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बच्चे को कम सुनाई देता है, तो मददगार हो सकती है कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी, जानें इसके बारे में

कुछ बच्चों को जन्म से सुनाई न देने की समस्या होती है। ऐसे में कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी फायदेमंद हो सकती है। डॉक्टर से जानते हैं इस बारे में
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बच्चे को कम सुनाई देता है, तो मददगार हो सकती है कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी, जानें इसके बारे में


कुछ बच्चों को जन्म से ही सुनाई देने की समस्या का सामना करना पड़ता है। दरअसल, माता-पिता के जीन्स गर्भ में बच्चे में विकार का कारण बन सकते हैं। इन विकारों के कारण बच्चो के यदि कान के अंगों का विकास सही तरह से नहीं होता है, तो उनको जन्म से ही सुनाई न देने की समस्या हो सकती है। जन्म के समय शिशु बेहद छोटा होता है, ऐसे में टेस्ट के जरिए भी इस समस्या की पहचान नहीं की जा सकती है। डॉक्टर्स की मानें तो भारत में जन्म लेने वाले लगभग 1000 बच्चों में से करीब 6-8 बच्चों में जन्म से सुनने में कमी की समस्या हो सकती है। हालांकि, शिशु की प्रतिक्रियाओं का शुरुआती दौर में पता नहीं चल पाता है, ऐसे में बच्चे के बड़े होने पर इस समस्या का पता चलता है। कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी के जरिए इस समस्या का इलाज किया जा सकता है। यह सर्जरी से बच्चे की सुनने की क्षमता दोबारा से ठीक हो सकती है। आगे सर्वोदय अस्पताल फरीदाबाद के निदेशक, ईएनटी व कोक्लीयर इम्प्लांट्स विभाग के सीनियर डॉक्टर रवि भाटिया से जानते हैं कि कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी से क्या फायदे होते है। साथ ही, इसकी सफलता दर कितनी होती है? 

कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी क्या होती है?

कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी सर्जरी में एक उपकरण को कान के पीछे फिक्स किया जाता है। इस उपकरण की मदद से जन्म से पूरी तरह से सुनने में अक्षम और कम सुनाई देने वाले बच्चों या व्यक्ति में सुनाई देने की परेशानी दूर की जाती है। इस उपकरण का एक हिस्सा कान के पीछे, जबकि दूसरा हिस्सा सर्जरी की मदद से स्किन के अंदर लगाया जाता है। यह उपकरण कान के अंदुरुनी डैमेज हिस्से को बायपास करके सुनने वाली नसों स्टिम्यूलेट करते हैं। बाहरी हिस्सा साउंड के सिंग्नल्स को कैप्चर करके उसे आंतरिक डिवाइस को ट्रांसफर करता है। यह, साउंड सिग्नल्स ब्रेन को भी भेजे जाते हैं। इससे व्यक्ति को सुनने में मदद मिलती है। 

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सुनाई देने की क्षमता का पता लगाने के लिए क्या टेस्ट किए जाते हैं? 

यदि किसी बच्चे को जन्म से सुनने की समस्या होती है, तो ऐसे में डॉक्टर कुछ माह के बाद बच्चे के लिए टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। इसमें ब्रेनस्टेम इवोक्ड रिस्पांस ऑडियोमेट्री (BERA) और ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पांस (ABR) किए जा सकते हैं। यह टेस्ट सुनने की क्षमता का आकलन करते हैं। इससे  बच्चे या वयस्क में एक कान या दोनों कानों की समस्या का पता चलता है। 

क्या कहते हैं डॉक्टर 

सर्वोदय अस्पताल फरीदाबाद के निदेशक, ईएनटी व कोक्लीयर इम्प्लांट्स विभाग के सीनियर डॉक्टर रवि भाटिया ने बताया कि इस तरह की सर्जरी भारत में बेहद कम की जाती है। हाल ही, में कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी होना शुरु हुई हैं। कोक्लीयर इम्प्लांट सर्जरी किसी भी उम्र में की जा सकती है। लेकिन, समस्या के शुरुआती दौर में इसके इलाज से सफलता दर काफी हद तक बढ़ जाती है। इस सर्जरी के बाद व्यक्ति आगे की लाइफ एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही बिता सकता है।  

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सुनने की क्षमता में होने वाली कमियों को दूर करने के लिए कोक्लीयर इम्प्लांट्स सर्जरी की जा सकती है। यह जन्म से होने वाली समस्याओं को दूर करने में फायदेमंंद होती है। इस सर्जरी की सफलता दर अधिक है। इससे सुनाई देने की समस्या आसानी से दूर हो सकती है। 

 

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