How Modern Lifestyle is Impacting the Vision: आज कल की मॉर्डन लाइफस्टाइल का असर सिर्फ बड़ों और वयस्कों पर ही नहीं बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। लाइफस्टाइल के कारण ही कम उम्र के बच्चों को बड़ी-बड़ी बीमारियां हो रही हैं। मोटापे के बाद आज बच्चों में आंखों से जुड़ी बीमारी (Modern Lifestyle is Impacting the Vision) पेरेंट्स के लिए चुनौती बनकर सामने खड़ा है। एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में हर 10 में से 7 बच्चे आंखों की समस्या से परेशान हैं। लोगों को आंखों से जुड़ी समस्या के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व दृष्टि दिवस (World Sight Day 2024) मनाया जाता है।
विश्व दृष्टि दिवस के खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं, बच्चों को मॉर्डन लाइफस्टाइल के कारण कौन सी समस्याएं हो रही हैं, इससे बचाव के लिए क्या करना चाहिए। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए ओनलीमॉयहेल्थ की टीम ने महाराष्ट्र के लातूर स्थित श्री वेंकटेश आई इंस्टीट्यूट के विट्रो रेटिना विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण पाटिल (Dr. Pravin Patil, Vitreo Retina Specialist and Partner at Shri Venkatesh Eye Institute) से बात की।
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बच्चों को क्यों हो रही है आंखों से जुड़ी समस्या
डॉ. प्रवीण पाटिल के अनुसार, इन दिनों बच्चों को आंखों से जुड़ी परेशानियों का मुख्य कारण है बढ़ता हुआ स्क्रीन टाइम। छोटे बच्चे पढ़ाई करने, मनोरंजन और अपनी ज्यादातर एक्टिविटी के लिए मोबाइल और लैपटॉप पर निर्भर रहते हैं। लंबे समय तक स्क्रीन टाइम का इस्तेमाल करने के कारण ही कम उम्र में भी बच्चों की आंखों की रोशनी कम हो रही है और उन्हें लेंस व चश्मा लगाने की जरूरत पड़ रही है। आज बच्चे नजदीकी वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में लंबा समय तक बिताते हैं, जिससे आंखों पर तनाव और लंबे समय में उन्हें आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं। डॉ. प्रवीण पाटिल का कहना है कि आज की डिजिटल दुनिया में स्क्रीन को पूरी तरह से खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन बच्चों द्वारा उनका उपयोग कैसे किया जाता है, इसे प्रबंधित करना जरूरी है। छोटे बच्चों, खासकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए, स्क्रीन टाइम को सीमित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी आंखों की रोशनी अभी विकसित हो रही ही हैं।
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बच्चों को आंखों से जुड़ी परेशानी से बचाने के उपाय
डॉ. प्रवीण पाटिल ने हमारे साथ बातचीत में यह भी बताया कि पेरेंट्स मॉर्डन लाइफस्टाइल में कैसे बच्चों को आंखों से जुड़ी पर परेशानियों और बीमारियों से बचा सकते हैंः
1. 20-20-20 नियम को करें फॉलो
बच्चों के स्क्रीन टाइम को प्रबंधित करने की पेरेंट्स को 20-20-20 नियम फॉलो करना चाहिए। इस नियम के अनुसार, स्क्रीन के इस्तेमाल के हर 20 मिनट के बाद, बच्चों को कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखना चाहिए। इस नियम को फॉलो करने से बच्चों की आंखों का तनाव कम होता है। जिससे आंखों में दर्द और जलन जैसे परेशानियों को कम किया जा सकता है।
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2. खाते समय स्क्रीन का इस्तेमाल न करें
डॉक्टर का कहना है कि आज के समय में कई पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि उनका बच्चा बिना मोबाइल या टीवी देखे खाना नहीं खाता है। अगर आप भी ऐसा करते हैं, तो इससे बचें। खाना खाते समय अगर बच्चे स्क्रीन देखते हैं, तो यह न सिर्फ उनकी आंखों को प्रभावित करता है, बल्कि इससे उनकी रेगुलर एक्टिविटी भी प्रभावित होती है। खाना खाते समय में मोबाइल का इस्तेमाल न करने की वजह से आंखों के तनाव को कम करने और आंखों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
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3. खाने में पोषण तत्वों को शामिल करें
स्वस्थ आहार बच्चों के शारीरिक विकास के लिए जरूरी है, उतना ही बच्चों की आंखों के लिए भी महत्वपूर्ण है। बच्चों को आंखों से जुड़ी परेशानियों से बचाने के लिए खाने में विटामिन ए, सी और ई से भरपूर खाद्य पदार्थ, साथ ही जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड को शामिल करें। डॉक्टर का कहना है कि बच्चों को गाजर, पालक और संतरे जैसे रंग-बिरंगे फल और सब्जियां खाने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके साथ ही, बच्चों के खाने में मछली, अखरोट और अलसी जैसे ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थ को भी शामिल करें।
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4. रेगुलर आई टेस्ट
बच्चों की आंखों की देखभाल करने का सबसे प्रभावी तरीका है समय-समय पर उनका आई टेस्ट करवाना। डॉक्टर द्वारा बताए गए समय पर आई टेस्ट कराने से बच्चों को एम्ब्लियोपिया (आलसी आंख), स्ट्रैबिस्मस (भेंगापन) जैसी परेशानियों से बचाया जा सकता है।
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हम उम्मीद करते हैं इन उपायों को अपनाकर आप बच्चों की आंखों को सुरक्षित रखेंगे। इस विश्व दृष्टि दिवस के खास मौके पर ओनलमॉयहेल्थ अपने पाठकों ने अनुरोध करता है कि वह साल में एक बार अपनी आंखों का टेस्ट जरूर करवाएं।
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