एंटीबायोटिक दवाएं शरीर में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करती हैं। चूंकि शरीर के सभी रोगों का कारण कोई न कोई हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस ही होता है इसलिए ज्यादातर बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाएं जरूर दी जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एंटीबाटोटिक दवाएं शरीर में अच्छे और बुरे जीवाणुओं में फर्क नहीं कर पाती हैं इसलिए ये ऐसे बैक्टीरिया को भी मार देती हैं, जो हमारे शरीर के फंक्शन के लिए जरूरी होते हैं। एंटीबायोटिक दवाओं का असर आपकी किडनियों पर भी होता है। कुछ लोग लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं, जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियां होने का खतरा बढ़ जाता है। आइए आपको बताते हैं कि किस तरह एंटीबायोटिक दवाएं आपकी किडनियों को प्रभावित करती हैं और किन समस्याओं की होती है संभावना।
बाजार में मौजूद हैं हानिकारक एंटीबायोटिक्स
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) के शोध के अनुसार भारत में किसी भी बीमारी के उपचार में अधिक से अधिक दवायें एंटीबॉयटिक के रूप में दी जाती हैं। इसके कारण भारत में टीबी जैसी बीमारी और अधिक भयावह होती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक भारत के बाजार में 50 हजार से ज्यादा तरह की एंटीबायोटिक दवाएं मौजूद हैं जबकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने केवल 160 एंटीबायोटिक दवाओं को मान्यता दी है।
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किडनी पर पड़ता है बुरा प्रभाव
अगर आप लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं, तो इससे आपकी किडनियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों की किडनियों पर इन दवाओं का सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ता है। लंबे समय तक इस्तेमाल से किडनी में स्टोन यानी किडनी की पथरी की समस्या हो सकती है। दरअसल एंटीबायोटिक दवाओं में मौजूद सल्फोनामाइड (एंटीमाइक्रोबियल्स का समूह) ऐसे क्रिस्टल पैदा कर देते हैं, जो यूरिन में घुल नहीं पाते हैं और मूत्रमार्ग में आकर किनडी की पथरी का कारण बनते हैं। वहीं वैंकोमायसिन के कारण किडनी में सूजन आ सकती है। इसके अलावा एंटीबायोटिक दवाओं में मौजूद कुछ एमिनोग्लाइकोसाइड्स जैसे टोब्रामाइसिन के कारण 'रेनल ट्यूबुलर सेल्स' खराब हो सकती हैं।
एंटीबायोटिक दवाओं से होने वाली 5 समस्याएं
- वजाइनल इंफेक्शन होने का खतरा होता है
- खून का थक्का (ब्लड क्लॉटिंग) की समस्या हो सकती है
- मुंह का इंफेक्शन हो सकता है।
- एंटीबायोटिक्स के सेवन से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है।
- कई लोगों में सुनने की समस्या हो सकती है और एलर्जी हो सकती है।
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अगर जरूरी है एंटीबायोटिक दवाएं लेना
अगर किसी लंबी बीमारी या समस्या के कारण आपको एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करना ही है, तो इसके साथ प्रोबायोटिक फूड्स का इस्तेमाल जरूर करें, ताकि आपके शरीर में गुड बैक्टीरिया की कमी न हो और आपका पाचन आदि क्रियाएं प्रभावित न हों। दही एक बेहतरीन प्रोबायोटिक फूड है। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि इस दौरान आपको आसानी से पचने वाला और हल्के भोजन का सेवन करना चाहिए।
कैल्शियम और आयरन की गोलियां न लें
कुछ एंटीबायोटिक दवाएं कैल्शियम और आयरन जैसे विटामिन और मिनरल लेने के दौरान प्रभावी नहीं होती है। अगर ऐसा है तो दवाओं के लेने के दौरान कैल्शियम और आयरन के सप्लीमेंट, और कैल्शियम युक्त आहार को लेने से बचना चाहिए। साथ ही एंटीबायोटिक के सेवन के दौरान या बाद में कई महीनों तक आपके पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है।
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