़ी परेशानी हो सकती है।
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