कैटेगरी: ऑक्सीजन वॉरियर्स
परिचय: प्रणव गुप्ता
योगदान: प्रणव गुप्ता ने कोविड के समय बहुत से लोगों को राशन किट, पका हुआ खाना बांटा और साथ ही ट्रेन और बस के टिकट साथ में कुछ रुपए भी दूसरे शहरों से आए हुए वर्कर्स को दिए। यही नहीं उन्होंने फ्री इम्यूनिटी बूस्टर व ऑक्सीजन सप्लाई की सहायता भी गांव गांव पहुंचाई।
नॉमिनेशन का कारण: प्रणव ने चार हजार राशन किट, 4 लाख मील, ढाई लाख खाने के पैकेट और 8 जिलों में इम्यूनिटी बूस्टर किट बांटें। साथ ही हजार से अधिक लोगों को घर वापिस जाने में सहयोग किया।
कोविड के तेजी से फैलने को रोकने के लिए बहुत से राज्यों ने लॉकडाउन लगा कर रखे थे। लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से गरीब लोग जो रोजाना काम करके ही अपना पेट पालते हैं, पर काफी प्रभाव पड़ा और पूरे देश की अर्थव्यवस्था को एक तरह से झटका लगा। इस दौरान बहुत से लोग अलग अलग रूप में मदद करने को आगे आए और उन्हीं में से एक नाम है प्रणव गुप्ता का, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और कोविड महामारी के दौरान बहुत सारे लोगों की अलग-अलग तरह से मदद करते रहे हैं।
प्रोफेशन से CSR लेकिन दिल से हैं समाजसेवी
प्रणव गुप्ता पेशे से एक इंजीनियर हैं। वे अहमदाबाद में एक सर्टिफाइड CSR हैं और अलग अलग कंपनियों के लिए सीएसआर पॉलिसी डिजाइन करते हैं। इसलिए प्रणव को अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की मुश्किलों और चुनौतियों के बारे में पहले से काफी अच्छी समझ थी। इसके अलावा वो कई NGOs को भी जानते थे। जब महामारी आई तो प्रणव ने अपनी जानकारी के आधार पर इन NGOs के सहारे और अपनी खुद की पहुंच से अलग अलग हिस्सों में बसे जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे आए। इन्होंने अपने दो वर्तमान प्रोजेक्ट जोकि iA foundation और द अहमदाबाद प्रोजेक्ट थे के साथ आधे दर्जन से भी ज्यादा नए इनीशिएटिव की शुरुआत की, जिससे लोगों को हर संभव मदद मिल सके।
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जरूरतमंदों के लिए खाना
बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए प्रणव और उनकी टीम ने खाना बांटना शुरू कर दिया। इन पैकेट में इन्होंने राशन रखा जैसे चावल, आंटा, चीनी, चाय, तेल और अन्य रोजमर्रा की चीजें। एक किट में चार लोगों के परिवार का लगभग 10 दिन का राशन रखा जाता था। इन्होंने ऐसी चार हजार से अधिक किट्स का वितरण किया। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि बहुत से ऐसे सफाई कर्मचारी हैं जो खुद से खाना नहीं बना सकते हैं और जो बाहर रहते हैं। अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने अहमदाबाद को आठ भागों में बांट दिया और उसके आगे भी अलग अलग कैटेगरी बनाई कि किसको सबसे अधिक जरूरत थी। इन्होंने अपने काम के बारे में सरपंच आदि को बताया ताकि जरूरतमंदों तक मदद पहुंच सके। इसके बाद वह रोटी-सब्जी और दाल चावल का वितरण भी करने लगे। कुछ रेस्टोरेंट की मदद लेकर इन्होंने एक दिन में हजार से अधिक लोगों को खाना दिया। जो लोग खाने की सहायता देना चाहते थे, वह भी मदद करने के लिए आगे आए।
घर पहुंचने के लिए की मदद
बहुत से लोगों की लॉकडाउन की वजह से नौकरी चली गई और यह लोग अपने गांव से काफी दूर थे। ये लोग बिना मदद के वापिस घर नहीं जा सकते थे। प्रनव और उसकी टीम ने यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और नेपाल तक के लोगों को घर पहुंचने में मदद की। इस काम में उन्होंने इंडियन रेलवे और प्राइवेट बस की मदद ली। ट्रेन और बस का किराया इनकी टीम ने ही दिया।
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इम्यूनिटी बूस्टर किट का किया वितरण
दूसरी लहर के दौरान कोविड पॉजिटिव लोगों या जिन्हें हल्के फुल्के लक्षण थे, को प्रनव ने डॉक्टर द्वारा सुझाई गई इम्यूनिटी बूस्टर किट बांटी। इस किट में विटामिन डी, जिंक टैबलेट, मल्टी विटामिन, रीहाइड्रेशन ड्रिंक, मास्क और सैनिटाइजर शामिल थे। जो लोग संक्रमित थे और इन सब चीजों को अफोर्ड नहीं कर पा रहे थे, उन्हें यह किट मिली।
दूर के गांवों में प्रदान की ऑक्सीजन
गुजरात के कुछ दूर दराज के गांव जहां के मरीजों की हालत गंभीर थी और ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं थी, वहां भी इन्होंने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सेट करने की पहल की। सभी वह 8 जिले जहां इन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर किट वितरित की थी वहां ऑक्सीजन कंसंट्रेट भी सेट किए गए।
इन्होंने अब तक चार हजार राशन किट, 4 लाख मील, ढाई लाख पैकेट पकाया हुआ खाना वितरित किया और हजार से अधिक लोगों को घर वापिस पहुंचाया। 8 जिलों में इन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर किट भी बांटें। अगर आप इनके काम की सराहना करते हैं तो इन्हें जिताने के लिए इनके लिए वोट जरूर दें।