Healthcare Heroes Awards 2022: लोगों की मदद के लिए स्टूडेंट्स ने मिलकर बनाया कोविड वॉलेंटियर टास्क फोर्स

कोविड की लहर के दौरान 12वीं के स्टूडेंट अर्नव प्रणीत ने अपने साथियों के साथ मिलकर कोविड टास्कफोर्स का गठन किया, जो लोगों की अलग-अलग तरह से मदद करते थे
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Healthcare Heroes Awards 2022: लोगों की मदद के लिए स्टूडेंट्स ने मिलकर बनाया कोविड वॉलेंटियर टास्क फोर्स


कैटेगरी:  डिजिटल हेल्थकेयर

परिचय:  अर्नव प्रणीत

योगदान:अर्नव प्रणीत ने Volunteers.Covihelp शुरू किया जिसके जरिए कोविड की दूसरी लहर के दौरान 24x7 लोगों की मदद की गई।

नॉमिनेशन का कारण: अर्नव प्रणीत 12वीं में पढ़ने वाले छात्र हैं। इन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 24x7 चलने वाली एक खास हेल्पलाइन ग्रुप बनाया, जिसमें कोविड की दूसरी लहर के दौरान लगभग 1300 से ज्यादा लोगों की हॉस्पिटल बेड, मेडिसिन, ऑक्सीजन, ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर के द्वारा हेल्प की।

भारत में कोविड की आई दूसरी लहर के दौरान मेडिकल सिस्टम एकदम से डगमगा गया। सभी अस्पतालों पर काफी अधिक प्रेशर पड़ने लगा और ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, बेड, दवाइयों आदि की कमी देखने को मिली। इस समय बहुत से लोगों ने आसपास मौजूद जरूरतमंद लोगों की मदद की। वहीं कुछ लोग दूर बैठकर भी हजारों लोगों की मदद में तत्पर रहे। इस दौरान काफी सारे ग्रुप भी लोगों की मदद करने के लिए एक दूसरे से कंधा जोड़ चुके थे। अर्नव प्रणीत जिन्होंने Volunteers.Covihelp को शुरू किया था, एक 12वीं कक्षा के छात्र हैं। वह और उनके मित्र लोगों की कोविड के दौरान जरूरी संसाधन, जिनकी उस समय देशभर में कमी हो गई थी, खोजने में मदद करना चाहते थे। इन्होंने सोचा कि सभी लोग इस मुसीबत की घड़ी में सरकारी वेबसाइट पर वेरिफाई स्रोतों से मदद नहीं मांग पाएंगे और साथ ही इन्हें फोन करके वेरिफाई कर पाना और बीमार मरीजों की देखभाल करना एक मुश्किल काम था जिसे सब नहीं कर सकते थे। इसलिए इन्होंने एक Volunteers.Covihelp के बारे में सोचा जो कि एक वालंटियर टास्क फोर्स था।

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शुरुआत और प्लानिंग

covid help

इस हेल्पलाइन को शुरू करने में 10 दिन का समय लगा। इन 10 दिनों में इन सभी दोस्तों ने गाइडलाइंस, वर्क फ्लो प्रोसेस, डॉक्यूमेंटेशन और टूल्स की पहचान करने जैसे कई काम किए। इन्होंने अपने स्कूल के सभी जानकारों, दोस्तों, एलुमनाई के कॉन्टैक्ट लिए और 50 लोगों का एक वालंटियर समूह बना लिया। इन्होंने आपस में संवाद करने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बना लिया। इसमें एडमिन ने सभी सदस्यों को ओरिएंटेशन, इंडक्शन और वर्क फ्लो के बारे में समझाया। वाइस कॉल और वीडियो कॉल करने के लिए इन्होंने डिस्कोर्ड का सहारा लिया। प्लानिंग करने में और मॉक कॉल्स आदि करने में तीन दिन का समय लगा। इन्होंने यह सुनिश्चित किया कि यह हेल्पलाइन कॉल करने वाले की भाषा में ही उनसे बात कर सके ताकि संवाद करना आसान हो सके इसलिए इसमें हिंदी, इंग्लिश और तमिल जैसी भाषाओं को रखा गया।

काम कैसे बांटा गया

काम कितने अच्छे से हो रहा है और कितना हो रहा है यह जांचने के लिए 5 लोगों की टीम बनी। काम को अलग अलग फंक्शन में बांट दिया गया, ताकि एक इंसान के ऊपर अधिक दबाव न पड़े। तीन लोगों की एक टीम बनाई गई जिसमें निम्न लोग शामिल थे : 

रिस्पॉन्डेंट: यह सदस्य सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप की देखभाल करता और कॉल्स के जवाब देता। इन्होंने कॉलर की जानकारी लेने के लिए एक डेटाबेस बनाया ताकि उन्हें तुरंत मदद प्रदान की जा सके। इस टीम सदस्य का काम कॉल करने वाले जरूरतमंद व्यक्ति को जवाब देना और उनकी मदद करना था।

रिसर्चर: यह वे सदस्य थे जिसके पास रिस्पॉन्डेंट जानकारी भेजता था और यह आगे जरूरत की चीजें प्रदान करने में मदद करता। यह सदस्य सरकारी वेबसाइट, मैसेजिंग ऐप आदि पर जरूरी डाटा को ढूंढने में मदद करता।

वेरीफायर: अलग अलग स्रोतों से जानकारी प्राप्त होने के बाद वेरिफायर के पास जानकारी आती और इनका काम जानकारी को वेरिफाई करना था ताकि सारी सही जानकारी एक जगह इकठ्ठी हो सके।

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covid helpline

कोवीहेल्प 24x7 हेल्पलाइन टीम को मिली कामयाबी

अब इस टीम में और भी ज्यादा लोग जुड़ने लगे क्योंकि कॉल्स की संख्या अधिक हो चुकी थी और इन्हें हैंडल करने के लिए अधिक लोगों की जरूरत थी। इस समय 200 लोगों की टीम बन चुकी थी। इस हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से ही इन बच्चों की मैनेजमेंट और कुछ नया करने की स्किल्स का पता चलता है। इन्होंने 69 दिन तक काम किया और डेटाबेस में 1700 एंट्रीज की।  इन्होंने 1300 से ऊपर केस सॉल्व किए और अब यह कैंसर मरीजों के लिए फंड भी इकट्ठा कर रहे हैं। अगर आप इनके काम से प्रभावित और प्रेरित हुए हैं तो इन्हें यह अवार्ड जितवाने के लिए वोट जरूर करें।

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