स्टीफन विलियम हॉकिंस 8 जनवरी 1942 को फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग के घर में पैदा हुए। आज एक विश्व प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र (Centre for Theoretical Cosmology) के शोध निर्देशक हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में अहम योगदान दिया है। लेकिन ये कमाल की प्रतिभा केवल दिमाग से अलावा पूरे शरीर से विकलांग है। बावजूद इसके उनके पास 12 मानद डिग्रियां हैं और अमेरीका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान भी उन्हें दिया गया है। हॉकिंग ने अपनी बीमारी को एक ना सिर्फ हराया बल्कि दुनिया के सामने एक नई मिसाल कायम की। चलिये जानें स्टीफन विलियम हॉकिंग की कमाल की कहानी -
स्टीफन हॉकिंग ने अपनी बीमारी को हराया
स्टीफन हॉकिंग की कहानी ऐसी है जिसे जानकर पहली बार में लगभग सभी भौंचक्के रह जाते हैं। हॉकिंग वो एक ऐसे व्यक्ति हैं जो जन्म से ही मोटर न्यूरॉन नामक बीमारी से पीड़ित हैं। उनके पूरे बदन में अगर कुछ काम करता अंग है तो वो है उनका सिर (दिमाग़)। एक ख़ास तरह के व्हील चेयर और उसमें अटेच्ड कंप्यूटर सिस्टम से उन्होंने वो काम किए हैं, जिसके लिए विज्ञान जगत उन्हें हमेशा याद रखेगा। ग्रैविटेशनल सिंगुलैरिटीज और अन्य कई थ्योरियों पर उम्दा काम करने और उन्हें गढ़ने के लिए बड़े-बड़े टेक एक्पर्ट भी स्टीफन को वाह-वाही देते हैं और अपना गुरू मानते हैं।
बीमारी बनी शक्ति
हॉकिंग ने एक बार बताया था कि उनकी बीमारी ने उनके वैज्ञानिक बनाने में अहम भूमिका अदा की है। बीमारी होने से पहले वे अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते थे, लेकिन बीमारी के वक्त उन्हें लगने लगा कि वे अब और जीवित नहीं रह पाएंगे, और इसके बाद उन्होंने अपना सारा ध्याना रिसर्च पर लगा दिया।
स्टीफ़न हॉकिंग की सादगी
“मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ब्रह्माण्ड को समझने में अपनी भूमिका निभाई। इसके रहस्य लोगों के सामने खोले और इस पर किये गये शोध में अपना योगदान दे पाया। मुझे गर्व होता है जब लोगों की भीड़ मेरे काम को जानना चाहती है।”
इच्छामृत्यु पर हॉकिंग का विचार
“लगभग सभी मांसपेशियों से मेरा नियंत्रण खो चुका है और अब मैं अपने गाल की मांसपेशी के जरिए, अपने चश्मे पर लगे सेंसर को कम्प्यूटर से जोड़कर ही बातचीत करता हूं।”
हॉकिंग शारीरिक अक्षमता के बावजूद आज विश्व के सबसे बड़े वैज्ञानिक हैं। उन्हें एमयोट्रॉफिक लैटरल सेलेरोसिस नाम की बीमारी है। इस बीमारी में मनुष्य का नर्वस सिस्टम धीरे-धीरे खत्म हो जाता है और शरीर के गतिविधी और संवाद करने की शक्ति समाप्त हो जाती है।
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