हृदय आलिंद में असामान्य हृदयताल की समस्या होती है। यह शरीर में रक्त के प्रवाह में कमी का कारण बनता है। हृदय अलिंद के कारण दिल के दो ऊपरी कक्ष जिन्हें अटरिया कहा जाता है, अव्यवस्थित और अनियमित हो जाते हैं और दिल की दो निचले कक्षों (वैन्ट्रकल्स) के साथ समन्वय नहीं रख पाते। हृदय अलिंद के लक्षणों के रूप में दिल की धड़कन बढ़ना, सांस की तकलीफ और कमजोरी जैसी समस्यायें हो सकती हैं। हालांकि सही समय पर चिकित्सा से इस समस्या का निदान किया जा सकता है।अलिंद से पीड़ित कुछ लोगों को इस रोग का कोई अंदेशा ही नहीं होता, जब तक किसी शरीरिक परीक्षण के दौरान हृदय आलिंद की पहचान नहीं होती। हृदय आलिंद में समस्या के कुछ लक्षण इस प्रकार होते हैं।-
हृदय अलिंद के लक्षण
दिल में तेज धकधक महसूस होना, जो सीने में एक रेसिंग की तरह महसूस होती है, असहजता, अनियमित दिल की धड़कन। कमजोरी, चक्कर आना, भ्रम की स्थिति होना, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द,हृदय अलिंद के कुछ संभावित कारणों में निम्न कारण शामिल हैं। उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे, हृदय वाल्व का आसामान्य होना, हृदय दोष (जन्मजात), थायरॉयड ग्रंथि या अन्य चयापचय असंतुलन, वातस्फीति (एम्फाइज़िमा) या अन्य फेफड़े की बीमारियों के कारण, दिल की सर्जरी, वायरल संक्रमण, निमोनिया, सर्जरी या अन्य बीमारियों के कारण तनाव, नींद की परेशानी जैसे लक्षण होते है। इसके इलाज के लिए खून के थक्कों की रोकथाम औऱ दर को नियत्रंण मे करना कारगर रहता है।
खून के थक्कों की रोकथाम
हृदय आलिंद से प्राभावित लोगों में दिल से दिमाग तक जाने वाली रक्तवाहिकाओं में रक्त के थक्के जमने और स्टोक होने का खतरा अधिक होता है। रक्त का थक्का से जमने के बाद हृदय आलिंद के उपचार करवाना बहुत जरूरी हो जाता है। इसमें डॉक्टर रक्त को हल्का करने की दवायें देते हैं, ताकी रक्त के थक्के बनने से रोका जा सके। इन दवाओं में वारफरीन (कॉमाडिन), हेपरिन और एस्पिरिन शामिल हो सकती हैं।वारफरीन स्ट्रोक के जोखिम कारकों के साथ लोगों में सबसे प्रभावी दवा होती है। वारफरीन का सेवन कर रहे लोगों को समय-समय पर अपने रक्त की जांच करवाते रहना चाहिए, ताकि पता चलता रहे कि दवा ठीक प्रकार काम कर रही है या नहीं।
दर नियंत्रण (रेट कंट्रोल)
डॉक्टर वेंट्रिकल की ताल को कम करने वाली दवाएं भी देता है। ये दवायें हृदय ताल को सामान्य स्तर पर लाने में मदद करती हैं। दवाओं का प्रयोग हृदय ताल के संतुलन के साथ-साथ बीटा ब्लॉकर्स (उदाहरण के लिए, मेटोप्रोलोल और एट्नेलोल), कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (डाइटियाजैम और रापामिल) तथा और डिजिटालिस (डाइजोक्सिन) के लिए उपलब्ध हैं।डॉक्टर दिल की लय को ठीक बनाए रखने के लिये दवाओं तथा अन्य तरीकों का उपयोग करते हैं। वे उपचार उन मरीजों को दिया जाता है जिनकी हृदय दर ठीक नहीं है या जिन्हें हाल ही में हृदय आलिंद की समस्या हुई है।
इस समस्या के चलते दवाओं का उपयोग किसी रोगी की अनियंत्रित हृदय दर को कम करने के लिए कई दवाओं का प्रयोग किया जाता है। कोई भी दवा नियमित लेनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए।