बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना गर्भावस्था का सबसे सामान्य लक्षण है। आमतौर पर गर्भाधान के एक हफ्ते बाद यह लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसा दरअसल गर्भाधान के दौरान जब डिम्ब और शुक्राणु के मिलने पर अंडे के निषेचित होने से होता है। ऐसा में अंडा खुद को गर्भाशय की दीवार पर प्रत्यारोपित करता है, जिससे एक एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) नामक प्रेग्नेंसी हार्मोन स्त्रावित होता है। यह हार्मोन शरीर व श्रोणि क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ा देता है। श्रोणि क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ने से मूत्राशय अधिक सक्रिय हो जाता है और बार-बार मूत्र त्याग करने की इच्छा होती है। वहीं अधिक पेशाब जाने से अधिक प्यास भी लगती है। ये लक्षण आपको पूरी गर्भावस्था के दौरान रह सकते हैं। हालांकि इनसे निपटने के लिये आप निम्न उपाय कर सकती हैं। -
बार-बार पेशाब आने की समस्या से निपटने के लिये
- जितनी बार पेशाब आप, पेशाब करें, क्योंकि पेशाब को रोक कर रखने की स्थिति में आपका ब्लैडर पूरी तरह खाली नहीं हो पाता है, जिसके कारण मूत्र मार्ग में संक्रमण या UTIs होने की संभावना अधिक होती है।
- हर बार पेशाब जाने पर ठीक से पेशाब करें और ब्लैडर को पूरी तरह खाली करें। ब्लैडर को पूरी तरह खाली करने के लिये पेशाब करने के तरीके के बारे में आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
- रात को सोने से पहले बहुत ज्यादा पानी पीने से बचें। इससे आपको रात में बार-बार पेशान जाने से बचने में आसानी हो सकेगा। लेकिन इसके ये मतलब नहीं कि हाइड्रेट रहने के लिये आप उपयुक्त पानी व अन्य तरल न लें। आपके लिये खुद को हाइड्रेट रखना भी बेहद जरूरी है।
- गर्भवति महिलाओं में मूत्र रिसाव भी हो सकता है। पेंटी लाइनर्स की मदद से कपड़ों को गीला होने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, कीगल एक्सरसाइज करने से पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, और मूत्र असंयम से बचाव होता है।
अधिक प्यास लगने की समस्या से निपटने के लिये
अधिक प्यास लगना शरीर का संकेत है कि आपको अधिक तरल पदार्थ की जरूरत है। क्योंकि आप अधिक बार पेशाब जा रही हैं और आपके गुर्दे और अधिक कुशलता से मूत्र उत्पादन कर रहे हैं, तरल की कमी को पूरा करने के लिये आपको और तरल पीने की आवश्यकता है। गर्भावस्था के दौरान खून की मात्रा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। ऐसे में एमनियोटिक थैली को अधिक तरल की आवश्यकता होती है।
इसलिये दिन में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पियें। सब्जियों का रस एक हेल्दी विकल्प है, और फलों के रस से भी अधिक पौष्टिक होता हैष कैफीन लेने से बचें, क्योंकि यह एक मूत्रवर्धक है। अधिक तरल वाले फल खाएं, जैसे तरबूज, खरबूज़।
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