Hemolytic Uremic Syndrome in Hindi: हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम (HUS) क्या है? यह एक ऐसी स्थिति है, जो तब होती है जब छोटी रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और इनमें सूजन हो जाती है। इसके वजह से रक्त वाहिकाओं में थक्के बन जाते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, यह दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगती है। यह बीमारी किडनी को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। इसकी वजह से किडनी फेलियर का जोखिम भी बढ़ जाता है। आपको बता दें कि हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। लेकिन, छोटे बच्चों में यह बेहद आम है। यह बीमारी छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। ई.कोलाई बैक्टीरिया हेमोलिटिक यूरेमिक सिड्रोम का एक मुख्य कारण है। यह आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। इसके अलावा, कुछ दवाइयां और ऑटोइम्यून रोग भी इस सिंड्रोम का कारण बन सकता है। यह समस्या जानलेवा हो सकती है। इसलिए इसके लक्षणों को बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया के जनरल फिजिशियन डॉ. रमन कुमार से जानते हैं इसके लक्षण-
हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम के शुरुआती संकेत
हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम सभी लोगों में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें सबसे आम हैं-
1. तेज बुखार
तेज बुखार हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम का एक आम लक्षण होता है। अगर आपके बच्चे को तेज बुखार है, तो इस संकेत को बिलकुल नजरअंदाज न करें। तेज बुखार की समस्या होने पर आपको जरूर ध्यान देना चाहिए।
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2. डायरिया
डायरिया यानी दस्त भी हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम का एक संकेत होता है। डायरिया HUS का शुरुआती संकेत हो सकता है। इस दौरान मल के साथ खून भी निकल सकता है। अगर आपके बच्चे को भी मल के साथ खून निकले तो डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।
3. पेट में दर्द या ऐंठन
पेट में दर्द या ऐंठन की समस्या भी हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम का शुरुआती संकेत हो सकता है। पेट में दर्द के लक्षण को अनदेखा बिलकुल नहीं करना चाहिए। एचयूएस की वजह से बच्चों में पेट में दर्द, ऐंठन या सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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4. उल्टी
हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम होने पर उल्टी भी हो सकती है। उल्टी भी इसका एक शुरुआती लक्षण होता है। अगर आपके बच्चे को लगातार उल्टी हो तो डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें और जरूरी जांच करवाएं।
कुछ मामलों में हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम वाले व्यक्ति की रक्त वाहिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचता है। इसकी वजह से रेड ब्लड सेल्स टूटने लगती हैं और एनीमिया हो जाता है। इस स्थिति में चक्कर आने की समस्या हो सकती है। साथ ही, त्वचा का रंग भी पीला पड़ने लगता है।
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