कैटेगरी: ऑक्सीजन वारियर्स
परिचय: गौरव राय
योगदान: गौरव ने हजारों कोविड मरीजों को सही समय पर ऑक्सीजन सिलिंडर देकर उनकी जीवनरक्षा में सहभागी बने।
नॉमिनेशन का कारण: ऑक्सिजन मैन बनकर उभरे गौरव राय ने पहली लहर में 1104 और दूसरी लहर में 1758 लोगों की फ्री में ऑक्सीजन देकर मदद की।
कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान देश ने जो तबाही का मंजर देखा है, उसे मौजूदा पीढ़ी शायद कभी नहीं भुला सकेगी। खासकर कोविड की दूसरी लहर के दौरान बहुत से लोग संघर्ष कर रहे थे और चारों ओर उदासी की एक लहर छाई हुई थी। इस दौरान सबसे ज्यादा लूटमार और मारा-मारी ऑक्सीजन सिलिंडर्स के लिए हुई। देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे थे। ऐसे समय में राहत प्रदान करवाने के लिए समाज से ही कुछ लोग सामने आए और एक-एक व्यक्ति की जान बचाने में अपनी हर संभव मदद देने ले। इन्हीं लोगों में से एक थे बिहार के पटना जिले के गौरव राय, जिन्होंने ऑक्सीजन न सिर्फ हजारों लोगों बल्कि कुछ अस्पतालों के लिए भी मदद का हाथ आगे बढ़ाया। इनके इस विशेष कार्य को देखते हुए लोग इन्हें ऑक्सीजन मैन के नाम से बुलाने लगे। गौरव राय ने ऑक्सीजन सिलिंडर्स की मदद के जरिए 1700 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है।
खुद झेला ऑक्सीजन की कमी का दर्द, तो आया मदद का ख्याल
4 जुलाई 2020 में पहली लहर के दौरान गौरव राय स्वयं कोविड संक्रमित हो गए। 10 दिन घर में क्वारंटाइन होने के बाद 15 जुलाई को इनकी तबियत एकदम से बिगड़ गई। गौरव का ऑक्सीजन लेवल 64 पर आ गया और हर घंटे ये स्तर घटता जा रहा था। गौरव बताते हैं कि इस दौरान उनका ऑक्सीजन लेवल इतना कम हो गया था कि उन्हें दिखना भी बंद हो गया था। प्राइवेट अस्पताल में भर्ती न हो पाने पर इनकी पत्नी इन्हें पटना मेडिकल कॉलेज लेकर गईं। जहां इन्हें बहुत मुश्किलों से एक ऑक्सीजन सिलेंडर प्राप्त हुआ। इसके बाद भी उन्हें बेड नहीं मिला था, इसलिए अस्पताल के बाहर ही एक कुर्सी पर बैठ कर उस एक ऑक्सीजन सिलिंडर के सहारे जीवन के साथ संघर्ष करते रहे। अस्पताल की स्थिति काफी खराब थी लेकिन थोड़े समय बाद में उन्हें एक वॉर्ड में एक बेड की जगह मिल गई और गौरव का इलाज शुरू हुआ।
इसी दौरान इन्होंने अपनी पत्नी से वादा किया था कि अगर वो इस महामारी के संक्रमण से जीवित बच गए तो एक ऑक्सीजन बैंक स्थापित करेंगे और यह सेवा मुफ्त में प्रदान करेंगे। सुबह तीन बजे इनकी हालत सुधरी और वह अस्पताल से घर आ गए। इसके बाद गौरव राय की पत्नी ने तीन ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे। इन्होंने अपने एक एनआरआई दोस्त से बिहार के अस्पतालों की स्थिति के बारे में बताया और 10 सिलेंडर मदद के रूप में मांगे। 20 जुलाई को इन्होंने एक कोविड मरीज की सिलेंडर देकर मदद भी की। इस तरह गौरव राय के ऑक्सीजन बैंक का सिलसिला शुरू हो गया और वे इतने प्रसिद्ध हो गए कि कई बार स्वयं उनके क्षेत्र के बड़े चिकित्सक, नेता और प्रभावी लोगों ने भी उनसे ऑक्सीजन की मदद मांगी।
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बिहार के 21 जिलों में की ऑक्सीजन सप्लाई
