हार्ट ब्‍लॉकेज हो तो ऐसे करें उपचार

हार्ट ब्‍लॉकेज की शुरूआत आगे चलकर हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। आप इस तरह की किसी भी समस्‍या से बचे रहे, इसके लिए इस लेख को पढ़ें।
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हार्ट ब्‍लॉकेज हो तो ऐसे करें उपचार

हार्ट ब्‍लॉकेज दिल की धड़कन से संबंधित समस्‍या है। कई बार बच्‍चों में यह समस्‍या जन्‍मजात होती है, जबकि कुछ लोगों में यह समस्‍या बड़े होने के बाद शुरू होती है। जन्‍मजात होने वाली समस्‍या को कोनगेनिटल हार्ट ब्‍लॉक जबकि बड़े होने पर हार्ट ब्‍लॉकेज की होने वाली समस्‍या को एक्‍वीरेड हार्ट ब्‍लॉक कहते हैं।आजकल कोनगेनिटल हार्ट ब्‍लॉक के मुकाबले एक्‍वीरेड हार्ट ब्‍लॉक एक आम समस्‍या है। हार्ट मशल और इसके इलेक्ट्रिकल सिस्‍टम के कारण एक्‍वीरेड हार्ट ब्‍लॉक की प्रॉब्‍लम होती है। इसका उपचार बाइपास सर्जरी, एंजियोप्लास्टी अथवा महंगी दवाएं है। आगे बात करते हैं हार्ट ब्‍लॉकेज के लक्षण और इसके उपचार के बारे में।

heart Blockage in Hindi

हार्ट ब्‍लॉकेज के लक्षण

हार्ट ब्‍लॉकेज होने के लक्षण की बात करें तो यह इस पर निर्भर करता है कि आपको किस डिग्री की ब्‍लॉकेज हैं। फर्स्‍ट डिग्री हार्ट ब्‍लॉकेज का कोई खास लक्षण नहीं होता। सेकेंड डिग्री और थर्ड डिग्री हार्ट ब्‍लॉकेज में दिल की धड़कनें निश्चित समय अंतराल पर न होकर रूक-रूक कर होती है। इस तरह की हार्ट ब्‍लॉकेज के अन्‍य लक्षण चक्‍कर आने या बेहोश हो जाना, सिर में दर्द की शिकायत रहना, थोड़ा काम करने पर थकान महसूस होना,  छोटी सांस आना, सीने में दर्द रहना आदि है। इनमें से कोई लक्षण आपको अन्‍य किसी बीमारी के होने पर भी हो सकता है। थर्ड डिग्री हार्ट ब्‍लॉकेज में रोगी को तुरंत इलाज की जरूरत होती है क्‍योंकि यह घातक हो सकती है।

 

हार्ट ब्‍लॉकेज का उपचार

थर्ड डिग्री हार्ट ब्‍लॉकेज की समस्‍या होने पर इसे 'पेसमेकर' मेडिकल डिवाइस की मदद से ठीक किया जाता है। कभी -कभी इस डिवाइस का इस्‍तेमाल सेकेंड डिग्री हार्ट ब्‍लॉकेज होने पर भी किया जाता है। फर्स्‍ट डिग्री हार्ट ब्‍लॉकेज में पेसमेकर का यूज नहीं किया जाता। पेसमेकर का इस्‍तेमाल हार्ट की इलेक्‍ट्रीकल पल्‍स को बढ़ाने के लिए किया जाता है। किसी भी प्रकार की हार्ट ब्‍लॉकेज आपके लिए खतरा बढ़ा सकती है। इसलिए उपचार में लापरवाही न करें।


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हार्ट ब्‍लॉकेज का घरेलू उपचार

प्रतिदिन सुबह में 3 से 4 किलोमीटर की सैर करें।  सुबह को लहसुन की एक कली लेने से कोलेस्‍ट्राल कम होता है। खाने में बैंगन का प्रयोग करने से कोलेस्‍ट्राल की मात्रा में कमी आती है। प्याज अथवा प्याज के रस का सेवन करने से हृदय गति नियंत्रित होती है। हृदय रोगी को हरी साग-सब्‍जी जैसे लौकी, पालक, बथुआ और मेथी जैसी कम कैलोरी वाली सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए।  घी, मक्खन, मलाईदार दूध और तली हुई चीजों के सेवन से परहेज करें। अदरक अथवा अदरक का रस भी खून का थक्का बनने से रोकने में सहायक होता है। शराब के सेवन और धूम्रपान से बचना चाहिए।


हार्ट ब्‍लॉक होना हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्‍टम में एक रोग है, इससे हृदय की गति प्रभावित होती है। जब किसी के हृदय में ब्‍लॉकेज होती है तो यह दिल के धड़कने की दर यानी हार्टबीट पर असर डालती है।

 

 

 

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