इन 8 धातुओं की थाली में खाना खाने से शरीर को मिलते हैं कई स्वास्थ्य लाभ, आयुर्वेदाचार्य से जानें इनके फायदे

अलग-अलग धातुओं में खाना खाने से अलग-अलग गुण मिलते हैं। पर स्टील की थाली में खाना खाने से सेहत को कोई लाभ नहीं मिलता है। 
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इन 8 धातुओं की थाली में खाना खाने से शरीर को मिलते हैं कई स्वास्थ्य लाभ, आयुर्वेदाचार्य से जानें इनके फायदे


हम किस तरह का खाना खाते हैं और किस तरह की थाली में खाते हैं, यह दोनों ही बातें स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी हैं। वर्तमान समय में लोग चीनी मिट्टी और स्टील की थाली में खाना खाते हैं या पानी पीते हैं। लेकिन बात जब त्योहार, शादी-समारोह की आती है, तब लोग अपने ट्रेडिशनल तरीकों की तरफ जाते हैं। इन्हीं तरीकों में कई जगहों पर पत्तों पर भी खाना खिलाया जाता और कई जगहों पर मिट्टी की थाली में भी खाना खिलाया जाता है। आज के इस लेख में हम हापुड़ के चरक मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर डॉ. भारत भूषण और गाजियाबाद के राष्ट्रीय समाज एवम धर्मार्थ सेवा संस्थान के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी से जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार किस तरह की थाली में खाना खाने से स्वास्थ्य को क्या फायदे मिलते हैं। 

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट

डॉ. भारत भूषण का कहना है कि कुछ शास्त्रों में बताया गया है कि राजा-महाराजा लोग सोने-चांदी की थाली में खाना खाते थे, क्योंकि शत्रुओं द्वारा खाने में जहर मिलाने का डर रहता था। जहर चांदी के साथ मिलता था तो उसका टेस्ट और खाने का रंग दोनों बदलते थे। आयुर्वेद में बताया गया है कि कांसा की धातु के बर्तन में खाना खाना चाहिए। कॉपर और पीतल में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये सिट्रिस फूड के साथ रिएक्ट करते हैं। इसमें सिट्रिस फूड खाने से थाली का रंग बदल जाता है। कई ग्रंथों में लिखा गया है कि पानी कॉपर में पीना चाहिए। वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। लेकिन कॉपर की थाली में सिट्रिस फूड खाने से इनडाइजेशन की समस्या हो सकती है।

किस तरह की थाली में खाना खाने से क्या लाभ मिलते हैं?

1. सोने की थाली में भोजन

लोकतंत्र के जमाने में सोने की थाली में खाना मायने नहीं रखता, लेकिन बात करें राजा-महाराजा की तो वे सोने की थाली में खाना इसलिए खाते थे क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उनके खाने में कोई जहर न मिला दे। सोने की थाली में खाना खाने से जहर की विषाक्तता से बचने के लिए वे ऐसा करते थे।

आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि शरीर में जो धातु होती हैं, वे 65 फीसद अकार्बनिक पदार्थों और 35 फीसद कार्बनिक वस्तुओं से बनी होती है। इन धातुओं को और पुष्ट करने में स्वर्ण सहायक होता है। स्वर्ण भस्म वीर्य पुष्टिदायक होता है और रक्त में इंजेक्शन की तरह काम करता है। और एंटीबायोटिक की तरह किसी भी बीमारी में इसको दिया जा सकता है।

