बच्चे के लिए सही प्री-स्कूल चुनना अभिभावकों के लिए कठिन फैसला होता है। सही मायनों में माता-पिता के लिए यह बहुत प्रसन्नता का मौका होता है क्योंकि उनकी संतान नई दुनिया में अपना पहला कदम रखने जा रही होती है। आप अपनी संतान के भविष्य को लेकर अधिक सतर्क रहते हैं। आप उन्हें सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं। आप चाहते हैं कि उसका विकास अच्छी तरह हो और वह एक बेहतर इनसान बन सके।
अगर आपने अपने बेटे अथवा बेटी के लिए पहले से कुछ सोच भी लिया है, फिर भी समय पर उनको पूरा करने के लिए भी आपको काफी मेहनत करने की जरूरत होगी। तो हम आपको बतायेंगे ऐसे कदम जिन पर चलकर आप अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा प्री-स्कूल चुन पाएंगे।
अच्छी तरह जांच करें
अपने बच्चे के लिए सही प्रीस्कूल का चुनाव करते समय आपको अच्छी तरह जांच करनी चाहिये। कई स्कूल बच्चे के एडमिशन से एक वर्ष माता-पिता को बुलाकर अपना स्कूल दिखाते हैं। इन स्कूलों में जरूर जाएं। इससे आपको जरूर फायदा होगा। और आपके लिए अपने बच्चे के लिए सही स्कूल का चुनाव करने में मदद मिलेगी।
राय लें
आप दूसरे अभिभावकों की राय ले सकते हैं। इससे आपको स्कूल की वास्तविक तस्वीर की जानकारी मिलेगी। आपको पता चलेगा कि स्कूल में शिक्षा और इसके अलावा अन्य गतिविधियों का क्या स्तर है। आप प्रीस्कूलों को शॉर्ट लिस्ट कर लें। इसके बाद छांटे गए प्रीस्कूलों के बारे में इंटरनेट व अन्य स्रोतों से उपयोगी जानकारी निकालें।
वेटिंग लिस्ट
कुछ स्कूलों में दाखिले के लिए वेटिंग लिस्ट होती है। इन परिस्थितियों में आपको बच्चे को वेटिंग लिस्ट के लिए जल्द से जल्द पंजीकृत करवा देना चाहिये।
स्कूल घूमकर देखें
फीस जमा करवाने व अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने से पहले जरूरी है कि आप स्कूल का एक चक्कर जरूर लगा लें। यह पता लगाने का प्रयास करें क स्कूल के नियम कायदे क्या हैं। स्कूल के हैडमास्टर और प्रिंसिपल से मिलें उनसे बात करें। क्लासरूम में जाइये और देखिये वे क्या पढ़ा रहे हैं। अपने पास सवालों की एक सूची रखिये और कोशिश कीजिये आपको उनके जवाब मिल जाएं।
कितने समय चलता है
बच्चे आमतौर पर ढाई से पांच वर्ष की उम्र में प्रीस्कूल जाते हैं। कुछ प्रीस्कूल आधा दिन तो कुछ पूरा दिन चलते हैं। जिन बच्चों के माता-पिता दोनों काम करते हैं उनके लिए फुल डे वाले प्रीस्कूल ज्यादा अच्छे रहते हैं। यदि आप हॉफ डे वाले प्रीस्कूल को अधिक प्राथमिकता देते हैं, ऐसी परिस्थिति में आपको अपने बच्चे के लिए एक बेबी सिटर का इंतजाम करना पड़ सकता है।
देखें प्रीस्कूल सही प्रकार काम कर रहा है या नहीं
प्रीस्कूल में बच्चा जिस प्रकार के वातावरण में रहता है उसका असर उस पर लंबे समय तक बना रहता है। देखिये कि स्कूल का स्टाफ बच्चों के साथ किस तरह बात कर रहा है। याद रखिये बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण में प्रीस्कूल की महत्ता बहुत अधिक होती है। यहीं आपका बच्चा जरूरी अनुशासन सीखता है।
प्रीस्कूल के पास बच्चों को संभालने और उनके व्यक्तित्व निर्माण के लिए जरूरी शोध आधारित कार्यक्रम होने चाहिये। ऐसे में आपको उन इशारों को समझना चाहिये जो आपको बतायें कि प्रीस्कूल में कुछ कमियां हैं। अगर प्रीस्कूल की लिस्ट में शौच निवृत करवाने की योजना नहीं है, तो उनसे पूछिये कि वे बच्चों को कैसे निवृत्त करवाते हैं। यह बात बहुत जरूरी है।
कोई भी माता-पिता जागरुकता के अभाव में अपने बच्चे के भविष्य के साथ किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहते। अपने बच्चे की व्यक्तित्व निर्माण के लिए जरूरी बातों को ध्यान में रखते हुए उसके लिए सबसे अच्छा प्रीस्कूल चुनें।