हार्मोन हमारे शरीर को कई तरह से प्रभावित करता है। असल में, हार्मोंस एक तरह के केमिकल होते है। यह ब्लड के जरिए शरीर के सभी अंगों, स्किन, मसल्स और टिश्यूज तक यह मैसेज पहुंचाता है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि अगर बॉडी में हार्मोन का अंसतुलन होने लगे, तो शरीर में कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। हमारे शरीर में हर हार्मोन का अपना काम (Hormone Kya Kam Karta Hai) डिफाइन है। हार्मोन में जरा-सा उतार-चढ़ाव हमारे मूड को भी प्रभावित कर सकता है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि कौन-सा हार्मोन हमारी हेल्थ को किस तरह प्रभावित करता है। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
हार्मोन किस तरह आपकी हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं?- How Hormones Can Affect Health In Hindi
एस्ट्रोजन
एस्ट्रोजन फिमेल सेक्स हार्मोन है। हालांकि, पुरुषों में भी यह हार्मोन होता है। महिलाओं में यह हार्मोन ओवरीज से प्रोड्यूस होता है, जो कि ओव्यूलेशन, मेंस्ट्रुएशन, ब्रेस्ट डेवेलपमेंट आदि कामों के लिए रेस्पॉन्सिबल होता है। लेकिन, अगर वहीं किसी महिला में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे कुछ खास किस्म के कैंसर के होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन के बढ़ते स्तर के कारण वेट गेन, डिप्रेशन, सोने में दिक्कत, सिर दर्द और लो सेक्स ड्राइव जैसी समस्या हो सकती है।
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प्रोजेस्टेरोन
प्रोजेस्टेरोन भी एक तरह का फिमेल हार्मोन है, जो कि महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्ट से जुड़ा हुआ है। एस्ट्रोजन की ही तरह, यह हार्मोन भी मेंस्ट्रुअल साइकिल में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, प्रोजेस्टेरोन की वजह से गर्भाशय प्रेग्नेंसी के लिए तैयार होता है और प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में यह इस हार्मोन का अहम योगदान होता है। अगर किसी वजह से इसे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में कमी आ जाती है, तो महिला को हैवी पीरियड्स हो सकते हैं, मेंस्ट्रुअल साइकिल डिस्टर्ब हो सकते हैं और फर्टिलिटी प्रॉब्लम हो सकती है। यही नहीं, अगर प्रोजेस्टेरोन का स्तर बहुत ज्यादा कम हो जाता है, तो महिला को मिसकैरेज का सामना भी करना पड़ सकता है।
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टेस्टोस्टेरोन
टेस्टोस्टेरोन एक तरह से प्रिंसिपल एंड्रोजन है। आपको बता दें कि एंड्रोजन एक तरह का हार्मोन होता है, जो मेल रिप्रोडक्शन से जुड़ा होता है। हालांकि महिलाओं में ओवरी, फैट सेल्स और एड्रिनल ग्लैंड के जरिए टेस्टोस्टेरोन और एंड्रोजन प्रोड्यूस होता है। यह हार्मोन पुरुष और महिला दोनों में सेक्स ड्राइव, फैट डिस्ट्रिब्यूशन, मसल्स स्ट्रेंथ, बोन मास और रेड ब्लड सेल्स के लिए अहम भूमिका निभाता है। अगर किसी महिला में टेस्टोस्टेरोन की संख्या बढ़ जाती है, तो इसकी वजह से उनके बाल झड़ने लगते हैं, चेहरे पर बाल आने लगते हैं और बॉडी फैट बढ़ने लगता है। इसके अलावा, ब्रेस्ट साइज कम रह जाता है और अनियमित महावारी की समस्या हो सकती है।
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कोर्टिसोल
कोर्टिसोल को स्टेरॉयड हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। यह एड्रिनल ग्लैंड के जरिए प्रोड्यूस होता है। कोर्टिसोल हार्मोन की कई तरह के जिम्मेदारियां होती हैं, ताकि आप हेल्दी और एनर्जेटिक बने रहें। यह मेटाबॉलिज्म और ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करता है। यह एंटी-इंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है और मेमोरी बनाए रखने में मदद करता है। कभी-कभी कोर्टिसोल को हम स्ट्रेस हार्मोन के नाम से भी जानते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि कई बार स्ट्रेस बढ़ने पर बॉडी रिएक्शन के तौर पर स्ट्रेस का स्तर बढ़ने लगता है। अगर किसी वजह से शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, तो ऑटोइम्यून प्रॉब्लम्स हो सकती हैं, नींद आने में दिक्कत होती है, थकान और कमजोरी जैसी समस्या भी बनी होने लगती है।
एड्रिनल
कोर्टिसोल की ही तरह एड्रिनल भी स्ट्रेस हार्मोन कहलाता है। यह एड्रिनल ग्लैंड और सेंट्रल नर्वस सिस्टम के कुछ सेल्स द्वारा प्रोड्यूस होता है। एड्रिनल का मूल काम है कि बॉडी को ‘फाइट और फ्लाइट’ कंडीशन के लिए तैयार करे। आपको बता दें कि बॉडी ‘फाइट और फ्लाइट’ कंडीशन में तब आती है, जब इसे तुरंत किसी डेंजरस या स्ट्रेसफुल सिचुएशन में रेस्पॉन्स करना होता है। अगर किसी वजह से शरीर में एड्रिनल का स्तर बढ़ जाता है, तो इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, हार्ट बीट बढ़ सकती हैं, एंग्जाइटी और हार्ट अटैक की समस्या हो सकती है।
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