
कैटेगरी: मेंटल हेल्थ वॉरियर्स
परिचय: टॉक टु हील
योगदान: टॉक टु हील, उन लोगों के लिए एक ऐसा मंच बनाया गया जो कि कोविड-19 के दौरान मानसिक परेशानियों के दौर से गुजर रहे थे
नॉमिनेशन का कारण: सोनिया अरोड़ा सूद और प्रियंका वाढेरा के द्वारा शुरू किए गए मंच टॉक टू हील पर लोग अपनी मन के स्ट्रेस को ट्रेन्ड लिस्नर्स को सुना सकते थे। ये लिस्नर्स उन्हें स्थिति के हिसाब से सही सुझाव देते ताकि उन्हें अच्छा महसूस हो सके।

जब हमें किसी चीज को लेकर स्ट्रेस या चिंता होती है तो हमें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत महसूस होती है जो हमारी सारी मन की बातों को बिना जज किए सुन सके। अगर ऐसी स्थिति में अपने मन की बातें बाहर न निकाली जाए तो अंदर ही अंदर वह बातें हमें खाती जाती है। यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। कोविड की स्थिति में घर से बाहर न निकल पाने पर और हर समय अंदर घुटे रहने से लोगों को डिप्रेशन, तनाव और एंजायटी महसूस होने लगी। इस समस्या का निवारण करने के लिए आंत्रप्रेन्योर सोनिया अरोड़ा सूद और प्रियंका वाढेरा ने मिल कर टॉक टू हील नामक एक हेल्पलाइन की शुरुआत की। इस प्लेटफार्म पर लोग अपनी मन की स्ट्रेस को एक खास व्यक्ति के साथ शेयर करते थे, जिसे उस व्यक्ति का कोको (कॉस्टेंट कॉम्पेनियन) कहा जाता था। ये व्यक्ति बात करने वाले के मन की सारी बात, सारी चिंता, दुख, दर्द को सुनता था और उन्हें स्थिति के हिसाब से सही सुझाव देते ताकि उन्हें अच्छा महसूस हो सके।
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टॉक टू हील की शुरुआत
सोनिया अरोड़ा सूद और प्रियंका वाढेरा ने जुलाई 2020 में एक स्टार्ट अप शुरू किया था जिसका नाम ईट, लव एन प्रे (Eat,Love n Pray) था। इसी स्टार्ट -अप के अंतर्गत ही टॉक टू हील (Talk to Heal) की शुरुआत हुई। सोनिया का कहना है कि, "कोविड के बीच बहुत से ख्याल हमारे मन में पनपे जो वे किसी से शेयर भी नहीं कर पाती थीं। इसलिए वह एक ऐसा मंच लोगों को प्रदान करना चाहती थीं जहां पर लोग बिना किसी झिझक के अपने मन को शांत कर पाएं और उनकी अंदर की बातें बाहर निकल पाएं।
ऐसे समय में ही लोगों की मानसिक सेहत कमजोर होती है और वह सुसाइड जैसा विकल्प चुनते हैं। इसलिए टॉक टू हील जैसा मंच जरूरत पड़ने पर लोगों को एक सुनने वाला स्पेशलिस्ट प्रदान करवाते हैं। इस रिसर्च में इन दोनों ने पता लगाया कि इस मंच की जरूरत सबसे अधिक वृद्धि, कॉलेज जाने वाले बच्चों और अधेड़ उम्र की महिलाओं को थी।

टॉक टू हील कैसे काम करता है?
टॉक टू हील में आप दो श्रेणियों के लोगों से बात कर सकते हैं :ट्रेंड लिस्नर्स और साइकोलॉजिस्ट।
ट्रेंड लिस्नर्स को कोको कहा जाता है। प्रियंका के अनुसार ये सामान्य लोग ही हैं, लेकिन इन्हें ऐसी ट्रेनिंग दी गई है जो एक थेरेप्टिक लिसनिंग स्किल्स के साथ लोगों की बातें सुन सकें। इन लोगों को इस बात की भी ट्रेनिंग दी गई कि लोगों की किसी अन्य व्यक्ति की जरूरत किस कारण से पड़ सकती है। इसके आधार पर वह व्यक्ति को किसी एक्सपर्ट से बात करने की सलाह भी देते। इन लोगों को इस तरह बात करनी सिखाई गई कि यह बातों के कुछ ही मिनट में यह जान सकें कि आगे की बात कैसे होने वाली हैं और इसी आधार पर उनसे व्यवहार कर सकें।
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- इस सुविधा को प्राप्त करने के लिए एक वेबसाइट है जहां लोग अपना एकाउंट बना सकते हैं।
- इसी प्लेटफार्म पर कोको भी उपलब्ध होते हैं।
- ऑडियो और वीडियो दोनों विकल्प हैं लेकिन वर्तमान में केवल ऑडियो का ही चुनाव किया जा सकता है।
- दो ऐसे नंबर भी उपलब्ध हैं जहां आप अपना कॉन्टैक्ट नंबर और खाली समय बता सकते हैं और कोको इसी समय आपसे संपर्क करेंगे।
सोनिया बताती हैं कि उन्होंने कोविड की दोनों वेव में काम किया और दोनों बार ही अलग अलग अनुभव मिला है। पहली वेब के दौरान काफी महीनों का लॉकडाउन था और उस समय आइसोलेशन की समस्या थी। दूसरी वेब के दौरान पूरे देश में दुख और मृत्यु का माहौल था।
मानसिक सेहत को भी शारीरिक सेहत की तरह ही महत्त्व रखती है। हालांकि लोग यह नहीं समझते। प्रियंका और सोनिया ने इन दोनों बातों को समझा। प्रियंका और सोनिया के प्रयासों को अगर आप लोगों द्वारा पहचान दिलाना चाहते हैं तो इनके लिए वोट जरूर दें।
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