राय बताते हैं कि वे स्वयं मरीज के पास जाकर ऑक्सीजन सिलेंडर की किट का सेटअप करने लगे थे। चूंकि उन्होंने कोविड को मात दे दी थी, इसलिए उन्हें उस समय संक्रमण का खतरा नहीं लगता था और पहले से घबराए और परेशान मरीज और भयभीत न हो जाएं, इसलिए वो इस दौरान पीपीई किट नहीं पहनते थे। गौरव की इस मुहिम में धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और उनके पास ऑक्सीजन सिलिंडर्स की संख्या भी बढ़ती गई। वो बताते हैं, "मैंने ऑक्सीजन सिलेंडर की कभी कमी महसूस नहीं की। कुछ अपने पैसे से खरीदे और कुछ दोस्त द्वारा की गई मदद से, जिससे सिलेंडर की संख्या 54 हो गई। बिहार फाउंडेशन ने भी इनकी मदद की और 200 सिलेंडर गिफ्ट किए।
हजारों मरीजों की प्राण-रक्षा करने वाले गौरव
पहली लहर के दौरान इन्होने लगभग 1104 कोविड मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर प्रदान किए जिनमें से सिर्फ चार वृद्धों की मृत्यु हुई बाकी सभी मरीजों की शायद इनकी दी हुई ऑक्सीजन के कारण जान बच सकी।। यह संख्या दूसरी लहर में 1758 तक पहुंच गई और मृत्यु होने वाले लोगों की संख्या 148 थी। भारत में अभी चल रही तीसरी लहर के दौरान भी इन्होंने 9 मरीजों को ऑक्सिजन सिलेंडर पहुचाए हैं।
ठीक होने के बाद लोग धन्यवाद देते
जब उनके द्वारा पहुचाई गई ऑक्सीजन से मरीज ठीक हो जाते तो लोग उन्हें धन्यवाद देते या कोई वीडियो मैसेज बनाकर भेजते। कई बार लोग उनके पास केक लेकर पहुंचते और सेलिब्रेट करते। एक ऐसे ही किस्से को साझा करते हुए वह बताते हैं कि एक वृद्ध महिला के घर जब वह ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने लगे तो महिला को लगा कि वो ही डॉक्टर हैं। वह माता जी उनसे पूछती हैं कि डॉक्टर साहब, क्या मैं ठीक हो जाऊंगी? उन्हें अधिक चिंता में न डालते हुए और अपने प्रोफेशन के बारे में स्पष्ट न करते हुए बताया कि ,'हां, आप बिल्कुल ठीक हो जाएंगी और फिर मैं आपके लिए केक लेकर इस मौके को सेलिब्रेट करने के लिए आऊंगा।" जब दो महीने बाद इन महिला के बेटे ने फोन करके उनके ठीक होने की खबर बताई तो वह अपने वादे के मुताबिक केक लेकर पहुंचे और बताया कि मैं डॉक्टर नहीं हूं, तब उस वृद्ध महिला को यकीन ही नहीं हुआ और उन्होंने गौरव को ढेर सारा आशीर्वाद दिया।
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अन्य तरह से भी करते रहते हैं सामाजिक कार्य
गौरव सिर्फ ऑक्सीजन सिलिंडर्स के द्वारा ही नहीं, बल्कि कई अन्य तरह से भी सामाजिक काम करते रहते हैं। इन्होंने अपने बचाए हुए पैसों से कई गरीब और जरूरतमंद बच्चों को साइकिल दी है। कई गांवों की लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सिलाई-बुनाई के सेंटर्स की स्थापना हेतु सिलाई मशीन दी हैं। इसके अलावा बिहार के कई स्कूलों में इन्होंने युवा लड़कियों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सेनिटरी पैड वेडिंग मशीनें भी अपने पैसे से लगवाई हैं, जिसमें कोई भी 5 रुपए डालकर अच्छी क्वालिटी का सेनिटरी पैड बिना किसी डर या झिझक के तुरंत प्राप्त कर सकता है। इस तरह गौरव राय अपने नाम के अनुरूप वाकई बिहार और देश के लिए गौरव हैं।
इनके इस प्रयास को अगर और सराहना प्रदान करवाना चाहते हैं तो गौरव राय के लिए वोट जरूर दें।
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