पब्लिक टॉयलेट यानी सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करना शायद ही किसी को पसंद होता है लेकिन मजबूरी में हम सभी को कभी न कभी इनका इस्तेमाल करना ही पड़ जाता है। कोई पब्लिक टॉयलेट भले ही कितना भी साफ क्यों न दिखे, लेकिन उसमें बहुत अधिक मात्रा में कीटाणु होते हैं। इससे कई प्रकार की संक्रामक बीमारियां भी हो सकती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं इससे होने वाली बीमारियां और इनसे कैसे बचा जाए।
इन बीमारियों का रहता है खतरा
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि शौचालयों में काफी गंदगी होती है और वे कई प्रकार के कीटाणुओं का अड्डा होते हैं। जैसे स्ट्रेप्टोकोकस (जो आपके गले को संक्रमित कर सकते हैं), स्टैफिलोकोकस, ई. कोली (जिससे डायरिया और पेट में मरोड़ हो सकता है), एस. औरियस (जो निमोनिया या त्वचा की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं), शिगेला जीवाणु, हैपेटाइटिस ए विषाणु, सामान्य सर्दी वाले कीटाणु और यहां तक कि यौन संक्रमण फैलाने वाले जीव।
पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल में बरतें सावधानी
- शौचालय इस्तेमाल करने के बाद हमेशा अपने हाथ धोएं। यहां हाथ धोने का सिर्फ ये अर्थ नहीं है कि आपको सिर्फ पानी से हाथ धोना है। जी नहीं, बल्कि आपको साबुन से कम से कम 20 सेकंड तक अच्छे से झाग लाकर, उंगलियों के कोने और नाखूनों के भीतर तक उन्हें पहुंचाकर हाथ धोना है। याद रखें कि आपके हाथ अगर अच्छे से धुले हैं तभी उनके ज़रिए आपके चेहरे और मुंह तक संक्रमण नहीं फैलेगा।
- हाथ धोने के बाद, नल को टिश्यू पेपर से बंद करें और उसी टिश्यू पेपर का इस्तेमाल शौचालय का दरवाज़ा खोलने के लिए भी करें।
- जीवाणुनाशक वाइप अपने साथ रखें और बैठने से पहले शौच की सीट को उस वाइप से पोंछ लें। यही एक तरीका है जिससे आप स्टैफिलोकोकस और वैसे ही त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले दूसरे कीटाणुओं से बच सकते हैं।
- फ़्लश के हैंडल को हाथ से ना छुएं। इसके लिए अपने पैरों का इस्तेमाल करें।
- फ़्लश होते समय पॉट में से मल संबंधी रोगाणु ऊपर उड़ते हैं। कुछ पॉट में से तो 20 फीट ऊपर तक उड़कर आते हैं। इसलिए फ़्लश करते समय पॉट का ढक्कन बंद कर दें। कुछ सार्वजनिक शौचालयों में पॉट पर ढक्कन नहीं लगे होते, वहां आप फ़्लश करने से पहले दरवाज़ा खोल सकते हैं और फिर वहां से जल्द ही निकल जाएं।
- कुछ शौचालयों में स्वचलित फ़्लशिंग व्यवस्था होती है। ऐसे में अगर आपके शौच करने के दौरान ही फ़्लश होता है तो मुमकिन है कि उसके कुछ छींटे उड़कर आप पर आएं। हालांकि, इनसे डरने की तब तक ज़रुरत नहीं जब तक छींटे उड़ने वाली जगह पर कोई चोट या कटा हुआ ना हो। इसलिए संक्रमण होने की संभावना ना के बराबर है।
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- अगर आपके पास विकल्प है, तो आप ऐसे शौचालय का इस्तेमाल करें जहां शौच कागज़ों को किसी धातु या प्लास्टिक के आवरण से ढका जाता हो ताकि उन पर शौच का पानी और रोगाणु उड़कर ना जाएं।
- हाथों को सुखाने वाली मशीन का इस्तेमाल करते समय, वायु निकासी वाली सतह को ना छुएं क्योंकि इससे संदूषण का खतरा होता है।
- कभी भी अपने थैले (सामान) को फ़र्श पर ना रखें। सार्वजनिक शौचालयों में फ़र्श ही वो जगह होती है जहां सबसे ज्यादा रोगाणु पाए जाते हैं।
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