ताजी हवा सुना तो होगा। पर क्या कभी महसूस किया है उसे। शहरों में रहने वाले लोगों के लिए यह अजनबी सी हो गई है। एक भ्रम जैसी, जिसके बारे में सुना तो बहुत है, लेकिन जिसका अहसास कभी नहीं हुआ। ऐसी हवा में मौजूद गंदगी और प्रदूषण सेहत तो क्या बनायेंगे, लेकिन बीमार जरूर कर देंगे। ऐसे में शुद्ध सांस लेना दूभर हो गया है।
हवा में घुले प्रदूषण के जहर के बीच सांस लेना हमारी मजबूरी है। इससे एलर्जी, सांस लेने में परेशानी, प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना और आए दिन जुकाम जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि घर के अंदर या दफ्तर में बैठकर आप प्रदूषित वातावरण से दूर हैं, तो यह भ्रम है। कई शोध यह बताते हैं कि अकसर अंदर का वातावरण बाहर से ज्यादा प्रदूषित रहता है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखकर अपने आस-पास का पर्यावरण अशुद्ध होने से बचाया जा सकता है।
रखें ध्यान इन बातों का :
कारपेट का इस्तेमाल न करें
घर और आफिस में कारपेट का कम से कम इस्तेमाल करें। कारपेट में धूल मिट्टी के कण जम जाते हैं। इसमें कीटाणुओं के छुपे रहने के लिए पर्याप्त जगह होती है। अगर आपको धूल से एलर्जी है तो आपको कारपेट से थोड़ा दूर ही रहना चाहिए। खासतौर पर उस समय जब उसकी सफाई हो रही हो।
कम हों रसायन
कीटनाशकों और अन्य रसायनों का छिड़काव कम से कम हो। हमेशा रसायनों के प्रयोग से ही घर और कार्यालय की सफाई न करें। अगर किसी स्थान पर पेंट या पालिश हुई है, तो एसी चालू करने से पहले वायु संचार की उचित व्यवस्था कर लें। हमेशा प्राकृतिक रूम फ्रैशनर का ही इस्तेमाल करें।
एसी की सफाई जरूरी
पूरी तरह से बंद कमरों के एसी की समय-समय पर सफाई कराएं। एसी कीटाणुओं के छुपने के लिए माकूल जगह होती है। और फिर आप एसी चलाते हैं, तो ये कीटाणु हवा के साथ घुलकर बीमारी पैदा करने का काम करते हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि आप एसी की सफाई का पूरा ध्यान दें। हालांकि, आजकल के एसी फिल्टर तकनीक से लैस हैं, और उनका इस्तेमाल आपको संक्रमण से बचा सकता है।
धूम्रपान से दूरी
घर या आफिस के अंदर धूम्रपान न करें। धूम्रपान से न केवल आपकी सेहत को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे आसपास की हवा भी दूषित होती है। इस हवा में जो सांस लेता है उसके स्वास्थ्य को भी गंभीर नुकसान हो सकते हैं। कई जानकार तो यह भी मानते हैं कि धूम्रपान करने वाले से ज्यादा नुकसान धूम्रपान करने वाले के करीब बैठने वाले लोगों को होता है।
घर-दफ्तर में हो बगीचा
आजकल आंगन के लिए जगह ही कहां बची है। दड़बेनुमा घर और दफ्तर हो गए हैं। लंकिन, फिर भी आप घर और दफ्तर में, गमलों में छोटे-छोटे पौधे लगा सकते हैं। पौधों से आक्सीजन स्तर में तो इजाफा होता ही है, वातावरण भी खुशनुमा रहता है। आप चाहें तो बालकनी में पौधे लगा सकते हैं। बोन्साई का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
याद रखिये, हम तभी तक जिंदा हैं, जब तक हमारी सांसें चल रही हैं। और हमारी सांसें स्वस्थ चलें इसके लिए जरूरी है कि हम उसके लिए माकूल वातावरण तैयार करें।
Image Courtesy- Getty Images
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