हम यह तो जानते हैं कि किसी चीज को सीखने-समझने का काम हमारा दिमाग करता है। आखिर इतने छोटे से दिमाग में ढेर सारी बातें आती कहां से हैं और यह कैसे काम करता है, यह सवाल लगभग सभी के मन में हमेशा से ही कौतुहल पैदा करता रहता है । जो अभी तक अबूझ पहेली की तरह ही रहा है । इस बारें मे विस्तार से जानने के लिए ये लेख पढ़े।
कैसे सीखता है दिमाग
मनुष्य अपने हर कार्य के लिए अपने मस्तिष्क का प्रयोग करते हैं जिसमें याद्दाश्त का लगभग हर स्तर पर उपयोग होता है। आमतौर पर कहा जाता कि मानव अपना दिमाग केवल 12 फीसदी प्रयोग करते है। क्या आप इसका कारण जानते है। मस्तिष्क के दांयें और बायें हिस्से के बीच आवश्यक सामंजस्य स्थापित नहीं होता है। अगर आप उन दोनों हिस्सों को सही तरीके से जोड़ेंगे नहीं, तब तक पूरा मस्तिष्क काम नहीं करेगा। न्यूरॉन नाम की एक चीज होती है, ये न्यूरॉन लगातार एक खास दिशा में काम कर रहे हैं। मनुष्यों का मस्तिष्क न्यूरोन्स कहे जाने वाले करोड़ों नर्व सैल्स से बना होता है। ये सैल्स आपस में कई प्रकार के बायोलॉजिकल और कैमिकल सिग्नल्स से सम्पर्क स्थापित करते हैं जिसमें न्यूरोकैमिकल नामक खास तत्व का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।
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क्यों भूल जाता है दिमाग
छोटी-छोटी बातों को भूलना आम तौर पर बहुत ही सामान्य बात होती है और कई बार इसका कारण व्यस्तता या लापरवाही होता है। लेकिन कई बार ये बीमारी का लक्षण भी होता है। व्यक्ति का दिमाग़ 45 साल की उम्र से ही कमज़ोर होना शुरू हो सकता है। याद्दाश्त खोने का संबंध न्यूरोन्स की कार्यप्रणाली में अवरोध से होता है। जैसे-जैसे व्यक्ति वृद्ध होता जाता है उसके मस्तिष्क और न्यूरोन्स में कई बदलाव आते हैं। यह सिद्ध तथ्य है कि 20 वर्ष के आसपास हमारा मस्तिष्क सबसे अधिक कुशलता से कार्य करता है जबकि 30 के करीब आते-आते न्यूरोन्स नष्टï होने लगते हैं। हमारा शरीर भी न्यूरोन्स के लिए उपयोगी कैमिकल्स कम मात्रा में निर्मित करने लगता है। जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है ये बदलाव उसे अधिक प्रभावित करने लगते हैं।
सोचने-समझने की शक्ति को प्रशिक्षित करने के लिए ज़रूरी है कि हम इसका “इस्तेमाल” करें। जो इंसान इसकी शक्ति को पहचान लेता है वह कुछ भी कर गुजरता है उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
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