डायबिटीज का जीवन पर प्रभाव व इससे जुड़े डर

पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीयों में डायबिटीज रोग 10 से 15 साल पहले ही लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, हालांकि इस रोग से जुड़ी सही जानकारी और देखभाल रख सामान्य जीवन जिया जा सकता है।
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डायबिटीज का जीवन पर प्रभाव व इससे जुड़े डर

हमारे देश में डायबिटीज यानी मधुमेह बेहद खतरनाक रूप ले चुकी है। पहले जहां बड़ी उम्र के लोग ही इस बीमारी के शिकार होते थे, अब युवाओं और यहां तक कि बच्‍चों में भी यह बीमारी अपने पैर पसार चुकी है। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक भारत में डायबिटीज के सबसे ज्‍यादा मरीज हैं। पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीयों में यह रोग 10 से 15 साल पहले ही लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। गौरतलब है कि भारत में लगभग 6.3 करोड़ लोग डायबिटीज रोग से पीड़ित हैं।

 

अनुमानों के मुताबिक साल 2030 तक देश में डायबिटीज रोगियों की संख्या 10 करोड़ पार कर जाने का आशंका है। डायबिटीज अपने आप में एक जानलेवा बीमारी है। और यह स्वास्थ्य संबंधी अन्य तमाम बीमारियों से जुड़ी होती है। डायबिटीज को जड़ से भले न खत्म किया जा सकता हो पर इसकी प्रभावी रोकथाम अवश्य की जा सकती है। लेकिन इस राह में इससे जुड़ी अनेक गलतफहमियां और मिथक सबसे बड़ी बाधा हैं। चिकित्सकों का कहना है कि डायबिटीज के प्रति जागरूकता इससे लड़ने का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। यही नहीं डायबिटीज से जुड़े कई डर भी लोगों को पल-पल सताते हैं।

 

Diabetes Affect Your Life In Hindi

 

डायबिटीज का प्रभाव

डायबिटीज का प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर होता है। विशेषकर डायबिटीज की वजह से गुर्दे खराब होने का खतरा, आंखों की रोशनी कम होने तथा हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी सामान्य व्यक्ति की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है। इस रोग की वजह से नपुंसकता भी हो सकती है। इसके कारण पैरों में जलन तथा न्यूरोपैथी हो जाती है और यही इस रोग से जुड़े लोगों की चिंता के विषय भी हैं।

कोरनरी धमनी हृदयरोग, तंग धमनियां और डायबिटीज

सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज के रोगियों की धमनियों में चर्बी जमने की क्रिया तेज होती है। इस एथिरोस्क्लेरोलिस से धमनी का रास्ता तंग हो जाता है। इससे इसमें खून का दौरा कम हो जाता है। इसका असर कोरोनेरी धमनी पर पड़ता है। इससे व्‍यक्ति को हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके होने पर दिल की माशपेशियों को रक्त की सप्लाई घट जाती है। ज्यादा बोझ पड़ने से दिल समस्या के संकेत देना शुरू कर देता है। इसके कारण छाती में रह-रह कर दर्द (ऐंजाइना) होता है। और कोरोनरी धमनी के ज्यादा संकरा हो जाने पर और उसमें खूंन का थक्का जम जाने पर, खून का दौरा रुक जाता है और दिल का दौरा पड़ सकता है। शोध बताते हैं कि डायबिटीज रोगियों को दिल का दौरा पड़ने की दर आम लोगों की तुलना में दोगुनी होती है।

 

Diabetes Affect Your Life In Hindi

 

ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की भूमिका

यदि ब्लड प्रेशर बढ़कर 140/90 से ऊपर चला जाए, अच्छे स्वास्थ्य का सूचक एचडीएल कोलेस्ट्रॉल घटकर 35 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर से कम रह जाए व ट्राइग्लिसराइड बढ़कर 250 मिलीग्राम प्रतिशत से ऊपर चला जाए तो समझ लें कि डायबिटीज दस्तक दे रही है। ध्यान रहे "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी!" वर्तमान जीवनशैली में अगर कुछ दूसरी अस्वस्थ कड़ियां भी जुड़ जाएं तो डायबिटीज का जोखिम और भी बढ़ जाता है। हां इस पर तो आप नियंत्रण नहीं कर सकते, लेकिन इनकी उपस्थिति में व्यक्ति को डायबिटीज के प्रति अतिरिक्त रूप से सावधान रहते हुए इस पर लगाम जरूर लगाई जा सकती है।

 

