How To Know If You Have A Healthy Sperm Count In Hindi: प्रेग्नेंसी कंसीव करने के लिए महिलाओं की हेल्थ जितनी मायने रखती है, उतना ही अहम पुरुषों का स्वास्थ्य भी होता है। खासकर, स्पर्म क्वालिटी और क्वांटिटी का बेहतर होना बहुत जरूरी होता है। अगर पुरुषों का स्पर्म सही न हो, उसकी क्वालिटी खराब हो और क्वांटिटी भी कम हो, तो इस कंडीशन में पुरुषों के लिए पिता बनना चैलेंजिंग हो सकता है। ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए यह जान लेना जरूरी है कि कौन-सी चीजें मेल फर्टिलिटी को प्रभावित करती है। हालांकि, इससे भी ज्यादा जरूरी यह जानना है कि आखिर आप यह कैसे जान सकते हैं कि आपकी स्पर्म क्वालिटी सही है? इस बारे में हमने नवी मुंबई स्थित मेडिकवर हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट और एंड्रोलॉजिस्ट डॉ. विजय दहिफले से बात की। आप भी जानें, इस बारे में।
स्पर्म काउंट हेल्दी होने के संकेत
आपका स्पर्म या स्पर्म काउंट हेल्दी है या नहीं, यह कई तरह के फैटर पर निर्भर करता है, जैसे-
स्पर्म की मात्रा
पुरुषों की फर्टिलिटी इस बात पर निर्भर करती है कि जब वे एक बार में इजैक्यूलेट होते हैं, तो इसमें करीब 15 मिलियन से 200 मिलियन तक स्पर्म एक साथ निकलते हैं। इजैक्यूलेशन यानी स्खलन के दौरान अगर स्पर्म क्वांटिटी इससे कम है, तो इसे सही नहीं माना जाता है। दरअसल, जब स्पर्म की मात्रा कम होती है, तो महिला के लिए कंसीव करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि एग्स के साथ फर्टिलाइज होने के लिए कम स्पर्म रह जाते हैं।
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स्पर्म की मूवमेंट
अगर स्पर्म काउंट कम हो या क्वालिटी खराब हो, तो उसकी मूवमेंट भी प्रभावित होती है। दअरसल, स्पर्म की मोबिलिटी का सही होना जरूरी है, तभी वह अपनी निश्चित जगह तक पहुंच सकता है। विशेषज्ञों की मानें, तो स्पर्म को महिलाओं के सर्विक्स, यूट्रस और फेलोपियन ट्यूब में मूव करना होता है। इस मूवमेंट को मोटिलिटी कहा जाता है। अगर स्पर्म मोटिलिटी सही न हो, तो इससे प्रेग्नेंसी कंसीव करने की संभावना 40 फीसदी कम हो जाती है। इसलिए, विशेषज्ञों का कहना है कि स्पर्म मूवमेंट का सही होना बहुत जरूरी है। ऐसा तभी हो सकता है कि स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों सही हो।
स्पर्म स्ट्रक्चर
स्पर्म स्ट्रक्चर का भी सही होना जरूरी होता है। अमूमन स्पर्म का हेड ओवल होता है और लंबी टेल यानी पूछ होती है। हालांकि, यह बात बहुत उतनी महत्वपूर्ण नहीं है, जितनी स्पर्म मूवमेंट और स्पर्म क्वांटिटी होती है। इन्हीं चीजों पर स्पर्म क्वाटिल तय होती है।
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मेल फर्टिलिटी से जुड़ी समस्या क्यों होती है
हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्लैंड में समस्या होती है। यह ब्रेन का वह हिस्सा होता है, जो पुरुषों के टेस्टीकल्स को को टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणु (द्वितीयक हाइपोगोनाडिज्म) बनाने का संकेत देते हैं
- टेस्टीक्यूलर से जुड़ी बीमारी
- स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसऑर्डर
- बढ़ती उम्र, खासकर 50 साल की उम्र के बाद
स्पर्म क्वालिटी को कैसे बेहतर करें
- पुरुषों को हमेशा अपने वेट को मैनेज करना चाहिए। वजन जितना ज्यादा होगा, स्पर्म क्वालिटी उतनी खराब होने का जोखिम रहता है।
- हमेशा डाइट में हेल्दी चीजें शामिल करें। जंक या प्रीजर्व्ड फूड से दूरी बनाए रखें। रेडी टू ईट फूड का सेवन भी न करें।
- सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से दूर रहें। ऐसे किसी शख्स के साथ शारीरिक संबंध स्थापित न करें, जिन्हें एसटीडी है।
- अपने स्ट्रेस के स्तर को मैनेज रखें। स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए एक्सपर्ट से मिलें।
- फिजिकल एक्टिवटी पर विशेष जोर दें। इससे बॉडी एक्टिव रहती है और शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स एंजाइम्स का स्तर भी बढ़ता है। इस तरह देखा जाए, तो स्पर्म क्वालिटी में सुधार होता है।
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