
तनाव, नुकसानदायक जीवनशैली और खराब समय सारिणी जैसे कारक मौजूदा समय में युवा पीढ़ी के बीच कई स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा देने में योगदान दे रहे हैं और हृदय रोग वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए सामान्य बीमारी बन गई है। नई दिल्ली के द्वारका स्थित मनीपाल हॉस्पिटल्स के कार्डिएक साइंसेज एवं प्रमुख कार्डियो वैस्क्यूलर सर्जन प्रमुख डॉ. युगल के. मिश्रा ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव और तेजी से होते शहरीकरण ने भारत में कार्डिएक बीमारियों को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि सर्जरियों में विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों और नवोन्मेश के साथ डॉक्टर कार्डिएक देखभाल में बेहतर गुणवत्ता मुहैया कराने में सक्षम हुए हैं, खास तौर पर अत्यधिक जोखिम वाली सर्जरियों में ऐसी देखभाल की सख्त जरूरत होती है। मैंने कई मरीजों का उपचार किया जिनमें अधिकतर सीएबीजी और वैल्यू रिप्लेसमेंट के मामले रहे हैं।
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डॉ. युगल के मिश्रा ने बताया कि हाल ही में एक 32 वर्षीय व्यक्ति सीने में गंभीर दर्द, सांस लेने में परेशानी, अत्यधिक थकान और घबराहट जैसी समस्याओं के साथ आया था। जिसकी सीएबीजी सर्जरी की गई, जिसके माध्यम से उन हिस्सों में एक मुक्त नस या आर्टियल बाईपास का इस्तेमाल कर नए सिरे से खून पहुंचाया जाता है। यह हृदय के सामान्य हिस्सों से ब्लॉक आर्टरियों को बाईपास कर प्रभावित इलाकों से जोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि इस सर्जरी से मरीज ठीक हो गया। दुनिया भर में कार्डियोवैस्क्यूलर बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है और इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं, खास तौर पर विकासशील देशों में।
एक विकासशील देश के तौर पर भारत में यही स्थिति है, इसके साथ ही भारत में पिछले तीन दशकों में कोरोनरी आर्टरी बीमारियां दोगुनी हो गई हैं जो विकसित देशों के मुकाबले बिलकुल उलट है जहां ऐसे मामले 50 फीसदी कम हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में डायबिटीज मेलिटस, उच्च रक्तचाप, डाइस्लिपीडेमिया समेत जोखिम के कारणों में भी बढ़ोतरी हुई है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम जो उच्च रक्तचाप, मोटापे, ग्लूकोज टॉलरेंस, अधिक ट्रिगलीसेराइड्स, कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल जैसे कई कार्डियोवैस्क्यूलर जोखिम कारणों का समूह है, भारत में भी बढ़ा है।
हद्य रोगों का इलाज
- अर्जुन की छाल हृदय संबंधी समस्याओं को दूर करने में मददगार होती है, क्योंकि यह प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से भरपूर हैं। ऐसे में हृदय रोगी अर्जुन टी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- ब्राह्मी औषधि दिमाग को शांत रखने वाली औषधि है। इससे न सिर्फ दिमाग तेज होता है और याद्दाश्त बढ़ती है और यह हृदय को निरोग रखने में सहायक है। यह खासकर महिलाओं के हृदय के लिए लाभकारी है।
- जटामांसी से न सिर्फ इम्युन सिस्टम मजबूत होता है, बल्कि यह हृदय को स्वस्थ रखने में भी कारगर है। यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करने में लाभकारी है।
- येस्टीनमधु हृदय को मजबूत करने, रक्त से कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा घटाने और ह्दयाघात की संभावना को कम करता है। इसे चाय या पानी के साथ भी लिया जा सकता है।
- पूर्णानवा भी हृदय रोगों को दूर करने में लाभकारी है।
- कुटकी हृदय संबंधी समस्याओं और बीमारियों को दूर करता है। हृदय की धड़कन में भी सुधार लाता है।
- खासकर दिल की सेहत के लिए नियमित रूप से हल्दी का सेवन बहुत जरूरी है। लगभग 500 मिलीग्राम हल्दी रोज खाना चाहिए। हल्दी हमारे शरीर में खून का थक्का नहीं बनने देती क्योंकि यह खून को पतला करने का काम करती है।
- गाय का दूध पीने वाले को हृदय रोग नहीं होता। गाय के दूध में कैलशियम, मैगनिशियम और गोल्ड जैसे बहुत सारे सूक्ष्म पोषक पदार्थ होते हैं। आयुर्वेद में गाय के दूध को हल्का, सुपाच्य, हृदय को बल देने वाला और बुद्धिवर्धक माना गया है।
- अलसी का उपयोग आपको दिल की बीमारियों से बचा सकता है। अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो रक्त नलिकाओं में वसा के जमाव को रोकता है। अलसी के बीज से बने पदार्थ हृदय रोग दूर करने में काफी मददगार हैं।
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