शुगर लैवल की मॉनिटरिंग

जिन लोगों के परिवार में बुजुर्गो को डायबिटीज़ होती रही है, उन्हें इससे बचने के लिए ज्याद सावधानी बरतने की जरूरत होती है। उन्हें रक्त की नियमित जांच कराकर शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने की कोशिश करनी चाहिए। और यकीन मानिये शुगर लैवल की निगरानी से ये संभव है। शुगर लैवल का चार्ट देखकर आप विशेषज्ञ से या मेडिकल जर्नल्स और वेबसाइट्स से खुद ही, इसे नियंत्रित रखने की युक्तियों के बारे में जान सकते हैं। ये कतई न समझें कि इंसुलिन का स्तर बढ़ा हुआ होने पर डायबिटीज़ नहीं होगी। असल में डायबिटीज़ का होना या न होना इंसुलिन के स्तर पर नहीं, बल्कि उसकी प्रभावशीलता पर निर्भर करता है। इंसुलिन का स्तर अक्सर उन लोगों में गड़बड़ा जाता है, जिन्हें खुद को अलग जीवनशैली में ढालना पड़ता है। ऐसे लोगों को समय समय पर शुगर टेस्ट कराते रहना चाहिए।

 

रक्त संबंधियों में डायबिटीज

परिवार में माता-पिता या भाई-बहन को डायबिटीज हो तो परिवार के अन्य सदस्यों को डायबिटीज होने की हिस्ट्री हो तो यह समस्या होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। इस जोखिम से निपटने के लिए जीवनशैली के प्रति थोड़ी अतिरिक्त चौकसी बरतने की जरूरत होती है।


डायबिटीज से बचने के लिए सबसे कारगर तरीका है कि रक्त की जांच में शुगर के स्तर की नियमित जांच कराई जाए। और कुछ गड़बड़ी दिखाई देते ही समय रहते विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह मिलने पर आप खानपान और जीवनशैली में मामूली बदलाव करके ज्यादा बड़े खतरों को टाला जा सकता है। डायबिटीज़ का मरीज़ अगर इस बीमारी के बारे में जितनी ज्यादा जानकारी रखता है, तो वह इससे लड़ने के लिए उतना बेहतर ढ़ंग से तैयार हो जाता है। जब एक जागरूक मरीज़ अपने इलाज में पूरी रुचि रखेगा, तो उसमें बीमारी से मात न खाने की हिम्मत पैदा होगी, और ये बेहत अहम है।

 

 

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आज हमारे देश में डायबिटीज यानि मधुमेह बेहद खतरनाक बीमारी बनकर उभर रही है जिसके शिकार बूढ़े ही नहीं बल्कि युवा भी हो रहे

हैं। कुछ रिपोर्ट बताते हैं कि पूरी दुनिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा डायबिटीज के रोगी भारत में हैं। पश्चिमी देशों की तुलना में

भारतीयों में यह रोग 10 से 15 साल पहले ही लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। गौरतलब है कि भारत में लगभग 6.3 करोड़ लोग

डायबिटीज रोग से पीड़ित हैं।


अनुमानों के मुताबिक साल 2030 तक देश में डायबिटीज रोगियों की संख्या 10 करोड़ पार कर जाने का आशंका है। डायबिटीज अपने

आप में एक जानलेवा बीमारी है, और स्वास्थ्य संबंधी अन्य तमाम बीमारियों से जुड़ी होती है। डायबिटीज को जड़ से भले न खत्म किया

जा सकता हो पर इसकी प्रभावी रोकथाम अवश्य की जा सकती है, लेकिन इस राह में इससे जुड़ी अनेक गलतफहमियां और मिथक

सबसे बड़े रोड़े हैं। चिकित्सकों का कहना है कि डायबिटीज के प्रति जागरूकता इससे लड़ने का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। यही नहीं

डायबिटीज से जुड़े कई डर भी लोगों को पल-पल सताते हैं।


डायबिटीज का प्रभाव
डायबिटीज का प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर होता है, विशेषकर डायबिटीज की वजह से गुर्दे खराब होने का खतरा, आंखों की रोशनी कम

होने तथा हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी सामान्य व्यक्ति की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है। इस रोग की वजह से

नपुंसकता भी हो सकती है। इसके कारण पैरों में जलन तथा न्यूरोपैथी हो जाती है और यही इस रोग से जुड़े लोगों की चिंता के विषय

भी हैं।



कोरनरी धमनी हृदयरोग, तंग धमनियां और डायबिटीज
सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज के रोगियों की धमनियों में चर्बी जमने की क्रिया तेज होती है। इस एथिरोस्क्लेरोलिस से धमनी

