बवासीर गुदा द्वार में होने वाली एक समस्या है, जिसमें मल द्वार पर मस्से जैसे मांस बढ़ जाते हैं, जो बैठने या मल त्याग करने में बहुत ज्यादा दर्द देते हैं। इस बीमारी में गुदा और निचले मलाशय में नसों में सूजन हो जाती है। कई बार मलाशय में मस्सा जमा होने से ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है। बवासीर से जूझ रहे व्यक्ति का उठना-बैठना और चलना भी मुश्किल हो जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बवासीर के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके होने में खानपान और जीवनशैली मुख्य भूमिका निभाती है। वैसे तो कुछ दवाओं से बवासीर ठीक हो जाता है, लेकिन अगर ये समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो ऑपरेशन की नौबत भी आ सकती है। बवासीर होने पर कई लोग दूध पीना छोड़ देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बवासीर की समस्या में दूध पीने से सेहत को और भी नुकसान पहुंच सकता है। अगर आपको भी ऐसा ही लगता है तो ये धारणा बिल्कुल गलत है। बवासीर की समस्या में दूध पीना हानिकारक नहीं बल्कि सेहतमंद होता है।
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बवासीर में दूध पीने के फायदे
दवाओं की गर्मी को करता है कम
ये बात तो जग जाहिर है कि दवाओं को बनाने के लिए कई तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। केमिकल्स होने की वजह से ज्यादातर दवाएं खाने से शरीर की गर्मी बढ़ती है। कई बार दवाओं के सेवन से पेट में जलन, सूजन और कब्ज जैसी समस्या भी हो सकती है। शरीर में दवाओं की गर्मी को कम करने के लिए दूध पीने की सलाह दी जाती है।
पोषक तत्वों की कमी को करता है पूरा
बवासीर में जब शरीर के एक हिस्से से खून का रिसाव हो रहा होता है, तो इस दौरान आयरन और हीमोग्लोबिन भी बाहर निकलते हैं। शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी न हो, इसके लिए दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
वात और पित्त के प्रभाव हो करता है कम
बवासीर के दौरान शरीर में वात और पित्त का बढ़ना बहुत ही आम बात है। वात और पित्त का प्रभाव अगर ज्यादा बढ़ता है, तो शरीर से खून अधिक मात्रा में निकलता है, जिससे सेहत को और भी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में दूध का सेवन करने से इन प्रभावों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
बवासीर के मरीज खान-पान में किसी भी तरह के बदलाव को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।