शिशु के विकास का अलग कदम अन्नप्राशन के द्वारा दर्शाया जाता है। अन्नप्राशन का रिवाज वैदिग युग से शुरू हुआ, जिसके भारत के साथ-साथ कई देशों द्वारा मनाया जाता है। इस रिवाज में शिशु को 5 से 6 माह के बीच ठोक आहार खिलाया जाता है। हमारे देश के कई राज्यों में अन्नप्राशन का विशेष महत्व होता है। भारत के कई राज्यों में शिशुओं को पहला ठोस आहार चांदी की कटोरी और चम्मच में देना का रिवाज फॉलो किया जाता है। वैसे तो जरूरी नहीं कि अन्नप्राशन सिर्फ चांदी के बर्तन में ही कराया जाए। लोग अपने परिवार के रिवाज और अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक, बर्तन का चुनाव करते हैं। हालांकि, कुछ लोगों का मानना होता है कि चांदी के बर्तन में शिशुओं को भोजन कराना अधिक स्वास्थ्यकर होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चांदी का सेवन करने से दिमाग शांत और शरीर दुरुस्त होता है। पौराणिक समय में चांदी का इस्तेमाल कई दवाइयों को तैयार करने के लिए किया जाता था, क्योंकि यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है। डायट मंत्रा क्लीनिक की डायटीशियन कामिनी कुमारी का कहना है कि पौराणिक समय में चांदी के बर्तन में इसलिए खाया जाता था, क्योंकि उस समय लोगों का मानना था कि इसे शरीर की कई बीमारियां दूर होती हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि चांदी का बर्तन केले के पत्तों की तरह की शुद्ध होता है, जिसके ऊपर खाने से सेहत को विशेष लाभ प्राप्त होता है। आधुनिक समय में उपलब्ध बर्तनों को इस्तेमाल करने के बजाय अगर आप चांदी के बर्तन से अपने शिशु को खिलाती हैं, तो इससे आपको विशेष लाभ होगा। शिशु को चांदी के गिलास में पानी या फिर दूध पिलाने से पेट का विकार दूर होता है। इसके अलावा इसके कई अन्य फायदे होते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में -
चांदी है शुद्ध बर्तन
एक्सपर्ट के अनुसार, चांदी का बर्तन संक्रमण और बैक्टीरिया फ्री रहता है। इस बर्तन के इस्तेमाल से आप कई रोगों से बच सकते हैं। यह शुद्धता का प्रतीक होता है। प्लास्टिक या फिर फाइबर के बर्तनों को इस्तेमाल करने से शिशु के खाने में कई तरह के केमिकल्स आ सकते हैं। लेकिन अगर आप चांदी के बर्तन का इस्तेमाल करते हैं, तो इस तरह की चीजों से बच कर रह सकते हैं। इसके लिए आपको चांदी के बर्तनों को ज्यादा साफ करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि इसमें एंटी वायरस गुण मौजूद होते हैं।
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शरीर को प्रदान करता है शीतलता
गर्मियों के सीजन में अगर आप अपने शिशु को चांदी के बर्तन में खिलाती हैं, तो इससे उनके शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। चांदी आपके शरीर को शीतलता प्रदान करता है। अगर आप अपने बच्चे को दूध प्लास्टिक के बोतल की बजाय चांदी के गिलास से पिलाती हैं, तो इससे उनको कई लाभ होंगे। इसके अलावा बच्चों को किसी भी तरह की चीज को खिलाने के लिए चांदी के चम्मच का इस्तेमाल करें। चांदी के संपर्क में रहने से आपके बच्चे का दिमाग शांत होगा। साथ ही आफके बच्चे में गुस्सा करने की प्रवृति कम होगी।
क्विड चीजों को रखे फ्रेश
छोटे बच्चों को ज्यादातर तरल चीजें देने की सलाह दी जाती है। चांदी का बर्तन तरल चीजों को लंबे समय तक फ्रेश रखता है। पौराणिक समय में पानी को ताजा रखने के लिए चांदी के बर्तनों का ही इस्तेमाल किया जाता था। ऐसे में आप अपने शिशु को देने वाले आहार को चांदी के बर्तन में रख सकती हैं। यह लंबे समय तक फ्रेश बना रहेगा।
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दिमाग को करे मजबूत
चांदी के बर्तन में शिशु को भोजन कराने से उनका दिमाग मजबूत होता है। चांदी में शीतलता का गुण होता है, जो बच्चे के दिमाग को शांत करके उसके याददाश्त को बढ़ाता है। इतना ही नहीं चांदी के बर्तन में खाने से आंखों की परेशानी भी दूर होती है।
बीमारियों को दूर रखे चांदी का बर्तन
कई रिसर्च में दावा किया गया है कि तब भी आप किसी भी चीज को गर्म करते हैं, तो गर्म करने के दौरान इस्तेमाल किए गए बर्तन का धातु खाने में मिश्रित हो जाता है, जो हमारे शरीर में प्रवेश होता है। इसलिए कई हेल्थ एक्सपर्ट लौहे के बर्तन में खाने की सलाह देते हैं, क्योकि लौहयुक्त खाद्य पदार्थ शरीर में आयरन की कमी हो दूर करता है। ठीक ऐसे ही चांदी के बर्तन को अगर आप इस्तेमाल करती हैं, तो चांदी हमारे शरीर में प्रवेश करता है। चांदी आपके शरीर की इम्यून पावर को विकसित करता है, जिससे कई बीमारियां दूर होती हैं। साथ ही इससे सर्दी-खांसी और जुकाम की परेशानी भी दूर होगी। आयुर्वेद में भी चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल करने की सलाह दी गाई हैं। उनके मुताबिक, इससे पित्तदोष दूर होता है।
इन लाभों के बारे में जानकर आपको मालूम हो गया होगा कि चांदी का बर्तन (Chandi ke bartan me khane ke fayde) शिशुओं के लिए कितना फायदेमंद होता है। शिशुओं को ही नहीं, बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए चांदी का बर्तन फायदेमंद होता है। अगर आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी है, तो आप अपने डेली रुटीन में इसका इस्तेमाल करके खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।
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