का रास्ता तंग हो जाता है और असमें खूम का दौरा कम हो जाता है। जब यह प्रक्रिया दिल को जीवन देने रही कोरोनरी धमनी को

प्रभावित करती है तो कोरोनरी धमनी हृदयरोग (कोरोनरी हार्ट डिजीज) हो जाता है। इसके होने पर दिल की माशपेशियों को रक्त की

सप्लाई घट जाती है और ज्यादा बोझ पड़ने से दिल समस्या के संकेत देना शुरू कर देता है। इसके कारण छाती में रह-रह कर दर्द

(ऐंजाइना) होता है और कोरोनरी धमनी के ज्यादा संकरा हो जाने पर और उसमें खूंन का थक्का जम जाने पर, खून का दौरा रुक जाता

है और दिल का दौरा पड़ सकता है। शोध बताता हैं कि डायबिटीज रोगियों को दिल का दौरा पड़ने की दर आम लोगों की तुलना में

दोगुनी होती है।  



ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की भूमिका
यदि ब्लड प्रेशर बढ़कर 140/90 से ऊपर चला जाए, अच्छे स्वास्थ्य का सूचक एचडीएल कोलेस्ट्रॉल घटकर 35 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर

से कम रह जाए व ट्राइग्लिसराइड बढ़कर 250 मिलीग्राम प्रतिशत से ऊपर चला जाए तो समझ लें कि डायबिटीज दस्तक दे रही है।

ध्यान रहे "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी!" वर्तमान जीवनशैली में अगर कुछ दूसरी अस्वस्थ कड़ियां भी जुड़ जाएं तो डायबिटीज का

जोखिम और भी बढ़ जाता है। हां इस पर तो आप नियंत्रण नहीं कर सकते, लेकिन इनकी उपस्थिति में व्यक्ति को डायबिटीज के प्रति

अतिरिक्त रूप से सावधान रहते हुए इस पर लगाम जरूर लगाई जा सकती है।   


शुगर लैवल की मॉनिटरिंग
जिन लोगों के परिवार में बुजुर्गो को डायबिटीज़ होती रही है, उन्हें इससे बचने के लिए ज्याद सावधानी बरतने की जरूरत होती है। उन्हें

रक्त की नियमित जांच कराकर शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने की कोशिश करनी चाहिए। और यकीन मानिये शुगर लैवल की

निगरानी से ये संभव है। शुगर लैवल का चार्ट देखकर आप विशेषज्ञ से या मेडिकल जर्नल्स और वेबसाइट्स से खुद ही, इसे नियंत्रित

रखने की युक्तियों के बारे में जान सकते हैं। ये कतई न समझें कि इंसुलिन का स्तर बढ़ा हुआ होने पर डायबिटीज़ नहीं होगी। असल में

डायबिटीज़ का होना या न होना इंसुलिन के स्तर पर नहीं, बल्कि उसकी प्रभावशीलता पर निर्भर करता है। इंसुलिन का स्तर अक्सर उन

लोगों में गड़बड़ा जाता है, जिन्हें खुद को अलग जीवनशैली में ढालना पड़ता है। ऐसे लोगों को समय समय पर शुगर टेस्ट कराते रहना

चाहिए।


रक्त संबंधियों में डायबिटीज
परिवार में माता-पिता या भाई-बहन को डायबिटीज हो तो परिवार के अन्य सदस्यों को डायबिटीज होने की हिस्ट्री हो तो यह समस्या होने

की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। इस जोखिम से निपटने के लिए जीवनशैली के प्रति थोड़ी अतिरिक्त चौकसी बरतने की जरूरत होती

है।


डायबिटीज से बचने के लिए सबसे कारगर तरीका है कि रक्त की जांच में शुगर के स्तर की नियमित जांच कराई जाए। और कुछ

गड़बड़ी दिखाई देते ही समय रहते विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह मिलने पर आप खानपान और जीवनशैली में मामूली बदलाव करके ज्यादा

बड़े खतरों को टाला जा सकता है। डायबिटीज़ का मरीज़ अगर इस बीमारी के बारे में जितनी ज्यादा जानकारी रखता है, तो वह इससे

लड़ने के लिए उतना बेहतर ढ़ंग से तैयार हो जाता है। जब एक जागरूक मरीज़ अपने इलाज में पूरी रुचि रखेगा, तो उसमें बीमारी से

मात न खाने की हिम्मत पैदा होगी, और ये बेहत अहम है।


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