2. पीतल की थाली में खाना

आयुर्वेद के अनुसार, पीतल बुद्धि को बढ़ाने में मदद करती है। पीतल में खाना ज्यादा समय गर्म रहता है और खाना फ्रेश रहता है। पीतल में खाना खाने से शरीर का पीएच लेवल मेंटेन रहता है। आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी के अनुसार, पीतल की थाली में खाना खाने से भोजन के जितने भी पौष्टिक पदार्थ होते हैं, वे उनकी पौष्टिकता को बढ़ाते हैं। दाल में प्रोटीन होता है तो यह प्रोटीन को और मजबूत करेगा। चावल में कार्बोहाइड्रेट होता है तो यह धातु उसे और अच्छा बना देती है। डॉ. भारत भूषण का कहना है कि पीतल की थाली में खाना खाने से गैस की दिक्कत नहीं होती। पाचन ठीक रहता है। GERD सिंड्रोम नहीं होता है। इस तरह की थाली में खाना खाने से सभी पोषक तत्त्व शरीर को मिलते हैं।

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3. चांदी की थाली में भोजन 

डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि चांदी रक्त को शोधित करता है और शरीर की गर्मी को शांत करता है। इसलिए चांदी की थाली में खाना खाना सेहत के लिए लाभदायक साबित होता है। तो वहीं, डॉ. भारत भूषण का कहना है कि चांदी थाली देखने में सुंदर लग सकती है, लेकिन इसमें खाना खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं मिलता। 

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4. तांबे की थाली में भोजन

तांबे के गिलास में पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता क्योंकि कॉपर में एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं, जो पानी से बैक्टीरिया को निकालती हैं, लेकिन कॉपर में खाना खाना सेहत के लिए लाभदायक नहीं है। क्योंकि कॉपर कुछ तरह के खाद्य पदार्थों के साथ रिएक्ट करता है और यह विषैला हो जाता है। कॉपर कुछ रोगों में लाभकारी है।

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5. एल्युमुनियम की थाली में भोजन

आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि एल्युमुनियम का दूर-दूर तक कोई फायदा नहीं है। बाकी धातु महंगी होती हैं, इसलिए लोग एल्युमुनियम और स्टील में खाते हैं। अगर हम एल्युमिनियम और स्टील में खाने बनाते हैं तो 13 फीसद गुण रह जाते हैं। बाकी गुण खत्म हो जाते हैं।

6. मिट्टी की थाली में भोजन करने के फायदे

मिट्टी की थाली में भोजन करना आयुर्वेद में सबसे अधिक लाभकारी माना गया है। आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि मिट्टी की थाली में खाने से मिट्टी के जितने गुण होते हैं, वे सभी शरीर को मिलते हैं। मिट्टी के बर्तन में खाना खाना और पकाना दोनों ही सेहत के लिए लाभदायक हैं। 

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7. केले के पत्ते में खाना

दक्षिण भारत में केले के पत्ते में उत्तर भारत में पीपल के पत्तों में खाना खिलाने की प्रथा आज भी प्रचलित है। इन पत्तों में खाना खिलाने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। केले के पत्ते एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-पॉइजनेस होते हैं, जो कई बीमारियों से बचाते हैं। इसमें खाना खाने से सेहत को सभी लाभ मिलते हैं।

8. चीनी मिट्टी की थाली में भोजन

वर्तमान समय में चीनी मिट्टी और स्टील के बर्तन ज्यादा चल रहे हैं। डॉ. भारत भूषण का कहना है कि इस तरह की थाली में खाना खाने से सेहत को कोई लाभ नहीं मिलता है। साथ ही डॉ. भूषण का कहना है कि प्लास्टिक डिशिज में गर्म खाना नहीं खाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक के गुण भोजन में आ जाते हैं। उसकी जगह कांच की बोतल लेनी चाहिए।

अलग-अलग धातुओं में खाना खाने से अलग-अलग गुण मिलते हैं। पर स्टील की थाली में खाना खाने से सेहत को कोई लाभ नहीं मिलता है। साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी की थाली में खाना खाने से शरीर को मिट्टी के सारे पोषक तत्त्व मिलते हैं। पर वर्तमान समय में लोग सस्ती धातु खरीदने और चमक-दमक में पड़कर स्टील के बर्तनों में खाना खा रहे हैं, लेकिन जो लोग स्वास्थ्य के प्रति सचेत है, वे आयुर्वेदिक स्टाइल की तरफ भी आ रहे हैं। 

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