निमोनिया में वायरस और बैक्टीरिया की वजह से फेफड़ों में सूजन हो सकती है। इस दौरान फेफड़ों में तरल पदार्थ इकट्ठा हो सकती है। ऐसे में व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है। यह समस्या मुख्य रूप से बुजुर्गों और बच्चों को होती है, लेकिन कुछ मामले में यह वयस्कों को भी प्रभावित कर सकती है। यदि, समय पर निमोनिया की जांच की जाए, तो इसके लक्षणों को गंभीर होने से रोका जा सकता है। आगे एनएमसी अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉक्टर विनोद कुमार से जानते हैं कि निमोनिया की पहचान देरी से होने पर कई गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं।
निमोनिया की पहचान में देरी से बढ़ सकता है जोखिम - Health Risks Due To Late Diagnosis Of Pneumonia In Hindi
रेस्पिरेटरी संबंधी समस्याएं
यदि निमोनिया की पहचान सही समय पर ना किया जाए, तो इससे संक्रमण तेजी से बढ़ सकता है। इससे रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के नाजुक टिश्यू को नुकसान हो सकता है। यह रेस्पिरेटरी संबंधी अन्य समस्याओं जैसे - क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) या फेफड़ों में फोड़े हो सकते हैं।
सेप्सिस (ब्लड स्ट्रीम इंफेक्शन)
निमोनिया व्यक्ति के ब्लड को प्रभावित कर सकता है, इससे सेप्सिस होने की संभावना बढ़ सकती है। दरअसल, निमोनिया की पहचान में देरी से यह समस्या हो सकती है। सेप्सिस होने पर अंग कार्य करना बंद कर सकते हैं।
हृदय संबंधी समस्या
निमोनिया की वजह से होने वाली सूजन हृदय को प्रभावित कर सकती है। निमोनिया की पहचान में देरी से मायोकार्डिटिस या पेरीकार्डिटिस जैसी हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। लेकिन, निमोनिया होने पर आप तुरंत डॉक्टर से मिलें।
इम्यून सिस्टम कमजोर होना
निमोनिया की पहचान समय पर न की जाए तो इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) प्रभावित हो सकती है। ऐसे में रोगी को अन्य रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। इस दौरान रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है और सीने में दर्द होने लगता है।
नर्वस सिस्टम प्रभावित होना
निमोनिया की पहचान न होने पर व्यक्ति का नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही, अल्जाइमर व कॉग्नेटिव मेमोरी लॉस की संभावना बढ़ जाती है। निमोनिया से नर्वस सिस्टम पर होने वाले प्रभाव को जानने के लिए रिसर्च कार्य किए जा रहे हैं।
निमोनिया से बचाव के लिए क्या करें - Prevention Tips Of Pneumonia In Hindi
- निमोनिया के लक्षणों जैसे खांसी, सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द और बार-बार बुखार आने आदि को नजरअंदाज न करें।
- निमोनिया के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- प्रदूषण व धूम्रपान से दूरी बनाएं।
- खांसते या छींकते समय मुंह को कवर करें।
- योग और एक्सरसाइज से फेफड़ों की मांसपेशियों को मजबूत करें।
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यदि आपको बार-बार बुखार आ रहा है तो ऐसे में आप डॉक्टर से संपर्क करें। अगर, खांसते समय सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, गले में दर्द और चलते समय सांस में फूलना आदि लक्षण को नजरअंदाज न करें। निमोनिया का इलाज किया जा सकता है। लेकिन, इस रोग की पहचान सही समय पर होना बेहद आवश्यक है।